खिलाड़ियों ने की मैदान की मांग, विरोध में चौराहे पर खेला फुटबॉल


शहर में 35 क्लब लेकिन आजादी से खेलने के लिए एक मैदान नहीं, यही वजह है कि कभी इस शहर को खेल नगरी के रूप में जाना जाता था लेकिन अब नहीं।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :

इंदौर। खेलों की नगरी महू के खिलाड़ियों को खेल मैदान के लिए अब सड़कों पर उतरना पड़ा है। राज्य शासन द्वारा बनाए गए स्टेडियम में खिलाड़ियों को खेलने नहीं दिया जा रहा है और ना ही किसी प्रतियोगिता का आयोजन करने दिया जा रहा है। जिसके विरोध में फुटबॉल क्लब के खिलाड़ियों ने शहर के ड्रीम लैंड चौराहे पर सड़क पर फुटबॉल खेल कर अपना विरोध दर्ज कराया तथा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर स्टेडियम आम खिलाड़ियों को खेलने के लिए देने की मांग की।

फुटबॉल प्रतियोगिता के लिए फुटबॉल अकादमी का स्टेडियम नहीं देने के विरोध में महू फुटबॉल क्लब के खिलाड़ियों ने अपना विरोध किया वा ड्रीमलैंड चौराहे पर पहुंचकर सड़क पर फुटबॉल खेला। यहां सड़क पर खेलने के लिए 15 मिनट की अनुमति दी गई थी।

प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस नेता कैलाश दत्त पाण्डेय, मुकेश शर्मा आदि कई पूर्व खिलाड़ी और खेल प्रेमी मौजूद रहे।

इसके बाद खिलाड़ी संगठनों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम ज्ञापन सौंपा तथा स्टेडियम फुटबॉल प्रतियोगिता के लिए देने की मांग की। खिलाड़ियों के इस आंदोलन में जिला फुटबॉल संघ वरिष्ठ खिलाड़ी संगठन समितियां अपना समर्थन दिया मुख्य रूप से लोकेंद्र वर्मा, कैलाश दत्त पाण्डेय, मुकेश शर्मा, अजय वर्मा, मो. इस्लामुद्दीन, सुंदरदास हेमनानी, सुरेश वेद सहित अनेक खिलाड़ी मौजूद थे।

 

इस संबंध में जिला खेल अधिकारी रीना चौहान का कहना है कि या स्टेडियम एकेडमी के खिलाड़ियों के लिए है। अन्य क्लब खिलाड़ी खेलेंगे तो मैदान खराब हो जाएगा इसके अलावा अगर प्रतियोगिताएं आयोजित करने दी जाएगी तो फिर खिलाड़ी अभ्यास नहीं कर पाएंगे

महू शहर खेलों की नगरी से जाना जाता है इस शहर में विश्व स्तरीय हॉकी व फुटबॉल के खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने अपने प्रदर्शन के दम पर दुनिया भर में अपना नाम कमाया जिसमें किशन दादा, गुरबख्श सिंह, शंकर लक्ष्मण, सहित कई खिलाड़ी हैं।

महू शहर में हॉकी और फुटबॉल मुख्य रूप से खेले जाते थे लेकिन अब यहां मैदान के अभाव में यह पूरी तरह खत्म होने की ओर है।

फुटबॉल खेल की बात करें तो करीब 35 फुटबॉल क्लब है लेकिन इनके खेलने के लिए पर्याप्त मात्रा में मैदान नहीं है। गेरिसन मैदान सेना का है जहां खेलने तो दिया जाता है लेकिन कोई प्रतियोगिता आयोजित नहीं करने दी जाती।

अकादमी आई लेकिन फुटबॉल नहीं…

इसके अलावा हाई स्कूल में एक बड़ा मैदान था जहां पर एक समय में दो से तीन क्लब के खिलाड़ी प्रतिदिन सुबह-शाम अभ्यास करते थे। यहां पर प्रशासन के खेल विभाग ने फुटबॉल अकादमी की शुरुआत की और एक अच्छा स्टेडियम बनाया लेकिन यहां एकेडमी के खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। यहां अकादमी से बाहर के खिलाड़ियों को यहां खेलने की अनुमति नहीं है न यहां किसी प्रकार की प्रतियोगिता आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जाती है।

 



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