रिमझिम फुहारों के बीच भगवान जगन्नाथ पहुंचे अपनी मौसी के घर


कोविड काल के दो साल बाद  यह रथ यात्रा 2 साल बाद सार्वजनिक रूप से धूमधाम से निकाली गई। हालांकि इससे पहले भी परंपराओं का पालन हुआ और भगवान सादगी से ही अपनी मौसी के घर जाते रहे।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :

इंदौर।  रिमझिम बहारों के बीच महू में भगवान भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरु हुई। जगन्नाथ अपनी मौसी के घर आराम करने पहुंचे। उनके साथ बहन सुभद्रा भाई बलभद्र भी रथ पर सवार थे।

कृषिविहार कॉलोनी में जगन्नाथ मंदिर से किशनगंज में अपनी मौसी के घर यानी काली माता मंदिर पहुंचे। इस दौरान जगन्नाथ के रथ को हजारों भक्तों ने अपने हाथों से खींचकर मौसी के घर तक पहुंचाया।

दो साल बाद एक बार फिर कृषि विहार कॉलोनी स्थित जगन्नाथ मंदिर में उत्साह का माहौल बना। शुक्रवार की सुबह से ही मंदिर को ख़ास तौर  सजाया गया। यहां भगवान जगन्नाथ का विशेष श्रृंगार कर पूजा आरती की गई।

शाम को फूलों से सजा व्रत पर भगवान जगन्नाथ तथा उनके भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा को विराजित किया गया। इसके बाद विशाल रथ को जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर हाथों से खींचते हुए काली माता मंदिर पहुंचा।

इस दौरान बड़ी संख्या में भगवान जगन्नाथ के भक्त यानी श्रद्धालु भी पहुंचे। जिन्होंने पूरे रास्ते पर रस्सी से सूरत को खींचा तथा मौसी के घर पहुंचाया। भगवान 9 दिन तक अपनी मौसी के घर आराम करेंगे।

कोविड काल के दो साल बाद  यह रथ यात्रा 2 साल बाद सार्वजनिक रूप से धूमधाम से निकाली गई। हालांकि इससे पहले भी परंपराओं का पालन हुआ और भगवान सादगी से ही अपनी मौसी के घर जाते रहे।

हालांकि इस बार माहौल कुछ और था। भगवान की रथ यात्रा को लेकर सभी उत्साहित थे। जहां लोग बड़ी संख्या में पहुंचे थे तो पुलिस प्रशासन भी काफी चौकन्ना रहा।  कृषि विहार कॉलोनी से लेकर किशन तक भारी यातायात जाम की स्थिति भी बनी।

रथ यात्रा में बड़ी संख्या में शामिल भक्तों में काफी उत्साह रहा महिलाओं की टोली केसरिया वस्त्र में शामिल हुई। जिन्होंने सिर्फ केसरिया पगड़ी बांधकर रास्ते पर केसरिया ध्वज लहराया जबकि युवाओं की टोली रास्ते भर मंझीरा बजाते हुए भगवान का स्वागत कर मौसी के घर तक उन्हें पहुंचाया।

इस यात्रा का रास्ते पर भव्य स्वागत किया गया। रथ से प्रसादी भी वितरित की गई। आज से जगन्नाथ मंदिर के पट 9 दिन के लिए बंद हो जाएंगे और इसके बाद पूरे विधि विधान से भगवान जगन्नाथ को मौसी के घर से वापस आएंगे और मंदिर में विराजित होंगे।



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