महू में युवा मोर्चा के चयन से जुड़ा मामला विवादों में, मंत्री उषा ठाकुर से नाराज़ जिलाध्यक्ष


युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं में मंत्री का विरोध तेज है, उनके मुताबिक जब मंत्री ही निर्णय कर लेती हैं तो पार्टी को जिलाध्यक्ष नाम का पद ही खत्म कर देना चाहिए।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :

इंदौर। मंत्री उषा ठाकुर की महू विधानसभा में युवा मोर्चा के पदाधिकारियों के चयन का मुद्दा बेहद सुर्ख़ियां बटोर रहा है। हालही में सिवनी जिले में हुए युवा मोर्चा के चिंतन शिविर में भी यह विषय चर्चाओं में रहा। यह चयन के दौरान युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष की पसंद को भी दरकिनार कर दिया गया। जिसके बाद वे ख़ासे नाराज़ हैं और बताया जाता है कि अब वे संगठन स्तर पर इस मामले की शिकायत करने जा रहे हैं।

बताया जा रहा है कि महू में मंत्री ठाकुर ने अपनी ज़िद पूरी करने के लिए संगठन में सक्रियता और शैक्षणिक स्तर को वरियता नहीं दी और पदाधिकारियों को चुन लिया और इस समय जिन्हें महू शहर में युवा मोर्चा मंडल का अध्यक्ष चुना गया है उनकी पढ़ाई हाई स्कूल तक की भी नहीं है। ऐसे में मोर्चा के अंदर ही सवाल उठ रहे हैं कि इस तरह के चुनाव कैसे मोर्चा में युवाओं को प्रोत्साहित कर सकते हैं।

महू तहसील के पांचों मंडल में की गई भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्षों की नियुक्ति का मामला अब लगातार गर्म आता जा रहा है बिना जिला अध्यक्ष की सहमति व हस्ताक्षर के की गई नियुक्तियों को लेकर अब भाजपा के युवा कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी है और आने वाले दिनों में इसका असर पार्टी बैठकों में भी देखने को मिलेगा। सिवनी में चल रहे भारतीय जनता युवा मोर्चा के चिंतन व प्रशिक्षण शिविर में पदाधिकारियों के सामने यह बात रख दी गई है। पिछले दिनों कहा गया कि मंत्री से नाराज बहुत से कार्यकर्ता कांग्रेस में भी शामिल हो सकते हैं और वे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के समय ऐसा करेंगे।

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मंत्री द्वारा मोर्चा के पदाधिकारियों का यह चयन उनके अपने इस मौजूदा विधानसभा क्षेत्र में अपने निर्णयों को लागू करने का प्रदर्शन है। दरअसल महू के पिछले विधायक कैलाश विजयवर्गीय के सर्मथक भी महू में लगातार सक्रिय रहते हैं और कई पदाधिकारी भी उनके सर्मथक हैं जिनमें से एक मनोज ठाकुर भी हैं और कैलाश विजयवर्गीय से मंत्री उषा ठाकुर का बैर जगजाहिर है। ऐसे में उषा ठाकुर नहीं चाहतीं कि कैलाश विजयवर्गीय का नाम उनके क्षेत्र में लिया जाए।

पिछले दिनों महू में जो अपराधियों की सूची तैयार की जा रही थी उसमें कुछेक नेताओं के नाम भी शामिल थे, ये नेता विजयवर्गीय के सर्मथक हैं। जिसके बाद अंदरूनी तौर पर मंत्री उषा ठाकुर का विरोध तेज हो गया है। मोर्चा के कार्यकर्ता इसे लेकर खासे नाराज़ हैं, इनमें से कुछ ने कहा कि जब मंत्री ही निर्णय कर लेती हैं तो पार्टी को जिलाध्यक्ष नाम का पद ही खत्म कर देना चाहिए।

फाइल फोटोः भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के साथ
युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष मनोज ठाकुर

बताया जाता है कि मोर्चा के जिला अध्यक्ष मनोज ठाकुर की कोई राय नहीं ली गई और जो नियुक्तियों पत्र दी गए हैं उनमें भी उनके हस्ताक्षर नहीं हैं जबकि किसी भी नियुक्ति पत्र में जिलाध्यक्ष के हस्ताक्षर होना जरूरी होता है।

कुछ वर्ष पूर्व महू नगर युवा मोर्चा के अध्यक्ष पद पर पूर्व नगर अध्यक्ष करण सिंह ठाकुर ने रंजीत स्वामी की नियुक्ति की थी जिसे अमान्य करार देकर उसे निरस्त कर दिया गया था और विधायक उषा ठाकुर व जिला अध्यक्ष के द्वारा की गई अमित जोशी की नियुक्ति को ही माना था।

अब फिर मंत्री ठाकुर ने बिना जिलाध्यक्ष की सहमति के ही उसी तरह की नियुक्ति कर दी है। ऐसे में अब इस फैसले को कैसे कायम रखा जाए यह भी बड़ा सवाल है और इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण  सवाल है बिना जिलाध्यक्ष की सहमति से लिये जा रहे इन निर्णयों के चलते क्या इस पद की अहमियत कम नही हो रही है।

पिछले दिनों जब मंत्री उषा ठाकुर से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह पार्टी का अंदरूनी मामला है और इसे अंदरूनी तौर पर ही सुलझा लिया जाएगा।

भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष मनोज ठाकुर इसे लेकर बिल्कुल चुप हैं और अपने दोस्तों के साथ कूनो पार्क घूम रहे हैं। ज़ाहिर है वे मंत्री से बैर लेना भी नहीं चाहते और अपने अधिकार छीने जाने से भी ख़फ़ा हैं। उन्होंने अपना फोन भी बंद कर रखा है।

हालांकि कहा जा रहा है कि वे मंत्री ठाकुर के बारे में दबी ज़ुबान में शिकायत कर रहे हैं और हो सकता है कि कुछ बड़े नेताओं के कहने पर वे दोबारा घोषणा कर सकते हैं और अगर ऐसा हुआ तो यह स्थानीय स्तर पर विधायक और इस समय मंत्री से सीधा संघर्ष होगा।

इस संबंध में भाजपा के जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर से बात करने की कई बार कोशिश की गई लेकिन वे भी इस मामले से बचते नजर आ रहे हैं। भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष का कहना है कि मोर्चा के मंडल अध्यक्ष अध्यक्षों की नियुक्ति में मोर्चा के जिला अध्यक्ष की सहमति होना जरूरी है उसके बाद ही नगर अध्यक्ष या मंडल अध्यक्ष किसी एक नाम की घोषणा कर सकता है।

 



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