धारः जिले में चार दिनों से चल रही संयुक्त मोर्चे के कर्मचारियों की हड़ताल खत्म


कलेक्टर से मिलकर कर्मचारियों ने हड़ताल खत्म कर कार्य पर लौटने की बात कही है। सर्वसहमति से संघ के समस्त पदाधिकारियों एवं अन्य कर्मचारियों की आपातकालीन बैठक बुधवार को लाल बाग परिसर में रखी गई।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :
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धार। जिले में चार दिनों से चल रही संयुक्त मोर्चे के कर्मचारियों की हड़ताल बुधवार को जिला कलेक्टर आलोक कुमार सिंह व जिला पंचायत सीईओ आशीष वशिष्ठ के साथ बैठक में आश्वासन मिलने के बाद खत्म हो गई और कर्मचारियों ने काम पर वापस लौटने की बात कही।

कलेक्टर आलोक कुमार सिंह ने कर्मचारियों को कहा कि हम सब एक परिवार हैं और सब मिलकर कार्य करें। जब मैं दूसरे जिले में पदस्थ था तब बैठकों में धार के कर्मचारियों की हमेशा काम के प्रति तारीफ सुनी व कामों में सबसे आगे रहते थे।

वहीं जिला पंचायत सीईओ आशीष वशिष्ठ ने कहा कि मेरी किसी भी कर्मचारी से कोई व्यक्तिगत रंजिश नहीं है। समय पर काम होने को लेकर बातें होती हैं। मैं भी सभी कर्मचारियों को अपने साथ मिलकर कार्य करने की बातें करता हूं।

कलेक्टर से मिलकर कर्मचारियों ने हड़ताल खत्म कर कार्य पर लौटने की बात कही है। सर्वसहमति से संघ के समस्त पदाधिकारियों एवं अन्य कर्मचारियों की आपातकालीन बैठक बुधवार को लाल बाग परिसर में रखी गई।

उक्त बैठक में कई बिन्दुओं पर चर्चा की गई। हडताल का मुख्य कारण दिवंगत प्रवीण पवार (उपयंत्री जनपद पंचायत गंधवानी) द्वारा गंधवानी में उनके निजी निवास पर आत्महत्या कर लिया जाना है।

यथासंभव जिला प्रशासन द्वारा आर्थिक सहायता का निर्णय शीघ्र संयुक्त रूप से लिया जाए एवं शासन को जिला प्रशासन द्वारा पत्र के माध्यम से आर्थिक सहायता राशि 50 लाख रुपये हेतु आग्रह किया जाए। साथ ही उक्त के लिए त्वरित कार्यवाही के लिए मॉनिटरिंग की जाए।

संयुक्त मोर्चे द्वारा समस्त कर्मचारियों से चर्चा उपरांत जिला पंचायत की कार्यप्रणाली पर असंतोष व्यक्त किया गया। सीईओ की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा गया कि जिला प्रशासन द्वारा अतार्किक लक्ष्य एवं अनैतिक दबाव बनाकर कार्य कराया जाना अनुचित है।

राज्य शासन से मिलने वाले लक्ष्य को जिले की कार्य संस्कृति के अनुरूप निर्धारित किया जाए, ना कि निचले कर्मचारियों पर थोपा जाए जैसा कि वर्तमान में हो रहा है। शासन की प्रत्येक योजना को उसकी प्रकृति के अनुरूप ही संचालित किया जाए।

बिना किसी ठोस कारण के कर्मचारियों का दिन का वेतन योजनाओं के त्वरित संचालन हेतु काटा जाता है जिससे कि कर्मचारी मानसिक एवं आर्थिक रूप से भी परेशान होते हैं जो कि गलत है।

कार्यालयीन समय प्रातः 10:30 बजे से संध्या 05:30 बजे तक ही कार्य/वीसी/बैठक कराई जाए, प्रैक्टिकली कार्य लिया जाए एवं फील्ड में मानव क्षमता अनुसार अधिकतम 8 घंटे के हिसाब से कार्यभार का निर्धारण किया जाए।

सभी कर्मचारियों से जॉब चार्ट अनुसार ही काम लिया जाए। उदाहरण के लिए ग्राम रोजगार सहायक से मनरेगा के अतिरिक्त भी शासन की अन्य समस्त योजनाओं के संचालन में ड्यूटी लगाकर काम लिया जाता है एवं समानांतर रूप से सभी योजनाओं में प्रगति की अपेक्षा की जाती है।

अवकाश के दिन किसी भी प्रकार से कार्य अथवा रिर्पोटिंग जिला पंचायत द्वारा ना ली जाए। गूगल शीट/गूगल फार्म इत्यादि में दैनिक/साप्ताहिक जानकारी बगैर निरीक्षण का समय दिए अनावश्यक ना ली जाए।

सीएम हेल्पलाइन में शिकायत झूठी होने का प्रमाण देने पर भी शिकायत बंद नहीं की जाती हैं जिसे जिला स्तर से फोर्स क्लोज हेतु शासन पर दबाव बनाया जाए।

कम्प्यूटर ऑपरेटरर्स के अभाव में जानकारी, प्राक्कलन इत्यादि का समय से नहीं बन पाने से परेशानी का सामना तकनीकी एवं ऑफिस स्टाफ द्वारा अनुभव किया जा रहा है, अतः जिला प्रशासन द्वारा उक्त हेतु व्यवस्था की जाए।

इसके साथ ही किसी भी प्रकार की अनुशासनात्मक कार्यवाही संघ मोर्चे के किसी भी कर्मचारी पर टारगेट बनाकर ना किया जाए, इसका आश्वासन दिया जाए।



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