डीलिस्टिंग को लेकर धार में ऐतिहासिक महारैली, जिले भर के 20 हजार से ज्यादा हुए शामिल


42 डिग्री तापमान में नृत्य करते हुए जिले भर के 20 हजार से लोग शामिल हुए। धर्म परिवर्तन कर लेने के बाद आरक्षण का लाभ नहीं देने पर एकजुट हुए आदिवासी समाज के लोग। 


DeshGaon
धार Published On :
dhar dilisting rally

धार। धार जिले में डीलिस्टिंग को लेकर ऐतिहासिक महारैली का आयोजन किया गया। 42 डिग्री सेल्सियस के तापमान में आदिवासी अंचल के भाई-बहनों ने अपने अधिकार और धर्मांतरण को लेकर एकजुटता से यह रैली निकाली। इसमें 20 हजार से अधिक संख्या में लोग शामिल हुए।

आंदोलन से जुड़े हुए पदाधिकारी और अंचल के आदिवासी नेता बड़ी संख्या में शामिल हुए। शहर के प्रमुख मार्गों पर महारैली के स्वागत के लिए समाज जनों एवं शहर वासियों ने विशेष इंतजाम किए गए थे। जगह-जगह पानी, शीतल पेय का इंतजाम किया गया था।

आदिवासी वेशभूषा में सुमधुर संगीत के साथ इस महारैली में शामिल हुए। इसके माध्यम से डीलिस्टिंग विषय को बहुत बड़ी ताकत से रखा गया। साथ ही इस विषय पर समाज कितना गंभीर है, वह भी दर्शाया गया।

डीलिस्टिंग को लेकर एक बहुत बड़ा आंदोलन चल रहा है। डीलिस्टिंग से तात्पर्य है कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग जिनका धर्म परिवर्तन कतिपय लोग लालच देकर या अन्य प्रलोभन से करते हैं।

ऐसे लोग जो ईसाई या मुस्लिम धर्म अपना लेते हैं और फिर भी अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण का लाभ लेते हैं। ऐसे लोगों को डीलिस्टिंग किया जाए इससे वे आरक्षण से दूर हो सके।

साथ ही जो योग्य और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग हैं, उनके आरक्षण के हक का नुकसान नहीं हो इसलिए यह एक बहुत बड़ा आंदोलन चलाया जा रहा है। इसी के कारण यह महारैली निकाली गई। इसके पूर्व यहां मंचीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।

dhar dilisting

10% धर्मांतरित व्यक्तियों ने 80% आरक्षण व सुविधाओं का लाभ उठाया –

मुख्य वक्ता व जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. राजकिशोर हासदा ने डीलिस्टिंग के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि यह आंदोलन 50 वर्ष पूर्व डॉक्टर कार्तिक उरांव द्वारा चलाया गया था। जनजाति समाज से अपनी रीति रिवाज परंपराएं छोड़ चुके है। ऐसे व्यक्तियों को जनजाति सूची से बाहर करना है।

उन्होंने कहा कि ऐसा कानून संसद में बनाने के लिए प्रयास किया गया। पंचायत से लेकर संसद तक इस अभियान को चलाया जाएगा। यह आंदोलन उन लोगों के खिलाफ है जो हमारी आस्था, परंपरा, रीति रिवाज, संस्कृति का त्याग कर चुके हैं। ऐसे लोगों ने हमारे आरक्षण का, हमारी सुविधाओं का लाभ उठाया है। आरक्षण का लाभ अब इन लोगों को नहीं लेने देंगे। 10% धर्मांतरित व्यक्तियों ने 80% आरक्षण व सुविधाओं का लाभ उठाया है। जो वास्तव में जनजाति समाज का हक था। ये 74 वर्षों से चल रहा है लेकिन अब नहीं चलेगा।

इस मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में मंच पर जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. राजकिशोर हसदा विशेष रूप से मौजूद थे। मंच पर जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सूर्य नारायण सूरी, मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ संयोजक कालू सिंह मुजाल्दा, प्रदेश संयोजक कैलाश निनामा तथा क्षेत्रीय अधिकारी प्रवीण ढोलके, तिलकराज दांगी, कैलाश आमलियार मौजूद थे।

इस मौके पर वक्ता रामप्रकाश मच्छार ने कहा कि

आज का समय अनुसूचित जनजाति के लोगों की रक्षा का समय है। सुरक्षा मंच का उद्देश्य है, वह पूरा करने के लिए हमें एकजुट होना पड़ेगा। शिवकुमारी बैनर सहित पंडित कटारे, डूंगर सिंह बघेल ने भी अपने विचार रखे।

अतिथियों का स्वागत अरविंद डावर, जयराम जी गावर, राजू एम सोलंकी, रणधीर अलावा, महेंद्र मेरती, कैलाश डावर, सुंदर चौहान, बलवन्त रावत एवं संचालन कपिल निनामा ने किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ मां शबरी के चित्र पर दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण के साथ किया गया। कैलाश झाबा और उनके दल ने नृत्य की प्रस्तुति दी। नगर के प्रमुख मार्गों से महारैली निकली। जगह-जगह इसका स्वागत किया गया।

पूरे शहर में भ्रमण के बाद यह रैली पुनः किला मैदान पहुंची। यहां इसका समापन हुआ। आभार मंच के जिला संयोजक अरविंद डाबर ने किया।



Related