भरपूर बारिश होने की वजह से इस बार भी किसान ले रहे गेहूं बुवाई में रुचि


इस बार 4 लाख 21 हजार हेक्टेयर में होगी रबी फसलों की बुआई, गेहूं का रकबा सबसे ज्यादा, 2 लाख 98 हजार हेक्टेयर में बोवनी।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :
dhar paddy crops

धार। इस बार लगातार चार माह तक हुई बारिश ने रबी की बोवनी के शेड्यूल को प्रभावित कर दिया था। खेतों में नमी होने के कारण इस बार किसानों को कम समय में सिंचाई करनी पड़ रही है।

बारिश का दौर भी लगातार होने से रबी सीजन की बोवनी करने की तैयारी भी लेट ही शुरू हो पाई है। बारिश खुलने के आठ दिन बाद ही सोयाबीन कटाई के साथ किसानों ने खेतों की जुताई शुरू कर दी है क्योंकि इस वर्ष बारिश के कारण खेतों में नमी है।

कई किसानों ने बगैर सिंचाई के बोवनी कर दी है व बीज भी अंकुरित हो गया है। कुछ समय बाद पानी भी छोड़ दिया जायेगा। इस बार बोवनी का रकबा 4 लाख 21 हजार हेक्टेयर है जिसमें सबसे ज्यादा चना और गेहूं की बोवनी की जाएगी।

इसके अलावा शेष रकबा में लहसुन, अरहर व अन्य फसलों की बोआई की जाएगी। कई बार समय से पहले बारिश रुक जाने के कारण खेतों की नमी चली जाती है, जिससे किसानों को लाखों रुपये खर्च कर सिंचाई करने के बाद बोवनी करनी पड़ती है।

जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन नहीं रहते वह बोवनी नहीं कर पाते हैं, लेकिन इस वर्ष अच्छी बारिश होने के बाद किसान बोवनी की तैयारियों में जुट गए हैं। कुछ जगह बोवनी शुरू हो गई है।

जिले में रबी फसल की बुआई को लेकर कृषि विभाग में सहायक संचालक संगीता तोमर ने बताया कि कृषि विभाग भी अपनी तैयारियां पूरी कर चुका है। विभाग की ओर से इस बार गेहूं और चने का रकबा बढाया गया है, लेकिन जो अनाज मक्का का रकबा 8 हजार है।

इस बार जिले में अन्य फसलो के रकबों में ज्यादा अंतर नहीं है। जिले में अंतिम समय में हुई बारिश से किसानों को काफी फायदा मिला। बारिश की नमी के कारण किसानों को कम पानी की जरूरत पड़ेगी।

अच्छी बारिश के साथ कृषि विभाग ने भी खेती को बढ़ावा देने और किसानों को उन्नत तकनीकी अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। जिले में लगभग 30 प्रतिशत बुवाई का कार्य हो चुका है। किसान भी निंदाई-गुड़ाई में व्यस्त हुए।

किसानों ने बताया कि जिन किसानों ने अगेती फसल की बुआई की थी। वे अब फसल की निंदाई-गुड़ाई कर रहे हैं। किसान खेतों की अच्छे से हंकाई-जुताई करके खाद डालकर लहुसन व गेहूं की बुवाई कर रहे हैं। क्षेत्र में कम बारिश वाले क्षेत्रों में फसलें बो दी गई हैं।

बढ़ सकता है गेहूं का रकबा –

इस वर्ष बारिश अच्छी होने के कारण गेहूं का रकबा बढ़ जायेगा क्योंकि बाद की बारिश ने किसानों के चेहरे पर रौनक लौटा दी थी क्योंकि गेहूं की फसल को पानी की जरूरत ज्यादा रहती है और जलस्तर अच्छा होने के कारण यह फसल ज्यादा बोई जा रही है।

साथ ही किसानों का मानना है कि बारिश ज्यादा होने के कारण चना कम लगने की संभावना है। रबी फसल की बुवाई के लिए किसान तापमान कम होने का इंतजार कर रहे हैं और फिलहाल तापमान अधिक है।

ऐसे में रबी की बुवाई के लिए किसानों को आठ से दस दिन का इंतजार करना पड़ेगा। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसानों ने रबी की बुवाई की तैयारियां शुरू कर दी हैं, लेकिन तापमान कम होने पर ही बुवाई करेंगे।

किसान कर रहे यूरिया की मांग –

गेहूं में सर्वाधिक मांग यूरिया खाद की होती है। सरकार के भरपूर प्रयास के बावजूद यूरिया की किल्लत बनी हुई रहती है। जिले भर में सभी विकासखंड में सोसायटियों एवं नकदी बिक्री केंद्रों पर किसान अभी से लाइन में लग रहे हैं, क्योंकि गेहूं बुवाई के 15 से 20 दिन के बाद पहला पानी लेने के दौरान ही यूरिया की आवश्यकता पड़ती है।

अगला वर्ष चुनावी होने से यूरिया की किल्लत सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है। मालवा के किसानों को पर्याप्त पानी और समय पर खाद उपलब्ध हो जाए तो वे धरती से सोना उगाने की क्षमता रखते हैं।

एक अनुमान के मुताबिक पूरे भारत में धार का गेहूं उत्पादन में अपनी अगल पैठ रखता है ओर मालवा का गेहूं खाने के साथ उत्पादन में भी बंपर पैदावार किसान करते हैं।

प्रशासन का दावा, पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है खाद –

स्थानीय अधिकारियों की माने तो आज की स्थिति में 56 हजार मीट्रिक टन खाद रखा है व 27 हजार मीट्रिक टन विक्रय हो चुका है। शेष 29 हजार 500 मीट्रिक टन खाद रखा है, जो किसानों के लिए पर्याप्त खाद है।

एक-दो दिनों में रैक लगने वाली है जिसमे अलग-अलग जिलों से खाद जिले में आयेगा जिसे किसानों को पर्याप्त खाद मिलेगा। किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि किसान आवश्यकतानुसार खाद ले सकते हैं।

आने वाले रैक में यूरिया 2 हजार 500 मीट्रिक टन, डीएपी 3 हजार 550 मीट्रिक टन, एनपीके 250 मीट्रिक मिलने वाला है व अभी जिले में डीएपी 3 हजार 71 मीट्रिक टन, यूरिया 6 हजार 642 मीट्रिक टन ,एनपीके 3 हजार 939 मीट्रिक टन खाद रखा हुआ है।

रबी की फसलों का रकबा

फसल – रकबा

गेहूं – 2 लाख 98 हजार हेक्टेयर
चना – 75 हजार हेक्टेयर
मटर – 7 हजार हेक्टेयर
मक्का – 8.150 हेक्टेयर
गन्ना – 5 हज़ार 300 हेक्टेयर

बारिश अच्छी हुई तो बढ़ गया बुवाई का रकबा –

इस बार बारिश अच्छी होने के कारण किसानों ने गेहूं का रकबा व चने का रकबा बढ़ाया है। गेहूं में पानी की आवश्यकता अधिक होती है और इस बार बारिश अच्छी हुई। इसलिए किसान गेहूं की ओर ज्यादा रुझान कर रहे हैं – ज्ञान सिंह मोहनिया, उपसंचालक, कृषि, धार



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