महू के एक किसान की बेटी बनी एयरफोर्स की फ्लाइंग ऑफिसर


समाज के लोगों ने अंजली के इस चयन को अकेली एक बेटी की नहीं बल्कि पूरे समाज की कामयाबी बताया है। इसके बाद अंजली को विजेता की तरह माला पहनाकर उनकी इस मेहनत के सफल होने की शुभकामनाएं दी गईं। 


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Published On :

इंदौर। महू तहसील के गवली पलासिया गांव की एक बेटी भारतीय वायु सेना में पहुंची है। पिछले दिनों अंजली कैलोत्रा का चयन फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर हुआ है। महू क्षेत्र में कई महिलाएं सशस्त्र सेनाओं में कार्यरत हैं लेकिन ग्रामीण इलाके से यह पहली बार है जब एक महिला एयर फोर्स में पहुंची है। उनका चयन मेट्रोलॉजी डिपार्टमेंट में हुआ है।

अंजली की कामयाबी पाटीदार समाज के लिए भी गौरव की बात है। खेती किसानी करने वाले इस समाज की महिलाएं अमूमन घरेलू होती हैं लेकिन अंजली की कामयाबी समाज की लड़कियों के सपनों को पंख देने वाली साबित होगी। समाज के लोगों ने अंजली के इस चयन को अकेली एक बेटी की नहीं बल्कि पूरे समाज की कामयाबी बताया है। इसके बाद अंजली को विजेता की तरह माला पहनाकर उनकी इस मेहनत के सफल होने की शुभकामनाएं दी गईं।

अंजली अपने माता-पिता के साथ

अजंली के पिता अरविंद कैलोत्रा किसान हैं लेकिन उन्होंने और उनके भाई ने अपने परिवार के सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा दी है। अंजली के परिवार में उनके तीन भाई हैं इनमें से एक उच्च शिक्षा लेकर विदेश में काम करते हैं और वहीं दूसरे भाई आर्किटेक्ट हैं और एक भाई एमबीए कर रहे हैं। अंजली बताती कि वे हमेशा से बाहर निकलकर काम करना चाहती थीं और ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने एक शिक्षक या रिसर्चर के तौर पर काम करने की सोची थी लेकिन एमएससी करते हुए उन्हें एयर फोर्स में भी अवसरों के बारे में पता चला और उसके बाद से उन्होंने इसके लिए तैयारी शुरु की। फिलहाल वे प्रशिक्षण पर हैं और अंडर ट्रेनिंग फ्लाइंग ऑफिसर हैं। एक साल बाद उनकी ट्रेनिंग पूरी होगी और फिर पासिंग आउट परेड में उन्हें फ्लाइंग ऑफिसर के रुप में वायु सेना में शामिल किया जाएगा।

अंजली बताती हैं कि वे एक संयुक्त परिवार में रहती हैं ऐसे में वे पढ़ने के लिए एकांत चाहती थीं तो रात को नौ बजे से सुबह छह बजे तक ही पढ़ाई करती थीं। अंजली के मुताबिक उन्हें खेलकूद का भी शौक रहा है। वे बास्केट बॉल, बैडमिंटन और साईक्लिंग करती हैं। वे बताती हैं कि उन्हें उनके दादा किशनलाल कैलोत्रा ने उन्हें सबसे अधिक प्रोत्साहित किया और उनकी यह कामयाबी दादा जी की ही वजह से है वहीं अंजली अपनी मां ललिता का योगदान भी नहीं भूलतीं। उनके मुताबिक मां ने पढ़ाई के लिए पूरा साथ दिया। परिवार के इस रुख़ के कारण ही अंजली को अपना लक्ष्य हांसिल करने में आसानी हुई।



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