आंबेडकर विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस, पहुंचे सैकड़ों शिक्षाविद, सनातन से विश्व की समस्याओं का हल खोजने की पहल


सनातन परंपरा से हल खोजने के लिए कहा, प्रभारी कुलपति डॉ. दिनेश शर्मा को दो लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड


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इन्दौर Published On :
विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डॉ. दिनेश शर्मा अतिथियों का स्वागत करते हुए


इंदौर। महू के डॉ. आंबेडकर समाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में इन दिनों एक अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस चल रही है। यह कॉन्फ्रेंस का विषय ‘सस्टनेबल डेवलपमेंट पंच महाभूत फॉर इनवायरमेंट एंड सोशल हार्मोनी है। जिस पर बात करने के लिए दुनियाभर के विद्वान शामिल हो रहे हैं। यह पहला मौका है कि सामाजिक विज्ञान के इस विश्वविद्यालय में लाइफ साइंसेस पर इस तरह का कार्यक्रम हो रहा है। स्ट्राइड परियोजना के तहत हो रहे इस कार्यक्रम से विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डा. दिनेश शर्मा भी उत्साहित हैं। डा. शर्मा के लिए भी यह मौका काफी अच्छा साबित हुआ उन्हें पहले दिन जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया तथा सोसाइटी ऑफ लाइफ साइंस से अलग-अलग दो ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित कर दिया।

कान्फ्रेंस के पहले दिन कई विद्वानों ने अपनी बातें रखीं। इस दौरान मुख्य अतिथि के तौर पर आए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कहा कि कि पर्यावरण चिंतन वर्तमान की अपरिहार्यता है बल्कि समूचे शैक्षिक दर्शन में भारतीय दृष्टि को सैद्धांतिक नहीं बल्कि विचारों में उतारना आवश्यक है। उन्होने कहा कि सदियों से पंच महाभूतों से ही मानव समाज में जीवनधारा रही है और उसे अपने जीवन में आत्मसात के लिए पाठ्यक्रम में भारतीय दृष्टि को पढ़ाया जाना भी जरूरी है।

 

कोठारी ने पर्यावरण चिंतन को सनातन एवं वैदिक परंपरा से जोड़ते हुए कहा कि हम क्या थे, क्या हैं और क्या होंगे पर चिंतन की आवश्यकता है। सनातन परम्परा में पंच महाभूत को संरक्षित करना सिखाया जाता रहा है। सृष्टि को खंडित रूप में देखने का दृष्टिकोण ख़त्म होना चाहिए। पंडित दीन दयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन में प्रकृति को एकाग्रता में देखने का नजरिया प्रस्तुत किया गया है। पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए स्वयं को परिमार्जित करना अत्यंत जरुरी है।

भारत विश्वगुरु था, है और रहेगा… 

इस कान्फ्रेंस में पहुंचे महामंडलेश्वर डॉ. नरसिंह दास ने कहा कि भारत विश्वगुरु था, विश्वगुरु है और विश्वगुरु रहेगा। सनातन परम्पराओं में बहुत पहले से ही प्रकृतिपूजक रहे हैं। पर्यावरण को संरक्षित रखना है, इसलिए सनातन ऋषियों द्वारा हजारों वर्ष पूर्व से ही पंच महाभूत देवताओं की तरह पूजे जाते रहे हैं। महर्षि भारद्वाज का विमान निर्माण विधि शास्त्रों में वर्णित है. उन्नत शिक्षा, शास्त्र तथा मन्त्रों के अनुसंधान से ही विकसित राष्ट्र की कल्पना की जा सकती है।

इनका हुआ सम्मान

इस कान्फ्रेंस में पर्यावरण के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले पर्यावरणविदों को  ‘जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया’, सोसाइटी ऑफ लाइफ साइंस एवं माँ अनंता अभ्युदय सामाजिक सेवा संस्था द्वारा पुरस्कार प्रदान किये गए।  प्रो.अनीश सिद्दीकी, प्रो. लीना लखानी, प्रो. एम.एम.पी.श्रीवास्तव को भी लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया। वहीं माँ अनंता अभ्युदय सामाजिक सेवा संस्था द्वारा विश्वविद्यालय को उत्कृष्ट कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया। इसके साथ ही शासकीय माधव विज्ञान कालेज एवं आदर्श इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड साइंस को भी सम्मानित किया गया। बेस्ट साइंटिस्ट अवार्ड पाने वाले में डॉ. विक्रम आर्य, डॉ. विनय कुमार चक्रवर्ती बांग्लादेश, डॉ. विजय प्रकाश सेमवाल रिकग्निशन अवार्ड डॉ विनय द्विवेदी, प्रो. शैलेंद्र शर्मा को प्रो. बाबा जाधव सीनियर साइंटिस्ट अवार्ड, यंग साइंटिस्ट अवार्ड पाने वाले डॉ. माता दीन भारती, डॉ. राशिद हारून, डॉ. प्रियंका मिश्र रहे। पुरस्कार पाने वालों में प्रो. डी.के. वर्मा प्रो. वी.एस.चौहान, डॉ. सुमन मिश्रा, डॉ. राजेन्द्र मिस्त्री, डॉ. सोना दुबे, डॉ. जी. समित्ता, महामंडलेश्वर नरसिंह दास, डॉ ज्योति प्रकाश, डॉ. प्रीति पाटीदार रहे।

