इंदौर में महू भाजपा सबसे कमज़ोर साबित हुई, क्या स्थानीय नेतृत्व है इसका कारण!


कैबिनेट मंत्री उषा ठाकुर, राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक सोमानी, जनपद अध्यक्ष पूर्व लीला पाटीदार, भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष मनोज ठाकुर और 5 मंडल अध्यक्ष होने के बावजूद यहां भाजपा का परफार्मेंस कमजोर रहा है। 


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :

इंदौर। त्रिस्तरीय पंचायत जनपद पंचायत चुनाव के नतीजे कमोबेश सामने हैं और इंदौर ज़िले में स्थिति करीब-करीब  साफ हो गई है। इस बार चुनाव में भाजपा एक बार फिर अपना अध्यक्ष बनाने में सफल तो होगी लेकिन जनाधार की बात करें तो भाजपा को अपने मजबूत क्षेत्र महू में निराशा मिली है। यहां जिला पंचायत सदस्य लेकर जनपद सदस्य और सरपंच में भी भाजपा का प्रतिनिधित्व कम हुआ है। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि इस बार ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा कमजोर हो रही है।

जनपद पंचायत चुनाव को लेकर प्रशासन ने सभी विजय प्रत्याशियों की अधिकृत घोषणा कर दी है। महू में गत वर्ष भाजपा का परचम लहराया था लेकिन इस बार यह रंग काफी हल्का पड़ता नजर आ रहा है। महू तहसील में जिला पंचायत के तीन पूर्व अध्यक्ष ओम प्रसाद या रामकरण भामर और कविता पाटीदार रहीं हैं। कविता पाटीदार वर्तमान में राज्यसभा सदस्य भी हैं इसके अलावा स्थानीय विधायक और कैबिनेट मंत्री उषा ठाकुर, राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक सोमानी, जनपद अध्यक्ष पूर्व लीला पाटीदार, भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष मनोज ठाकुर और 5 मंडल अध्यक्ष होने के बावजूद यहां भाजपा का प्रदर्शन कमजोर रहा है।

हालांकि बहुत से नेताओं की यह शिकायत रही कि तहसील का नया नेतृत्व उन्हें तवज्जो देना नहीं चाहता क्योंकि वे विरोधी खेमे के हैं यानी पूर्व विधायक कैलाश विजयवर्गीय के सर्मथक हैं। ऐसे में साफ़ है कि महू भाजपा में गुटबाज़ी भी कम नहीं है और विजयवर्गीय के जाने के काफी समय बाद भी वे यहां की राजनीति को चाहे-अनचाहे प्रभावित करते हैं।

जिला पंचायत की सीटों पर पार्टी को तीन जगह नुकसान हुआ है। इस बार पांच सीटों पर भाजपा के दो नेता ही जीते हैं। इसके अलावा जनपद सदस्यों की संख्या भी कम हुई है। इससे पहले 25 में से 19 सदस्य भाजपा से थे लेकिन इस बार यह संख्या घटकर 14 रह गई है। महू जनपद में जहां पिछली बार 55 सरपंच भाजपा का सर्मथन लेकर आए थे तो वहीं इस बार पार्टी के सर्मथन के साथ केवल 41 यहां पहुंचे हैं। भाजपा का गिर रहा जनाधार केवल जीती हुई सीटों से नहीं बल्कि जीत के अंतर से भी स्पष्ट हो रहा है।

खुद भाजपा के ज़मीनी नेता इस प्रदर्शन से काफी नाख़ुश हैं। उनके मुताबिक इस बार स्थानीय नेतृत्व बहुत मज़बूत नहीं था और यही वजह रही कि इंदौर जिले में पार्टी का सबसे ख़राब प्रदर्शन महू में देखा गया। इन नेताओं की मानें तो प्रदेश संगठन और संघ इस स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और इस बारे में जमीनी कार्यकर्ताओं से संपर्क में भी हैं।

इसके अलावा यदि नोटा की बात करें तो सिमरोल में 11, कोदरिया में 41, बंजारी में 29 और गूजरखेड़ा में 22 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया है। जनपद अध्यक्ष के लिए इस बार भाजपा की ओर से सरदार मालवीय तथा सुनीता लाहौर दौड़ में है क्योंकि महू जनपद अध्यक्ष पद का आरक्षण एससी कोटे के लिए आरक्षित हुआ है।

सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि इस बार चुनाव में भाजपा ही भाजपा के लिए घातक साबित हुई है।  भाजपा के मंडल अध्यक्ष सुनील गहलोत चुनाव हार चुके हैं वहीं ग्राम भगोरा में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष व भाजपा के कद्दावर नेता अशोक सोमानी और उनकी पूरी टीम को करारी हार का सामना करना पड़ा है।

भाजपा की यह कमजोरी कांग्रेस के लिए भले ही जीत का कारण नहीं बन सकी लेकिन कांग्रेस को इन चुनावों में काफी मजबूती मिली है। ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक पार्टी को सभी में बेहतर परिणाम मिले हैं। ऐसे में कांग्रेसी नेता जनपद पंचायत के अध्यक्ष पर भी नजर रखे हुए हैं और ख़बरों की मानें तो इसके लिए कोशिशें भी तेज़ हैं।



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