
132 साल पुराने बंगले नंबर-69 को लेकर वर्षों से चल रहे विवाद में अब न्यायिक स्पष्टता आ गई है। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय और फिर निचली अदालत के आदेश के बाद, अरुणा रोड्रिग्स को उनका बंगला दोबारा सौंप दिया गया है। यह वही बंगला है जिसे 2022 में रक्षा संपदा विभाग और कैंट बोर्ड ने बलपूर्वक कब्ज़े में ले लिया था।
2022 की कार्रवाई असंवैधानिक घोषित
21 दिसंबर 2022 को कैंट बोर्ड और डिफेंस एस्टेट ऑफिस ने बिना अदालती आदेश के बंगले पर ताला लगाकर कब्ज़ा किया था। यह कार्रवाई पूर्व में यहां रहे डीईओ और सीईओ के आदेश पर हुई थी। उस समय घर की अधिपत्यधारी अरुणा रोड्रिग्स को बाहर निकाल दिया गया था।
हालांकि इस मामले में जब उच्च न्यायालय खंडपीठ, इंदौर में याचिका दायर की गई, तो अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह कब्ज़ा अवैध और असंवैधानिक था। न्यायालय ने 15 दिन की समयसीमा में बंगले को फिर से अधिपत्यधारी को सौंपने का निर्देश दिया।
निचली अदालत ने भी आदेश को दोहराया
बंगले पर जब पुनः कब्ज़ा बरकरार रखा गया और अदालती आदेशों का पालन नहीं किया गया, तो महू के चतुर्थ जिला न्यायालय ने 16 जून की सुनवाई में फिर से स्पष्ट किया कि बंगले पर ताला हटाकर अधिपत्य सौंपा जाए।
तदनुसार, प्रशासन ने उसी दिन बंगले का ताला तोड़कर अरुणा रोड्रिग्स को कब्जा सौंप दिया।
क्या कहा कोर्ट ने?
“दोनों विभागों ने अदालत के आदेश की अवमानना की थी। अब दोबारा सुनवाई की कोई आवश्यकता नहीं, बंगले का अधिपत्य पूर्ववत बहाल किया जाए।”
अब स्थिति स्पष्ट है
- बंगले का कब्जा 2022 में बलपूर्वक लिया गया था
- उच्च न्यायालय ने 2024 में कब्जा वापसी का आदेश दिया
- 2025 में निचली अदालत ने भी उसे दोहराया और आदेश का क्रियान्वयन हुआ अरुणा रोड्रिग्स को अब बंगला वापस मिल चुका है