VIDEO: नाराज डॉक्टरों के आगे झुके इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह, गलती मान कहा ‘मुझे खेद है…’


डॉक्टरों को समझाने के लिए के लिए रेसीडेंसी कोठी में शुक्रवार सुबह एक बैठक भी हुई जो दो घंटे तक चली हालांकि इस बैठक में भी बात नहीं बनी जिसके बाद मंत्री और अफसर चले गए थे।


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इन्दौर Updated On :

इंदौर। स्वास्थ्य विभाग और इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह के बीच चल रहा विवाद अब फिलहाल के लिए खत्म हो गया है। कलेक्टर ने अपने व्यवहार के लिए जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर पूर्णिमा गडरिया से खेद जताया। जिसके बाद डॉक्टर काम पर लौट आए हैं।

इसे लेकर शुक्रवार को एक बैठक भी हुई। जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ कमिश्नर डॉ. पवन कुमार शर्मा, मंत्री तुलसी सिलावट, मंत्री उषा ठाकुर, सांसद शंकर लालवानी आदि मौजूद रहे हालांकि इस दौरान बात नहीं बनी।

कलेक्टर ने कहा कि चूंकि हम सब जनता के लिए काम कर रहे हैं इसलिए इगो जैसी कोई बात नहीं है। प्रशासनिक नाराजगी के दौरान उन्हें व्यक्तिगत रूप से यदि बुरा लग गया है तो मैं खेद व्यक्त करता हूं। मेरा मकसद किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था।

इससे पहले इंदौर की प्रभारी सीएमएचओ रहीं डॉक्टर पूर्णिमा डगरिया ने कलेक्टर पर अभद्र व्यवहार के चलते इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद पूरा स्वास्थ्य विभाग ही कलेक्टर के खिलाफ हो गया था और मुख्यमंत्री से उन्हें हटाने की मांग की थी और ऐसा न होने की सूरत में सामुहिक इस्तीफ़ा देने की धमकी दी थी। इसके बाद से ही इंदौर के नेता, सासंद और प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट तक सक्रिय थे और मामले को खत्म करने का प्रयास कर रहे थे।

इसके बाद डॉक्टरों को समझाने के लिए के लिए रेसीडेंसी कोठी में शुक्रवार सुबह एक बैठक भी हुई जो दो घंटे तक चली हालांकि इस बैठक में भी बात नहीं बनी जिसके बाद मंत्री और अफसर चले गए थे।

 

इस विवाद पर इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने अपनी ओर से ही पटाक्षेप करने का प्रयास किया है। उन्होंने डॉक्टर पूर्णिमा डागरिया की तारीफ की और कहा कि

यदि हम प्रॉटक्शन देते हैं, मोटीवेशन करते हैं, गाइड करते हैं तो नाराजगी भी प्रशासनिक कार्यवाही का ही हिस्सा है। इसमें कोई इश्यू नहीं है। मैंने यही बात कही भी।

फिर यदि व्यक्तिगत रूप से कोई बुरा लगा हो तो मैडम को कहा है कि वे जिन शब्दों में चाहें, मैं खेद व्यक्त करने को तैयार हूं। उन्होंने मुझसे कहा कि मेरा भी कोई ऐसा उद्देश्य नहीं था। बुरा लगा तो इस्तीफा दे दिया था। बस इतनी ही बात थी।

हालांकि एक दिन पहले तक कलेक्टर ने शासन से डॉ. गरडिया का इस्तीफा स्वीकार करने की अनुशंसा करने की बात कही थी और डॉ. गरड़िया ने प्रशासन को नाकाम बताया था और उन पर संक्रमण से हो रहीं मौतों का आंकड़ा छिपाने का आरोप लगाया था।

वहीं इस पूरे घटनाक्रम पर प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट का कहना था कि डॉक्टरों के सम्मान की पूरी जिम्मेदारी है मेरी है। मेरा लगातार उनसे संवाद जारी है और अति शीघ्र हल निकाल लिया जाएगा।

ईश्वर के बाद डॉक्टर का सम्मान है और यह वक्त सेवा का है। मंत्री ने इसे एक विवाद बताते हुए कहा कि परिवार में भी कभी-कभी वाद विवाद हो जाते हैं, लेकिन यह लड़ने का समय नहीं है।

इससे पहले भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि एक-दो घटनाएं ऐसी हुई हैं। प्रभारी मंत्री ने डॉक्टरों से बात की है। कभी-कभी कम्यूनिकेशन गैप हो जाता है।

कई बार प्रशासनिक ईगो टकरा जाता है। ऐसी घटनाओं की चिंता करने वाले हमारे आसपास लोग बैठे हुए हैं। उन्होंने कहा कि कलेक्टर के व्यवहार पर मैं सीधे कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, पर कई बार हमें डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के स्ट्रैंथ को भी समझना होगा। इसलिए दोनों जवाबदारी से काम करें।

 



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