बिल्ली के बच्चे समझ कर हाथों में उठाया तेंदुए के शावकों को, वीडियो-फोटो बनाने लगे लोग


प्रसिद्ध रानी रूपमती महल के पहाड़ी क्षेत्रों में शावकों के मिलने की खबर के पश्चात वन विभाग द्वारा फिलहाल शावकों वाले क्षेत्र पर आवाजाही पूरी तरह बंद करवा दी गई है।


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mandu leopard cubs

धार। पर्यटन नगरी मांडू के प्रसिद्ध रानी रूपमती महल के नीचे पहाड़ी क्षेत्र में तेंदुए के दो शावक मिले। मांडू एवं धामनोद वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाली पहाड़ी पर इन शावकों को बकरी चराने गए बच्चों ने देखा और उन्होंने बिल्ली के बच्चे समझ कर हाथों में उठाया और खिलाने लगे।

धीरे-धीरे खबर ग्रामीण क्षेत्र में पहुंची तो शावकों को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचने लगे। कई युवकों ने मोबाइल से इनके वीडियो बनाए। वीडियो बनाते वक्त जब राहुल ठाकुर और भैय्यू आर्य नामक दो युवकों ने दोनों शावकों को गुर्राते देखा तो वह अचंभित रह गए जिसके बाद इनके तेंदुए के बच्चे होने की पुष्टि हुई।

इसके बाद कोई इन शावकों के लिए पीने का पानी तो कोई खाने के लिए बिस्किट व अन्य सामग्री लेकर पहुंचा। काफी देर प्यार-पुचकार, फोटो-वीडियो करने के पश्चात इन शावकों को वहीं छोड़कर लोग वापस आ गए। दूसरी तरफ वन विभाग को सूचना मिलते ही विभाग भी एक्टिव हो गया।

मांडू वन परीक्षेत्र अधिकारी शिवशंकर चतुर्वेदी ने बताया कि

अभी शावकों का रेस्क्यू नहीं किया जाएगा। मादा तेंदुआ नहीं दिखाई देने तक इन दोनों को पहाड़ी पर ही रखा जाएगा। 3 से 4 दिनों में मादा तेंदुए बच्चों के पास आती है हम इस क्षेत्र पर कड़ी नजर रखेंगे और अभी इस इलाके में आना-जाना पूर्णता बंद कर दिया गया है।

लोगों की आवाजाही पर लगाई रोक –

प्रसिद्ध रानी रूपमती महल के पहाड़ी क्षेत्रों में शावकों के मिलने की खबर के पश्चात वन विभाग द्वारा फिलहाल शावकों वाले क्षेत्र पर आवाजाही पूरी तरह बंद करवा दी गई है। अधिकारियों द्वारा मौके पर पहुंचकर इलाके में लोगों के जाने पर रोक लगा दी गई है, जिससे शावक सुरक्षित रहें और मादा तेंदुआ हमलावर न हो।

मादा तेंदुआ को ट्रेस किया जाएगा –

वन विभाग के अनुसार मादा तेंदुआ के मिलने तक शावकों को उसी स्थान पर छोड़ा गया है। जब मादा तेंदुए को ट्रेस कर लिया जाएगा। इसके बाद उन्हें शिफ्ट किया जा सकता है।

बढ़ने लगा तेंदुए का कुनबा –

पर्यटन नगरी मांडू के लिए यह खुशखबरी से कम नहीं है। बीते कई वर्षों से लगातार तेंदुआ की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है और अब दो शावकों के मिलने के बाद प्रकृति प्रेमियों में हर्ष की लहर है।

मांडू में तेंदुआ, शेर और बाघ का इतिहास काफी पुराना रहा है। पुराने समय में शेर को नाहर भी कहा जाता था और इनके निवास के लिए नाहर झरोखा पुरातन काल में बनाया गया था जो आज भी विद्यमान है।



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