कविता पाटीदार का चुनाव यानी शक्ति के संतुलन की राजनीति, एमपी और गुजरात दोनों साधेंगे


_ दो दशक बाद पाटीदार समाज को मिला नेतृत्व
_ मध्यप्रदेश और गुजरात के पाटीदार समाज को साधने की कोशिश।
_ भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के नाम की थी चर्चा


डॉ. संतोष पाटीदार डॉ. संतोष पाटीदार
इन्दौर Updated On :

­ इंदौर। भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा सांसद के रुप में इंदौर की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कविता पाटीदार को चुना गया है। इस तरह पार्टी ने ओबीसी वर्ग को रिझाने की कोशिश की है।

कविता की उम्मीदवारी पर मोहर लगाने में पूरे पाटीदार समाज ने मेहनत की है। इसके लिए पार्टी के अंदर बाकायदा एक अभियान चलाया गया। जो मालवा निमाड़ के पाटीदार समाज से शुरु हुआ और इसका असर गुजरात तक पहुंचा। जहां से कविता के लिए पाटीदार समाज के कई बड़े लोगों ने कोशिशें की और बात भाजपा नेतृत्व तक पहुंचाई गई।

बताया जाता है कि यहां उंझा में पाटीदार समाज की कुलदेवी मां उमिया के मंदिर में इसे लेकर बैठक हुई और पाटीदार समाज के लोगों ने एक साथ कविता पाटीदार का नाम प्रस्तावित किया।

हालांकि कविता पाटीदार को बड़ी ज़िम्मेदारी देना पहले से ही तय हो चुका था और इसीलिए उन्हें प्रदेश संगठन में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया था। कविता पाटीदार का चयन इंदौर की राजनीति में शक्ति के संतुलन के रुप में देखा जा रहा है क्योंकि यहां से महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के चयन को लेकर भी कयास लगाए जा रहे थे।

कविता शुरुआत से ही सीएम शिवराज की करीबी हैं और महू विधानसभा क्षेत्र से आने के नाते वे हमेशा से सुर्ख़ियों में रही हैं। कैलाश विजयवर्गीय के महू विधानसभा छोड़ने के बाद से उन्हें यहां से प्रत्याशी बनाने की मांग उठ रही थी लेकिन इंदौर से उषा ठाकुर को भेज दिया गया जिससे कविता निराश तो हुईं लेकिन उन्होंने अपना काम जारी रखा। बताया जाता है कि यही बात संगठन को प्रभावित करती रही और कविता के लिए पॉजिटिव माहौल बनाती रही।

कैलाश विजयवर्गीय के बाद अब कविता पाटीदार भाजपा में राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा बड़ा नाम हो गईं हैं। इससे पहले आठ बार की सांसद सुमित्रा महाजन इंदौर का नेतृत्व करती थीं। ऐसे में इंदौर में एक तरह का संतुलन दिखाई दे रहा है। वहीं महू विधानसभा की सीट पर एक बार फिर नए उम्मीदवार की जगह बन सकती है।

चर्चा है कि मंत्री उषा ठाकुर इस नए विधानसभा क्षेत्र में बहुत खुश नहीं बताई जाती हैं और वे इंदौर लौटने का रास्ता चुन सकती हैं। ऐसे में संभव है कि महू विधानसभा को किसी बड़े और अहम रोल के लिए खाली किया जाए।

इंदौर पाटीदार समाज के महानगर अध्यक्ष संतोष पाटीदार बताते हैं कि कविता के पिता स्व. भैरूलाल पाटीदार के बाद एक लंबे समय तक पाटीदार समाज को अहम पद नहीं मिला था। ऐसे में कविता पाटीदार का राज्यसभा के लिए चुना जाना समाज के लिए बड़ी उपलब्धि है।

मालवा -निमाड़ में पाटीदार आबादी काफी है ऐसे में 2024 के चुनावों में भी कविता पाटीदार के इस चयन को पाटीदार नेता एक उपलब्धि की तरह दिखाएंगे और भाजपा संगठन इसी उपलब्धि के नाम पर वोट मांगेगा।

कविता पाटीदार का चुनाव अकेले मप्र के ओबीसी वोटरों को निभाने के लिए नहीं है बल्कि उनके नाम से गुजरात के पाटीदार पटेल समाज को साधने की भी कोशिश हो रही है। आने वाले दिनों में गुजरात में चुनाव हैं और वहां बड़ी संख्या में पटेल और पाटीदार वोटर हैं।

हार्दिक पटेल के सुर नरम पड़ने के साथ पार्टी को कुछ राहत पहले ही मिल चुकी है और अब उनके पार्टी में आने के आसार भी दिखाई दे रहे हैं। इसके बीच कविता पाटीदार का मप्र से चुनाव समाज को एक बेहतर संदेश देने की कोशिश है।

 

 



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