सम्मेद शिखरजी तीर्थ को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में जैन समाज ने निकाली मौन रैली


झारखंड के गिरिडीह स्थित जैन महातीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित करने को लेकर देश भर के जैन समाज में गुस्सा है और वे इसका विरोध कर रहे हैं।


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भोपाल Published On :
protest of jain community

भोपाल। झारखंड के गिरिडीह स्थित जैन महातीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित करने को लेकर देश भर के जैन समाज में गुस्सा है और वे इसका विरोध कर रहे हैं।

सरकार द्वारा जैन महातीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में बुधवार को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल, इंदौर, उज्जैन, विदिशा, सागर, जबलपुर, खंडवा, होशंगाबाद समेत कई जिलों में बाजार बंद कर विशाल जुलूस निकाली गई।

इसके साथ ही शहर में संपूर्ण जैन समाज के करीब दस हजार कारोबारियों ने अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखे। इसके साथ ही जैन समाज के बच्चे स्कूल व कॉलेज भी नहीं गए।

इमामी गेट चौराहे पर दोपहर 12 बजे आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के शिष्य मुनिश्री आदित्य सागर महाराज, मुनिश्री अप्रमित सागर महाराज, मुनिश्री सहजसागर महाराज ने हजारों जैन धर्मावलंबियों को संबोधित किया।

इसके बाद मौन रैली इमामी गेट से सोमवारा, लखेरापुरा, सुभाष चौक, सरार्फा, इब्राहीमपुरा, सुल्तानिया रोड, मोती मस्जिद होते हुए कमला पार्क के लिए रवाना हुई।

बैठक में दिगंबर जैन पंचायत कमेटी ट्रस्ट के अध्यक्ष मनोज बांगा, प्रमोद हिमांशु, मनोज प्रधान, अमर जैन सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिट्ठी लिखी है जिसमें उन्होंने कहा है कि सम्मेद शिखर जी से जैन समाज की अटूट आस्था जुड़ी हुई है। सरकार के इस फैसले से तीर्थस्थल की स्वतंत्र, धार्मिक पहचान और पवित्रता नष्ट होने की संभावना है। फैसले पर पुनर्विचार करते हुए निर्णय को वापस लें।

गौरतलब है कि श्री सम्मेद शिखर जी जैन धर्म के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकर भगवान और असंख्य महामुनिराजों ने इसी पवित्र भूमि से तपस्या कर निर्वाण प्राप्त किया है।

झारखंड सरकार ने इसे टूरिज्म स्पॉट बनाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है। जैन समुदाय के लोग इसी का विरोध कर रहे हैं।

बता दें कि श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने के विरोध में पहले भी जैन समाज के लोग राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम राज्यपाल को ज्ञापन सौप चुके हैं।



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