अध्यक्ष का उद्बोधन

डॉ. बी.आर. अंबेडकर सामाजिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डी.के. शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि सनातन परंपरा में पर्यावरण संरक्षण को भविष्यगामी आधारभूत आवश्यकता के रूप में देखा गया है। जिससे पंच महाभूत को उपासना में शामिल किया गया और अब पुनः सनातन की पद्धतियों को आत्मसात करने की जरुरत है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय निरंतर पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहा है। प्रो. बी.एन. पांडेय ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर का जीवन दर्शन एवं विचार संकल्पित जीवन जीने को प्रेरित करता है। पूरा विश्व पर्यावरणीय समस्याओं से जूझ रहा है. इसका समाधान सनातन जीवन प्रणाली में मौजूद है. विशिष्ट अतिथि के रूप में शिक्षा संस्कृति न्यास के ओम शर्मा कहा कि पर्यावरण संरक्षित करने की शुरुआत स्वयं से करनी होगी। जनजाति क्षेत्रों के लोग कम संसाधनों में जीवन यापन कर पंच महाभूतों को आत्मसात करते हैं।

वैदिन ज्ञान में तलाशना होगा हल

कान्फ्रेंस में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ. भरत बैरागी ने कहा कि विश्व जिस बात कि चिंता कर रहा है उसका हल वैदिक ज्ञान में तलाशना होगा। भारत की सनातन परंपरा सर्वे भवन्तु सुखिनः की संवाहक है, यम नियम संयम से ही समस्याओं का निदान संभव है। समरस भारत के निर्माण से विश्व का मार्ग प्रशस्त कर पाएंगे।

पर्यावरणविद प्रो. डी.के. बेलसरे ने वैदिक संस्कृति पर अनुसंधान करने वाले अध्येताओं का जिक्र करते हुए कहा कि सनातन व्यवस्था में पंच महाभूतों को संरक्षित करने की बात कही।

जर्मनी से आए प्रो. बर्क

कान्फ्रेंस में पहुंचे विशिष्ट अतिथि जर्मनी के प्रो. उलरिच बर्क ने पर्यावरण के बारे में कहा कि अखिल ब्रह्मांड में जलवायु परिवर्तन हो रहा है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के अकुशल प्रबंधन से पृथ्वी लगातार प्रदूषित हो रही है. जिससे मानव जीवन पर इसका प्रतिकूत प्रभाव पड़ रहा है। वैदिक पद्धतियों से पर्यावरण संरक्षित करने उपाय खोजे जा रहे है उन्होंने कहा कि पंच महाभूत इस ग्रह के लिए अत्यंत आवश्यक है।

एआईएमएस धामनोद के निदेशक डॉ. आर.के. पाटीदार तथा माधव विज्ञान महाविद्यालय उज्जैन के पूर्व प्राचार्य तथा अतिरिक्त संचालक प्रो. अर्पण भारद्वाज ने भी पर्यावरण चिंतन पर विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के डीन एवं कांफ्रेंस संयोजक प्रो. डी.के. वर्मा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉ. अजय वर्मा ने किया। अतिथियों का स्वागत डाक्टर मनीषा सक्सेना प्रो सुनील गोयल प्रो शैलेंद्र मणि त्रिपाठी प्रो शैलेंद्र शर्मा ने किया ।

अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन डॉ. बी.आर. अंबेडकर सामाजिक विश्वविद्यालय और शासकीय माधव विज्ञान महाविद्यालय, उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में 8-9 दिसंबर, का आयोजन महू में तथा 10 दिसंबर, 2022 का आयोजन उज्जैन में आयोजित हो रही है है।

 

आंबेडकर विश्वविद्यालय द्वारा जारी जानकारी के अनुसार



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