इंदला डैम की नहर के नजदीक उत्खनन, ब्लास्टिंग से नहर फूटने का अंदेशा


आबादी क्षेत्र व सड़क किनारे दे दी खदान की अनुमति, आपत्ति भी दरकिनार। ब्लास्टिंग के वक्त स्टेट हाइवे पर ट्रैफिक के कारण दुर्घटना का अंदेशा।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :
dhar indla dam blasting

धार। जिले में अवैध उत्खनन के यूं तो कई मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन इस बार नियमों से परे जाकर अनुमति देकर खदान देने का मामला सामने आया है।

जिले के गंधवानी विधानसभा स्थित ग्राम टांडा में गौण खनिज नियम 1996 के नियम 18-1 के तहत नवीनकरण उत्खनिपट्टा प्राप्त करने के लिए पट्टाधारी राजेंद्र पिता गेंदालाल जैन निवासी टांडा ने आवेदन दिया था।

यह पट्टा भूमि ग्राम खरवानी मगदी-कुक्षी के खसरा नंबर 68/1, 122/1/1 रकबा 2 हजार हेक्टेयर है। खदान देने में नियमों की भी अनदेखी खनिज विभाग धार के अधिकारियों द्वारा की गई है।

नियमानुसार नदी-तालाब, झील व नहर के आसपास होने पर खदान का संचालन नहीं किया जाता, लेकिन जिस स्थान पर खदान की मंजूरी दी गई है, वहां पर इंदला डेम की नहर जा रही है, जो सिंचाई के लिए बनाई गई है।

नहर से 200 मीटर की दूरी पर ही खदान का संचालन हो रहा है। यहां गिट्टी निकालने के लिए पत्थरों में ब्लास्टिंग भी होती है। ऐसे में नहर के टूटने का खतरा है। साथ ही आबादी क्षेत्र और कृषि भूमि के आसपास खदान के कारण दुर्घटना का भी अंदेशा बना रहेगा।

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स्टेट हाइवे का निर्माण जारी –

यह खदान जिस प्रधानमंत्री ग्राम सड़क से लगकर संचालित हो रही है, वह स्टेट हाइवे में तब्दील होने जा रहा है। जीराबाद से गुजरात तक मप्र सड़क विकास प्राधिकरण यानी एमपीआरडीसी द्वारा यहां 300 करोड़ की लागत से टू-लेन सड़क का निर्माण करवाया जा रहा है।

ऐसे में खदान सड़क किनारे हाइवे पर संचालित होगी, जिससे ब्लास्टिंग के वक्त ट्रैफिक के कारण दुर्घटना का अंदेशा बना रहेगा। खदान का संचालन कुछ माह पूर्व ही शुरू हुआ है।

यहां पर अप्रैल में ही खनिज विभाग धार द्वारा जरूरी अनुमतियां जारी की गई हैं। अनुमति जारी होते वक्त बुलवाई गई आपत्ति में युकां जिलाध्यक्ष करीम कुरैशी ने भी लिखित आपत्ति दर्ज करवाई थी।

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इन बिंदुओं पर थी आपत्ति –

  1. खदान के उपर से हाईटेंशन बिजली के तार खदान के उपर से निकल रहे हैं।
  2. इंदला डैम की नहर खदान के समीप है। ब्लास्टिंग होने से नहर क्षतिग्रस्त हो सकती है।
  3. ग्राम खरवाली-मगदी आबादी क्षेत्र होने से ब्लास्टिंग होने से रहवासियों की जान का खतरा भी बना रहेगा। रहवासियों के मकान भी क्षतिग्रस्त होने की आशंका रहेगी।
  4. गिट्टी व धूल से रहवासियों को सांस लेने व फेफड़ों में इंफेक्शन होने की संभावना बनी रहेगी।
  5. गिट्टी खदान प्रधानमंत्री ग्राम सड़क से लगी होने से वहां लोगों की आवाजाही रहती है। ब्लास्टिंग होने से पत्थर उड़ेंगे। इससे दुर्घटना का अंदेशा रहेगा।

 

धड़ल्ले से बढ़ गई खदानें –

धार जिले में बीते 1 साल में खदानों की संख्या एकदम से बढ़ी है। इनमें कई तरह की अनुमति के विपरीत खदान आवंटन हुआ है। सूत्रों की माने तो पीथमपुर में भी कई ऐसी खदाने हैं जो नियम विरुद्ध संचालित की जा रही हैं।

खास तौर पर पूर्व माइनिंग अधिकारी एमएस खतेड़िया के वरदहस्त से खनन माफिया जिले में बनते हैं। छोटा सा नमूना माइनिंग ऑफिस के पीछे कुछ कदमों की दूरी पर देखने को मिलता है।

यहां अनुमति के विपरीत बड़े हिस्से में मुरम की खुदाई कर दी गई है। निजी जमीन पर खनन की अनुमति ली गई थी, लेकिन सरकारी हिस्से में भी खुदाई हो गई है।

समय रहते ही जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान दें तो बड़ी लापरवाही सामने आ सकती है और किसी भी बड़ी दुर्घटना की आशंका को समझा जा सकता है।

देशगांव के प्रतिनिधि ने जब इस मामले में खनिज विभाग के जेएस भिड़े से इस मामले को लेकर चर्चा की तो उन्होंने कहा कि खदान संचालन नहर से 100 मीटर दूर होना आवश्यक है। यदि नियम विरुद्ध संचालन किया जा रहा है तो दिखवा कर कार्रवाई की जाएगी।



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