ठंड के अभाव में रफ्तार नहीं पकड़ रही रबी की फसल, गेहूं को ठंड की है दरकार


इस समय खेतों में किसान पानी देने का काम करें जिससे फसलों में थोड़ी ठंडक रहेगी जिससे फसल अच्छी होगी।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :
dhar wheat crops

धार। इस बार ठंड में देरी होने से फ़सलों की बढ़ोतरी पर भी इसका प्रभाव देखा जा रहा है। समुद्री किनारों पर चक्रवात और दबाव के क्षेत्र बनने से इस बार अंचल के वातावरण में ठंडक घुलने में देरी हो रही है। इसके कारण रबी सीजन की बोवनी के बाद रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है।

अमूमन क्षेत्र में 15 नवंबर के बाद सर्द हवाएं और ठंड अपना असर दिखाना शुरू कर देती हैं, लेकिन बीते दो-तीन सप्ताह के दौरान बार-बार मौसम बदलाव से जनजीवन पर कोई असर नहीं दिख रहा है।

हालांकि अलसुबह कोहरे की धुंध और ओस पड़ने लगी है, लेकिन आसमान में सतत बादलों की मौजूदगी से ठंड का असर गायब है। ऐसे में खेत-खलिहानों में भी हलचल थमी हुई है।

किसान भी रबी फसलों के लिए तेज ठंड पड़ने का इंतजार करने लगे हैं। बीते 10-15 दिनों से बादलों की मौजूदगी के चलते दिन का तापमान औसत 14 से 14.5 और अधिकतम तापमान 28.9 डिग्री तक बना हुआ है।

वातावरण सामान्य रहने से शीत ऋतु में जनजीवन में आने वाले बदलाव नजर नहीं आ रहे हैं। मौसम विशेषज्ञों की माने तो बंगाल की खाड़ी में दबाव का क्षेत्र बनने से अंचल में बादलों का पहरा बना हुआ है।

एक-दो दिन में बादल छंटने पर सर्द हवाएं चलने और वातावरण में एकाएक ठंडक बढने का अनुमान है। अब तक शत प्रतिशत बोवनी हो चुकी है।

जिले में बीते वर्ष 2020-21 में रबी सीजन के दौरान 4 लाख 21 हजार हेक्टेयर में फसलों की बोवनी का लक्ष्य था। वहीं इस वर्ष गेहूं 2 लाख 98 हजार हेक्टेयर में हुई है।

एक माह बीतने के बावजूद जिले में बोवनी का आंकड़ा अब शत प्रतिशत तक पहुंचा है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार मौसम में ठंडक समाते ही फसलों में तेजी आएगी।

पांच दिन का तापमान

दिनांक अधिकतम न्यूनतम

6 दिसंबर 28.9 14.5
5 दिसंबर 28.4 15.5
4 दिसंबर 27.5 14.3
3 दिसंबर 26.5 12.1
2 दिसंबर 26.1 11.2
1 दिसंबर 26.5 11.5

फसलों का लक्ष्य –

गेहूं 2 लाख 98 हज़ार हेक्टियर
चना 75 हजार हेक्टियर
मटर 7 हजार हेक्टियर
गन्ना 5 हजार हेक्टियर
मक्का 8 हजार हेक्टियर
उद्यानिकी 80 हजार हेक्टियर

कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ. गठिया ने बताया कि समुद्री तट पर दबाव का क्षेत्र बनने से यहां बादलों की आंशिक मौजूदगी बनी हुई है। दो-तीन दिन में आसमान से बादल छंटने पर ठंड का प्रकोप बढ़ने का अनुमान है। वैसे गेहूं-चना सहित रबी सीजन की फसलों के लिए मौसम अनुकूल बना हुआ है। क्षेत्र में औसतम न्यूनतम तापमान 14 और अधिकतम तापमान 28 डिग्री तक चला गया है। बादलों की मौजूदगी से अभी दिन-रात का तापमान बढ़ा हुआ है। वहीं वर्तमान की स्थिति में फसलों को ठंड की आवश्यकता है। इस समय खेतों में किसान पानी देने का काम करें जिससे फसलों में थोड़ी ठंडक रहेगी जिससे फसल अच्छी होगी।

