राजेन्द्र सूरि सहकारी साख संस्था का बोर्ड जेआर न्यायालय ने किया बहाल


अध्यक्ष सुरेश तांतेड़ ने कहा- जमाकर्ताओं का पैसा लौटाने के लिए ऋणियों से करेंगे रिकवरी, लोगों से शिकवा-शिकायत से दूर रहकर विश्वास रखने की अपील।


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धार Updated On :
rajendra suri co-operative bank

धार। जिले की सबसे अधिक सदस्य संख्या वाली सहकारी साख संस्था राजेन्द्र सूरि सहकारी संस्था का बोर्ड फिर से बहाल हो गया है। संभवतः आगामी कुछ दिनों में संस्था की व्यवस्थाएं पुनः क्रियाशील हो जाएंगी। जेआर न्यायालय सहकारिता ने बोर्ड को बहाल किया है।

संचालक मंडल के पास संस्था की व्यवस्था पुनः आने से जमाकर्ताओं का पैसा मिलने की उम्मीदें फिर से बंध गई है। इधर बोर्ड बहाल होने के बाद अध्यक्ष सुरेश तांतेड़ ने कहा कि एक-एक सदस्य का एक-एक रूपया लौटाना उनकी प्राथमिकता रही है।

उन्होंने कहा कि पहली प्राथमिकता ऋण वसूली की रहेगी। उम्मीद है कि हम करीब 6 महीने से एक साल के भीतर जमाकर्ताओं का पैसा लौटाना शुरू कर देंगे। उन्होंने सदस्यों से भी अपील की है कि पहले भी शिकवा-शिकायतों के कारण दिक्कतें खड़ी हुई थी।

सदस्य विश्वास रखें, चंद महीनों के भीतर संस्था को पुनः पूरी प्रतिष्ठा के साथ खड़ा करके जमाकर्ताओं का पैसा लौटाएंगे। वहीं ऋणियों से भी कहा है कि साहूकार समझकर आपको ऋण दिया गया था। अब उसी विश्वास के साथ लौटाएं।

सदस्य विश्वास रखें और कुछ महीने का समय दें –

21 अक्टूबर को जेआर न्यायालय ने बोर्ड बहाल कर दिया है। संस्था के सभी सदस्यों को विश्वास दिलाते हैं कि संस्था पुन: उसी साख के साथ खड़ी होगी। जमाकर्ताओं से भी अपील की है कि किसी भी तरह की शिकवा-शिकायतों में ना पड़े। विश्वास रखें। सबकी रकम लौटाई जाएगी। कुछ महीने का समय चाहिए। – सुरेश तांतेड़, अध्यक्ष, राजेन्द्र सूरि सहकारी साख संस्था, राजगढ़

जिले की सबसे बड़ी संस्था –

उल्लेखनीय है कि करीब साढ़े 19 हजार सदस्य संख्या वाली राजेन्द्र सूरि सहकारी साख संस्था ने करीब 90 करोड़ से अधिक का ऋण सदस्यों को वितरित कर दिया था। इधर ऋणियों से वसूली में शिथिलता पाई गई जिसके परिणाम स्वरूप वित्तीय संतुलन गड़बड़ा गया था।

इस दौरान संस्था विरोधी कुछ लोगों ने मामले को तूल दे दिया और जमाकर्ताओं में पैसा निकालने की होड़ मच गई। वित्तीय असंतुलन के कारण संस्था पर उप पंजीयक सहकारिता ने जांच कार्रवाई की जिसमें ऋण वितरण में लापरवाही सहित अन्य कमियों की बात को लेकर बोर्ड ही भंग कर दिया गया।

इधर जमाकर्ताओं में कई लोगों ने पुलिस में शिकायतें दर्ज कराई। नतीजे में प्रकरण दर्ज होने के बाद बीते तीन सालों में भी जमाकर्ताओं को पैसा नहीं मिल पाया। भंग बोर्ड अपील के बाद बहाल हो गया है।

चूंकि बीते तीन साल बोर्ड ना होने से सब कुछ अस्त-व्यस्त है। ऐसी स्थिति में पुनः बहाल हुए बोर्ड ने लोगों से संस्था को कुछ समय देने की बात कही है।

रिकव्हरी पर पहला फोकस होगा –

तांतेड़ ने बताया कि बोर्ड सदस्यों की पहली प्राथमिकता संस्था द्वारा दिए गए ऋण की वसूली करने का है। वसूली के साथ संस्था को सक्रिय संचालन व्यवस्था में लाया जाएगा।

चंद महीनों की कवायद के बाद लोगों को धीरे-धीरे पैसा देना भी शुरू किया जाएगा। तांतेड़ ने लोगों से धैर्य और विश्वास रखने की बात कही है।



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