
धार जिले में वन विभाग ने इस मानसून में बड़े स्तर पर पौधरोपण अभियान शुरू किया है। विभाग की योजना के अनुसार जिले की सात वन रेंजों में कुल 775 हेक्टेयर क्षेत्र में 4 लाख 35 हजार पौधे लगाए जाएंगे। जून के अंतिम सप्ताह से अभियान की शुरुआत हो चुकी है और जुलाई से यह कार्य पूरी गति से जारी रहेगा।
वन विभाग द्वारा ग्रीष्मकाल में ही पौधरोपण की तैयारियाँ पूरी कर ली गई थीं। इस दौरान नर्सरियों में पौधे तैयार करने से लेकर गड्ढे खोदने और सिंचाई व्यवस्था जैसी आवश्यक व्यवस्थाएं कर ली गई थीं। अब बारिश के साथ ही इन गड्ढों में पौधे रोपे जा रहे हैं।
कहाँ-कहाँ लगाए जा रहे हैं पौधे
वन विभाग की कार्ययोजना के अनुसार, सबसे अधिक पौधरोपण टांडा क्षेत्र के नरवाली में किया जा रहा है, जहाँ 63 हजार पौधे लगाए जाएंगे। इसके अलावा सरदारपुर रेंज के भारतगढ़ में 40 हजार पौधों का लक्ष्य तय किया गया है।
इसके अतिरिक्त पौधरोपण इन क्षेत्रों में किया जा रहा है:
- धार रेंज: नीमखेड़ा, चाकल्या, उकाला, सादढ़िया कुआं, पर्वतपुरा
- बाग रेंज: बाग, चिकापोटी, गंधवानी, जीराबाद
- सरदारपुर: अमझेरा, केशवी
- बदनावर: राजोद, बख्तगढ़
धामनोद: उमरबन क्षेत्र का सांवलाखेड़ी
वन विभाग द्वारा इन स्थानों की भौगोलिक स्थिति, मिट्टी की किस्म और स्थानीय पर्यावरण के आधार पर सागवान, नीम, बांस समेत 20 से अधिक प्रजातियों के पौधे चुने गए हैं।
जमनजत्ती फॉरेस्ट में विशेष ध्यान
पिछले वर्ष धार के पास जमनजत्ती क्षेत्र में लगाए गए पौधों में से केवल 3 से 4 हजार पौधे ही जीवित रह पाए थे। इस बार विभाग ने यहां विशेष तैयारी की है। पानी की समस्या से निपटने के लिए पाइपलाइन और ड्रिप सिंचाई व्यवस्था की जा रही है। विभाग का दावा है कि इस बार यहां 10 से 20 हजार पौधे लगाए जाएंगे।
पौधों की सुरक्षा और निगरानी
वन विभाग के डीएफओ अशोक सोलंकी ने बताया कि,
“हर क्षेत्र में पौधों की निगरानी और संरक्षण के लिए टीम गठित की गई है। हमारा उद्देश्य सिर्फ पौधे लगाना नहीं, बल्कि उन्हें सुरक्षित बढ़ते हुए देखना भी है।”
डीएफओ के अनुसार, सभी क्षेत्रों में सीमांकन, फेंसिंग, और स्थानीय कर्मचारियों की तैनाती की गई है। वन अमला पौधों की नियमित मॉनिटरिंग करेगा ताकि वे वृक्ष का रूप ले सकें।
चार लाख से अधिक गड्ढे पहले ही खोदे
वन विभाग ने पहले ही 4.35 लाख गड्ढे खोदकर तैयार कर लिए हैं। विभाग की नर्सरियों से पौधे संबंधित रेंजों में भेजे जा रहे हैं और बारिश के साथ रोपण का कार्य शुरू हो चुका है।
इस अभियान का उद्देश्य केवल पर्यावरण को बेहतर बनाना ही नहीं है, बल्कि भू-क्षरण को रोकना, जलस्तर सुधारना और स्थानीय लोगों को जैविक संसाधनों से जोड़ना भी है।