बरसात का पानी सहेजने के लिए 900 स्कूलों में लगेंगे रूफरेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम


– स्कूल बिल्डिंग पर लगा रिचार्जिंग सिस्टम, 121 स्कूलों में होगा पौधा रोपण, मनरेगा से होगा पौधारोपण और रिचार्जिंग सिस्टम बनेंगे, सिस्टम लगाने का काम हुआ शुरू।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :
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धार। यदि सब कुछ ठीक रहा तो स्कूली बच्चों की किताबों में सिर्फ बगिया की कविता नहीं होगी बल्कि उनकी शालाओं में ही छोटी बगिया बच्चों के लिए रहेगी। दरअसल जिले की 121 शालाओं में पौधारोपण के माध्यम से बगिया तैयार करने की प्लानिंग हो चुकी है।

जिला पंचायत के माध्यम से मनरेगा में चयनित शालाओं में प्रति शाला 200 पौधों का रोपण किया जाएगा। शालाओं में पौधारोपण के पूर्व यह सुनिश्चित किया गया है कि शाला में पानी की उपलब्धता पर्याप्त है। पेयजल से लेकर सिंचाई तक में जहां पानी की दिक्कतें नहीं होगी।

ऐसी 121 शालाओं को चिह्नित किया गया है जिसमें पौधारोपण की शुरुआत होने वाली है। मानसून की आमद भी जून माह में होने वाली है। वहीं पर्यावरण को सजाने के लिए स्कूलों में पौधारोपण होगा जिससे स्कूलों में पर्यावरण को बढ़ावा भी मिलेगा।

मानसून को देखते हुए शीघ्र ही पौधे रोपने का काम किया जाएगा। उम्मीद है बेहतर देखभाल से बच्चों की पुस्तकों में पढ़ाई जाने वाले बगिया की कविता धरातल पर साकार होगी।

यूं नहीं बहेगा पानी, धरती की नमी बढ़ाएगा –

भूजल स्तर को बढ़ावा देने के साथ जल संरक्षण को लेकर भी मनरेगा योजना के तहत शालाओं में क्रियान्वयन के लिए प्लान बनाया जा रहा है। इसमें स्कूली विभाग की सहभागिता भी होगी। जिले में बड़े भवन और प्रांगण वाले करीब 900 स्कूलों का चयन रूफरेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए किया गया है।
बारिश में छतों से पानी व्यर्थ बह जाता था। अब यह पानी सीधे जमीन में संग्रहित होगा, जिससे ना सिर्फ मिट्टी में नमी रहेगी बल्कि उर्वरक क्षमता सहित भूजल स्तर को बढ़ावा मिलेगा। इस मामले में दो दिन पूर्व जिला पंचायत सीईओ ने समीक्षा बैठक की है। शीघ्र ही इस पर काम शुरू किया जाएगा।

कोरोना के चलते शालाएं बंद लेकिन काम चालू –

जारी कोरोना संक्रमण के कारण बीते दो साल से शैक्षणिक गतिविधियां लगभग शून्य रही हैं। इस दौरान समय का सदुपयोग किया जा रहा है। जिले की साढ़े 500 शालाओं में हैंडवॉश यूनिट लगाने का काम भी चल रहा है।

हालांकि लॉकडाउन में कारीगरों की कमी के कारण काम बंद रहा, लेकिन एक बार फिर अनलॉक होते ही हैंडवॉश यूनिट निर्माण का काम गति पकड़ने वाला है। ना सिर्फ साफ-सफाई के उद्देश्य से बल्कि कोरोना को देखते हुए भी हैंडवॉश का महत्व बढ़ गया है। इधर कई शालाओं में रूफरेन वाटर रिचार्जिंग सिस्टम निर्माण का काम प्रारंभ हो गया है।

जिला पंचायत सीईओ आशीष विष्ट ने इस योजना से पानी सहजने के लिए एक अच्छी कार्ययोजना बनाई है जिसे स्कूलों के भवनों से बारिश में बहने वाला पानी वाटर हार्वेस्टिंग के जरिये जमीन में उतारा जायेगा।

इससे जमीन का वाटर लेवर बढेगा ओर फालतू बह रहा पानी भी बच जाएगा। स्कूलों में पौधारोपण कर पर्यावरण को भी सुधारने में मदद मिलेगी।

जिला पंचायत सीईओ के माध्यम से मनरेगा के तहत पर्याप्त स्थान वाली शालाओं में पौधारोपण किया जाएगा। मानसून सक्रिय होते ही पौधारोपण की गतिविधियां प्रारंभ हो जाएगी। शालाओं में रुफरेन वाटर रिचार्जिंग सिस्टम लगाने का काम प्रारंभ हो गया है। इसके परिणाम आने वाले कुछ महीनों बाद दिखाई देंगे।

– कमल सिंह ठाकुर, सहायक परियोजना समन्वयक, सर्व शिक्षा अभियान विभाग, धार



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