फसलों के लिए अनुकूल नहीं है मौसम –

सुबह-शाम ठंड के साथ दोपहर का खुला मौसम किसान व खेतों में खड़ी फसलों के लिए लाभदायक नहीं है। कई किसानों के खेतों में गेहूं-चने में सिंचाई का कार्य अब भी चल रहा है।

फसलों को लेकर देखा जाए तो इस मौसम से रबी फसल गेहूं-चने में अभी ठंडक नहीं गिरने से फसलों को गति नहीं मिल रही है। जैसे गेहूं व अन्य फसलों में उत्पादन पर भी असर देखने को मिलेगा।

किसानों का मानना है कि अभी तक रबी फसलों की हालत ठीक है। बस ठंड गिरती है तो फसलो में उठाव आएगा। नतीजतन विपरीत प्रभाव नहीं है। वैसे अभी की स्थिति तो ठीक है।

फिलहाल मौसम ठीक है। किसान खेतों में खाद डालने के साथ पानी छोड़ रहे हैं। वही कई किसान गेहूं में दूसरी बार खाद डाल रहे हैं। एक माह की गेहूं की फसल हो गई है।

फसलों को दिसंबर में ठंड की जरूरत –

दिसंबर के महीने में सर्दी बढ़ना शुरू हो जाती है मगर अभी दोहपर में सूरज आग उगल रहा है। सुबह और शाम में ओस भी गिर रही है। रात के तापमान में गिरावट होने लगी है।

सोमवार को भी अधिकतम तापमान 28.9 डिग्री और न्यूनतम तापमान 14.5 डिग्री दर्ज किया गया। इस तरह से मौसम रबी की फसलों के लिए अभी फायदेमंद नहीं है।

किसानों की मेहनत तब तक रंग नही लाएगी जब तक मौसम ठंडा नहीं होगा। पिछले साल पहले दिसंबर में भी गर्मी का अहसास था। इस वजह से गेहूं की फसल में उत्पादन पर असर देखने को मिला था, लेकिन इस बार सही समय पर सर्दी नहीं आई। वहीं आने वाले दिनों में ठंड गिरती है तो किसानों की फसल को लाभ मिलेगा।

सर्दी के लिहाज से दिसंबर की शुरुआत फीकी –

सर्दी के लिहाज से दिसंबर की शुरुआत फीकी रही। फसलों पर विपरीत असर पड़ने की आशंका ने किसानों की चिंता बढ़ा दी थी। फसलों की बेहतरी के लिए वातावरण अनुकूल होना जरूरी था।

अधिक तापमान के कारण फसलों में कीट प्रकोप और बीमारियों का खतरा रहता है। पौधों का उठाव अच्छा नहीं होगा तो फसल उत्पादन पर विपरीत असर होता है, लेकिन दिसंबर के दूसरे सप्ताह में ठंड बढ़ने से किसानों के चेहरे एक बार फिर से खिल सकते हैं।

अब जो ठंड की स्थिति बनी है, उससे रबी फसलों को लाभ नहीं होगा। मौसम का सर्वाधिक फायदा गेहूं की फसल को होता है। जितनी ठंड बढ़े उतना ही किसान के लिए अच्छा रहेगा।

फसलों के लिए ठंड आवश्यक –

अगर ठंड अधिक गिरती है तो गेहूं के लिए बहुत ही अच्छा व फायदेमंद रहेगा। इससे गेहूं की कलियां व गेहूं की जड़ों व गेहूं की बालियों में ठंड का अधिक महत्व रहता है। ठंड से ही गेहूं का उत्पादन बढ़ता है। – रणजीत पटेल, किसान सलाहाकार

अभी गेहूं में पानी चल रहा है –

अभी मावठे की बारिश के बाद किसानों को थोड़ी राहत हुई थी। वहीं अब किसानों ने दूसरा पानी भी गेहूं में चालू कर दिया है। पानी के साथ अगर थोड़ी ठंड और बढ़ती है तो गेहूं व अन्य फसलों के लिए बहुत फायदेमंद होगा। – नारायण सिंह पटेल, किसान, अनारद



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