संकट में स्कूली शिक्षा: दो महीने बाद भी नहीं हुईं अतिथि शिक्षकों की नियुक्तियां


धार जिले में शिक्षकों की कमी ने शिक्षा व्यवस्था को संकट में डाल दिया है। कई स्कूलों में आवश्यक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई, जिससे विद्यार्थियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की वादाखिलाफी से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :

मध्य प्रदेश में राज्य सरकार भले ही शिक्षा सुधार के बड़े-बड़े दावे कर रही हो, लेकिन धरातल पर स्थिति बेहद चिंताजनक है। धार जिले में दो महीने बीत जाने के बावजूद कई स्कूलों में अभी तक अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है, जिससे शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। सितंबर में त्रैमासिक परीक्षा का ऐलान किया जा चुका है, लेकिन स्कूलों में नियमित शिक्षण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। इस स्थिति में विद्यार्थियों की परीक्षा की तैयारी प्रभावित हो रही है, और उनका भविष्य अंधकारमय प्रतीत हो रहा है।

 

अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में देरी

सरकारी नियमों के अनुसार, किसी भी स्कूल में शिक्षकों की कमी की स्थिति में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार के साथ-साथ सहायक आयुक्त को होता है। स्कूल प्रबंधन विभाग की पोर्टल पर शिक्षकों की डिमांड अपलोड करने के बाद ही अतिथि शिक्षकों की नियुक्तियां होती हैं। लेकिन, वर्तमान में विभाग का पोर्टल काम नहीं कर रहा है। हाल ही में जारी एक नोटिस में बताया गया कि अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए सहायक आयुक्त की अनुमोदन आवश्यक है। दो महीने बीत जाने के बावजूद इस प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं हुई है। सहायक आयुक्त शुक्ला के अनुसार, अगर एसएमसी अनुमोदन करके भेजे तो वे अनुमोदन करेंगे। उनके इस बयान से ऐसा प्रतीत होता है कि यदि अनुमोदन नहीं भेजा गया तो सहायक आयुक्त बच्चों के भविष्य को लटका सकते हैं।

 

उत्कृष्ट विद्यालय भी समस्या का शिकार

धार जिले का एक प्रमुख स्कूल, जिसमें कक्षा 9 से 12 तक कुल 22 सेक्शन संचालित होते हैं, में केवल 18 शिक्षक उपलब्ध हैं। इसके अलावा, स्कूल में दो व्यायाम शिक्षक भी हैं, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण स्कूल की स्थिति गंभीर हो गई है। यह समस्या जिले के अन्य स्कूलों में भी देखने को मिल रही है, जहां शिक्षकों की कमी के कारण शिक्षा व्यवस्था में विघ्न उत्पन्न हो रहा है। कई छात्र अब स्कूल जाने से कतराने लगे हैं और निजी कोचिंग संस्थानों पर निर्भर हो गए हैं।

 

अन्य विभागों में शिक्षकों की नियुक्ति

जिले के कई स्कूलों में शिक्षकों की आवश्यकता के अनुसार कक्षाओं का संचालन नहीं हो रहा है। कुछ स्कूलों में पांच शिक्षकों की आवश्यकता है, लेकिन आठ शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि कुछ स्कूलों में केवल तीन से चार शिक्षक ही हैं। इसके अलावा, कई शिक्षक अटैचमेंट के नाम पर अन्य विभागों में काम कर रहे हैं, जो उनकी नियमित उपस्थिति को प्रभावित कर रहा है। कुछ शिक्षक अपनी सैलरी तो प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन वे सालभर में एक बार भी स्कूल नहीं जाते, जिससे छात्रों की शिक्षा में बाधा उत्पन्न हो रही है।

 

कांग्रेस पार्टी की प्रतिक्रिया

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार अतिथि शिक्षकों को स्थायी करने की बजाय उन्हें हटाकर अन्याय कर रही है। कांग्रेस पार्टी विद्यार्थियों और अतिथि शिक्षकों के साथ खड़ी है और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आवाज उठाएगी। उनका कहना है कि बिगड़ती शिक्षा व्यवस्था की ओर सरकार की अनदेखी चिंता का विषय है, और इसके खिलाफ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।



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