किसानों के सामने एक और चुनौती बन गया नीलगाय, सैकड़ों एकड़ की फसल चौपट


नीलगाय क्षेत्र में गेंहू, मक्का, लहसुन, सब्जी की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है। किसान बताते हैं कि नीलगाय करीब पचास से अधिक के झुंड में आती हैं और खेतों को रौंद देती हैं।


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धार Updated On :

धार। किसानों के सामने चुनौतियां लगातार बढ़ रहीं हैं। धार जिले में पिछले काफी समय से किसान नील गाय से परेशान हैं और अब यह परेशानी और भी बढ़ गई है। नीलगायों के बड़े झुंड फसलों को तबाह कर रहे हैं। इन नुकसान से बचने के लिए खेतों की लगातार सुरक्षा करना ज़रूरी है लेकिन सर्दियों के मौसम में लगातार पहरेदारी भी मुश्किल हो रही है। क्षेत्र के अलग-अलग गांवों में अब तक सैकड़ों एकड़ की फसल इससे चौपट हो चुकी है।

नीलगाय क्षेत्र में गेंहू, मक्का, लहसुन, सब्जी की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है। किसान बताते हैं कि नीलगाय करीब पचास से अधिक के झुंड में आती हैं और खेतों को रौंद देती हैं। इनका आकार काफ़ी बड़ा होता है ऐसे में इन्हें भगाना आसान नहीं अक्सर ये जीव हमलावर भी हो जाता है ऐसे में किसानों को जान का खतरा भी होता है।

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किसानों की इस समस्या का वन विभाग और जिला प्रशसन के पास भी कोई हल नहीं है। इस बारे में किसान कई बार आवेदन कर चुके हैं लेकिन इससे कोई लाभ नहीं हो रहा है। नुकसानी के बाद किसानों को राहत पहुंचाने की दिशा में अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है न ही नुकसान का मुआवजा मिलता है। ऐसे में किसानों की परेशानी और बढ़ गई है।

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किसान बताते हैं कि अगर परेशान होकर वे नीलगाय को मार देते हैं तो उन पर वन्य जीव संरक्षण अधिनियमों के तहत कार्रवाई की जाती है। ऐसे में किसान दोनों ओर से बंधा हुआ है।  इंदौर में वन विभाग के सीसीएफ चौक सिंह निनामा बताते हैं कि इन जीवों से फसलों को बचाने के लिए लिए विशेषज्ञों से राय ली जा रही है।

यह वन्यजीव किसानों के लिए अब सिरदर्द बन चुका है, जिले में कितनी है नीलगाय हैं इसकी जानकारी वनविभाग को भी नहीं है। जिले में  761 पचायतें हैं। प्रत्येक पंचायत के अधिकाश गांवों में नीलगाय के द्वारा फसलों के नुकसान की खबरें आती रहीं हैं।

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