फाग यात्रा में छाई रंगों की मस्ती, युवाओं व लड़कियों ने खेली पानी के साथ रंगों का त्यौहार


रंगपंचमी पर जहां बच्चों, युवाओं और वरिष्ठों का उत्साह रंग खेलने में था, वहीं कॉलोनियों व बाजार में महिलाओं ने भी जमकर होली खेली।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :
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धार। होली के ठीक पांच दिन बाद रंगों का त्योहार रंगपंचमी बहुत धूमधाम से मनाया गया। शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल रंगपंचमी 12 मार्च को मनाई गई।

बीते दो सालों से रंगों का त्यौहार फीका सा लग रहा था। इस बार बाजार में बिना कोई पाबंदी के धूमधाम से रंगपंचमी का पर्व उल्लास के साथ मनाया गया। सतरंगी गैर जिस मार्ग से निकली वहां जमकर स्वागत किया। घर की छत से, गैलरी से रंगों की बौछार की गई।

फाल्गुन पूर्णिमा के पांचवें दिन रंगपंचमी का त्यौहार जिलेभर में धूमधाम से मनाया गया। रंगपंचमी पर रंग एवं भंग का जादू इस कदर चढ़ा कि लोग खुद को होली खेलने से नहीं रोक पाए।

शहर के अलग-अलग जगह से फाग यात्रा निकाली जिसमें सैकड़ों लोगों ने शिरकत कर सारे शहर को एक रंग में रंग दिया। शहर में रविवार को अलसुबह से शुरू हुआ एक-दूसरे को रंगने रंगाने का दौर देर शाम तक चलता रहा।

हुरियारों की टोलियों ने गाजे-बाजे के साथ शहर की हर गली हर मोहल्ले में जाकर धूम मचाई। इस अवसर पर अलग-अलग चौराहा से फाग यात्रा निकाली गई जो कि शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई अपने स्थानों पर खत्म हुई।

पांच दिवसीय रंगारंग कार्यक्रमों के अंतिम दिन शहरभर में विशाल फाग यात्रा निकाली गई। इस आयोजन में बड़ी तादाद में रंगप्रेमी शामिल हुए। फाग यात्रा मोती चौक से शुरू होकर शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए दोबारा अपने स्थान पर पहुंची।

संपूर्ण यात्रा के दौरान हुरियार जमकर गुलाल उड़ रहे थे। वहीं ढोल-डीजे की थाप पर युवा नाच रहे थे। रंगारंग फागयात्रा में शामिल हुरियारों के उत्साह को देखते हुए प्रशासन ने शहर भर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे।

फव्वारों के पानी से भिंगोया –

शहर में रंगपंचमी का पर्व देखते लायक था। शहर के विभिन्न स्थानों पर पानी के टैंकर खड़े किए गए थे। इन पानी के टैंकरों से पानी भरकर यहां से गुजरने वाले सभी पर जमकर पानी फेंककर भिंगोया गया।

जमकर चली कपड़ा फाड़ होली –

रंगपंचमी की मस्ती के बीच शहर के अनेक स्थानों पर युवाओं ने कपड़ा फाड़ होली खेली। हालांकि राह से गुजरने वालों को किसी ने परेशान नहीं किया, लेकिन अपनी टोली के सभी युवा एक-दूसरे के कपड़ों को फाड़ दिया।

शहर के अलग-अलग स्थानों पर बिजली के तारों पर होली के कपड़े टंगे हुए हैं जिससे कपड़ा फाड़ होली की वृहदता का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

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महिलाओं ने भी जमकर खेली होली –

रंगपंचमी पर जहां बच्चों, युवाओं और वरिष्ठों का उत्साह रंग खेलने में था, वहीं कॉलोनियों व बाजार में महिलाओं ने भी जमकर होली खेली। किसी को रंग लगाकर तो किसी को पानी से भिंगोकर जमकर होली का आनंद लिया। इसके साथ ही जगह-जगह पर महिलाओं ने नाश्ते का भी मजा लिया।

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रंग बरसाती निकली फाग यात्राएं –

भोज उत्सव समिति की राधा कृष्णा फाग यात्रा, पंछी ग्रुप की फाग यात्रा, दशहरा मैदान की फाग यात्रा, सरस्वती स्कूल के सामने की फाग यात्रा, व्यंकटेश महादेव मित्र मंडल चिटनीस चौक की फाग यात्रा, टायगर ग्रुप फागयात्रा रासमंडल, लक्कडपीठा चौराहा की फाग यात्रा, देशप्रेमी ग्रुप लुनियापुरा की फाग यात्रा, गुजराती रामी माली समाज की फाग यात्रा, राजपूत समाज की फाग यात्रा शहर में निकली जो अपने-अपने क्षेत्र के प्रमुख मार्गों पर रंग बरसा रही थी।

शहर में रखी पैनी नजर –

रंगपंचमी को लेकर पुलिस प्रशासन द्वारा शहर भर में कड़ी नजर रखी गई। ड्रोन कैमरों की मदद से पुलिस प्रशासन ने चप्पे-चप्पे पर नजर बनाए रखी थी। सुरक्षा की दृष्टि से पांच डीएसपी, एक सीएसपी, 5 टीआई सहित 170 पुलिसकर्मियों को रंगपंचमी के लिए तैनात किया गया था।

शहर भर में 21 पॉइंटों पर सुबह से ही पुलिसकर्मी चौराहों पर मौजूद थे। इसके साथ ही पुलिस मोबाइल वाहन व बाइक पुलिस टीम लगातार शहर में भ्रमण कर रही थी। साथ ही ड्रोन से भी फाग यात्रा पर नजर रखी जा रही थी।

यात्रा के रूट पर स्थित बड़े भवनों से भी पुलिस जवान यात्रा पर नजर बनाकर रख रहे थे। गौरतलब है कि कानून व्यवस्था के लिहाज से धार काफी संवेदनशील जिला है।

व्यवस्था को लेकर धार कलेक्टर प्रियंक मिश्रा, एसपी आदित्य प्रताप सिंह ने दिन भर शहर की व्यवस्था देखी। एडीएम श्रृंगार श्रीवास्तव, एसडीएम दीपाश्री गुप्ता, डिप्टी कलेक्टर नेहा शिवहरे, सीएसपी देवेंद्र सिंह धुर्वे, डीएसपी नीलेश्वर डाबर, टीआई दीपक चौहान, बीएस तंवर आदि अधिकारियों ने पूरी दिन फाग यात्रा पर नजर बनाए रखी।

गांव में भी रही रंगपंचमी की धूम –

गांवों में होली के बाद रंगपंचमी का त्यौहार भी फीकी नजर नहीं आया। ग्रामीण क्षेत्रों में भी काफी उत्साह देखने को मिला।

ग्रामीण क्षेत्रों में लोग एक-दूसरे को बधाई देते हुए रंग-गुलाल लगाते दिखे। देर शाम तक रंगपंचमी का रंग लोगों को चढ़ता रहा।

रंगपंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा –

एक पौराणिक कथा के मुताबिक, होलाष्टक के दिन भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था, जिसके कारण देवलोक में सब दुखी थे, लेकिन देवी रति और देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने कामदेव को दोबारा जीवित कर देने का आश्वासन दिया।

इसके बाद सभी देवी-देवता प्रसन्न हो गए और रंगोत्सव मनाने लगे। माना जाता है कि इसके बाद से ही पंचमी तिथि को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाने लगा और यह परंपरा आज तक कायम है।



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