‘आजादी के 75 वर्षों से आज तक बड़े षड्यंत्र के तहत जनजाति योद्धाओं के संघर्ष को छुपाया गया’


राजा भोज स्वशासी महाविद्यालय में मंथन व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने कहा- जनजाति के गौरवशाली इतिहास और जनजाति योद्धाओं के संघर्ष और सभ्यता, संस्कृति और परंपराओं के बारे में जानकारी आवश्यक।


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धार Published On :

धार। आजादी के 75वें वर्ष के अमृत उत्सव को साकार करते हुए जनजाति विकास मंच धार मध्यप्रदेश एवं जनजाति कार्य विभाग के सयुंक्त तत्वाधान में मंथन व्याख्यानमाला का आयोजन राजाभोज स्वशासी महाविद्यालय धार के ऑडिटोरियम हॉल में किया गया।

कार्यक्रम में मंच पर कैलाश अमलीयार प्रांत प्रमुख जनजाति कार्य भी उपस्थित थे। दो सत्रों में संपन्न हुए इस कार्यक्रम में जनजाति के गौरवशाली इतिहास और जनजाति योद्धाओं के संघर्ष और सभ्यता, संस्कृति और परंपराओं के बारे में विस्तार से चर्चा की गई।

पहले सत्र में जनजाति समाज गौरव वैभव सुरंगे ने वर्तमान में जनजाति समाज की रीति नीति पद्धति व जीवन शैली के गहन अध्ययन की आवश्यकता होने की बात कही।

इसके साथ ही शिक्षित युवाओं से आह्वान किया कि वे भी आगे आकर जनजाति समाज पर शोध करें ताकि पूरे विश्व के पर्यावरण को साथ लेकर आदर्श जीवन जीने की पद्धति का ज्ञान हो।

उन्होंने कहा कि हमें इतिहास की ओर चलने से पहले बात करना चाहिए, इतिहास क्यों जरूरी है, वह कभी इतिहास नहीं बना सकते जो अपना इतिहास नहीं जानते। राष्ट्रीय संदर्भ में इतिहास का विवरण स्वाभिमान होता है।

द्वितीय सत्र में शहीद समरसता मिशन के संयोजक मोहन नारायण गिरी ने अपने ओजस्वी प्रबोधन की शुरुआत भारत माता की जय ओर बिरसा मुंडा की जय के साथ की।

उन्होंने शक, हूण, अरबी, मुस्लिम और अंत मे ईसाई मिशनरी आक्रांताओं के साथ छेड़े गए स्वतंत्रता दिलाने वाले जनजातिय क्रांतियों के इतिहास पर गहन उद्बोधन दिया। उन्होंने धार जिले की तीन जनजाति विरासतों की जानकारी भी दी।

उन्होंने जनजाति समाज को टाइगर की उपाधि दी और कहा कि जब तक टाइगर जिंदा है समाज को तोड़ने वाले लोग कभी भी सफल नहीं हो सकते। उन्होंने रानी दुर्गावती, राणा पूंजा भील, बाबा तिलका मांझी के जीवन संघर्ष की गाथाओं को विस्तृत रूप से बताया।

उन्होंने कहा कि 75 वर्षों से आज तक एक बड़े षड्यंत्र के तहत जनजाति योद्धाओं के संघर्ष को हमसे छुपाया गया है। आज का यह आयोजन ज्ञात-अज्ञात हमारे पूर्वजों के बारे में एक सार्थक प्रयास है।

आने वाली पीढ़ी इनके इतिहास को जानें और शोध करके इसे जन-जन तक पहुंचाएं क्योंकि हम अब स्वर्णिम इतिहास का आचयन करने जा रहे हैं।

इस अवसर पर बड़ी संख्या में जनजाति समाज बंधु मौजूद रहे। प्रारंभ में अतिथि परिचय दिलीप मकवाना द्वारा दिया गया। कार्यक्रम का संचालन गजराज निनामा ने किया और आभार अरविंद डावर ने माना। उक्त जानकारी स्वराज अमृत महोत्सव समिति के मीडिया प्रभारी ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने दी।



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