वाल्मिकी समाज के नायक गोगा देव जन्मोत्सव में इस बार ब्राम्हण और वैश्य भी होंगे शामिल


वाल्मिकी समाज के आराध्य गोगा देव जन्मोत्सव में अब रुचि ले रहे अन्य समाज,
निशानों की पूजा अब ब्राम्हण और वैश्य परिवरों में भी होगी


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :
गोगा देव जन्मोत्सव में पूजे जाने वाले निशान


इंदौर। महू में इस बार लोक नायक गोगा देव चौहान का जन्मउत्सव एक अलग तरह से मनाया जा रहा है। इस बार वाल्मिकी समाज के इस कार्यक्रम में अन्य समाज भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। इसके लिए समाजजनों ने कार्ययोजना भी बना ली है। कहा जा रहा है कि सात अगस्त को होने वाले इस कार्यक्रम में एक ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिलेगा जो सामाजिक एकता की कोशिशों को बल देगा। शहर के अंदर होने जा रहे इस प्रयोग के कई मायने बताए जा रहे हैं और इनमें सबसे बड़ा संदेश है कि धार्मिक रुप से समाजों को जोड़ना जो आने वाले समय में राजनीतिक लाभ-हानि भी तय कर सकता है।

वाल्मीकि समाज के आराध्य देव गोगा देव चौहान का जन्म उत्सव इस बार महू शहर में एक अनूठे तरीके से मनाया जाएगा। गोगा देव चौहान के जन्म उत्सव पर निकलने वाले निशानों की वाल्मीकि समाज के ही घरों पर ही पूजन किया जाता है लेकिन इस साल निशानों का पूजन अन्य समाजों की परिवारों के घरों पर होगा वह आयोजन रविवार 7 अगस्त की शाम सात बजे होगा।

वाल्मिकी समाज के परिवारों में गोगादेव चौहान की पूजा-अर्चना सवा महीने तक होती है। कहा जाता है कि यह पूजा काफी कठिन होती है। रामादल संस्था द्वारा गोगा देव चौहान के इस जन्मोत्सव में अन्य समाजों को शामिल करने के यह प्रयास किये जा रहे हैं। संस्था के लोकेश शर्मा का मानना है कि गोगादेव चौहान सिर्फ वाल्मिकी समाज के ही नहीं बल्कि सभी समाज के भगवान हैं। ऐसे में सभी लोगों को गोगादेव का यह जन्मोत्सव मनाना चाहिए।

लोकेश शर्मा ने बताया कि हमारा पहला प्रयास है कि गोगा देव चौहान उत्सव में अन्य समाज के लोग भी अपनी सहभागिता निभाएं इसके लिए रविवार 7 अगस्त को इन निशानों को अन्य समाजों के परिवारों के घर ले जाया जाएगा। जहां अन्य समाज के लोग पूजा करेंगे तथा उस्तादों का सम्मान करेंगे। इस वर्ष महू तहसील में 19 निशान निकाले जाएंगे।

शर्मा ने बताया कि उनकी संस्था के आग्रह पर अन्य समाज के लोगों ने भी इसके लिए सहमति दी है और संदेश दिया है कि वे भी गोगादेव के पूजन में अपनी सहभागिता करेंगे। इसके लिए समाज जनों की बैठक संपन्न हुई है आयोजन रविवार की शाम सात बजे होगा यह सभी निशान एक ही समय पर इनके घर जाएंगे इनका स्वागत पूजन किया जाएगा। महू शहर में इस प्रकार का यह पहला व अनूठा आयोजन होगा।

वाल्मिकी समाज में गोगादेव का विशेष महत्व है। ऐसे में समाजजन गोगादेव की पूजा पूरी आस्था और उल्लास से करते हैं। भारतीय समाज में जातिगत भेदभाव सदा से रहा है। ऐसे में गोगादेव एक लोकदेवता के रुप में भी केवल वाल्मिकी समाज तक ही सीमित रहे हैं और ज़ाहिर तौर पर कथित उंचे समाज इससे दूर रहे लेकिन अब संस्था रामादल का यह प्रयास सराहनीय कहा जा सकता है। आने वाले दिनों में अगर समाज में यह बदलाव वाक़ई होता है तो निश्चित रुप से एक नई और बेहतर व्यवस्था को जन्म देगा। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि यह प्रयास सामाजिक व्यवस्था से ज्यादा राजनीतिक रुप से मजबूत करने वाला भी है।



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