
महू विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार ने 25 जनवरी को ड्रीमलैंड चौराहे पर धरना प्रदर्शन किया। यह धरना उस समय हो रहा है जब कांग्रेस पार्टी महू में एक बड़े कार्यक्रम जय बापू जय भीम जय संविधान की तैयारी कर रही है, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के आने की संभावना है।
अंतर सिंह दरबार ने सुनाई आपबीती
धरने के दौरान अंतर सिंह दरबार ने कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी हालातों और अपनी आर्थिक परेशानियों को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016, 2018 और 2022 में जब राहुल गांधी के महू में कार्यक्रम आयोजित हुए, तो उनकी पूरी जिम्मेदारी उन्हें दी गई थी। इस दौरान उन्होंने कार्यक्रमों की व्यवस्था और अन्य खर्चों के लिए अपनी जेब से भारी धनराशि खर्च की।
दरबार ने बताया कि जब उन्होंने इन खर्चों को लेकर प्रदेश और जिला कांग्रेस के बड़े नेताओं से मदद मांगी, तो किसी ने उनकी सहायता नहीं की। उन्होंने विशेष रूप से महू जिला कांग्रेस अध्यक्ष सदाशिव यादव का जिक्र किया और कहा कि यादव ने हमेशा उनकी बातों को अनसुना किया। उन्होंने कहा, “कार्यक्रम में अपना नाम जुड़वाने के लिए तो ये नेता सबसे आगे रहते थे, लेकिन जैसे ही खर्च की बात आती, वे भाग खड़े होते थे।”
कर्ज में डूबकर बेची जमीन
अंतर सिंह दरबार ने यह भी खुलासा किया कि कांग्रेस के कार्यक्रमों के लिए किए गए भारी खर्च के कारण वे कर्ज में डूब गए थे। इस कर्ज को चुकाने के लिए उन्हें अपनी जमीन तक बेचनी पड़ी। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने इन परेशानियों के बारे में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी बताया, तो हर बार उनकी बातों को टाल दिया गया।
दरबार ने कांग्रेस के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी में केवल बड़े नेताओं की जीहजूरी करने वालों को ही महत्व दिया जाता है। वहीं, जब किसी को आर्थिक सहायता की जरूरत होती है, तो पार्टी के नेता अपनी जिम्मेदारी से बचते नजर आते हैं।
स्थानीय कांग्रेस में हलचल, प्रदेश नेतृत्व मौन
अंतर सिंह दरबार का यह धरना कांग्रेस के स्थानीय और प्रदेश स्तर के नेताओं के लिए चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और अन्य बड़े नेता इसे गंभीरता से नहीं ले रहे और दरबार की हंसी उड़ा रहे हैं। लेकिन स्थानीय कांग्रेस के कई नेता दरबार की बातों से सहमति जता रहे हैं, हालांकि वे खुलकर इसका समर्थन नहीं कर रहे।
धरने का समय और उद्देश्य
27 जनवरी को राहुल गांधी के दौरे से ठीक पहले इस धरने ने कांग्रेस के अंदरूनी हालातों को उजागर कर दिया है। दरबार ने कहा कि उनका यह प्रदर्शन कांग्रेस पार्टी को यह अहसास दिलाने के लिए है कि उन्होंने पार्टी के लिए न केवल राजनीतिक बल्कि आर्थिक तौर पर भी बड़ी कुर्बानियां दी हैं।
क्या कहते हैं जानकार?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दरबार का यह धरना न केवल उनकी व्यक्तिगत शिकायतों को सामने लाता है, बल्कि कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे और आंतरिक संवाद की कमजोरियों को भी उजागर करता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि 27 जनवरी को राहुल गांधी के दौरे के दौरान पार्टी इस मुद्दे को किस तरह संभालती है।
अंतर सिंह दरबार का यह कदम भाजपा में उनके शामिल होने के बाद कांग्रेस पर उनकी नाराजगी का स्पष्ट संकेत है। अब देखना यह है कि उनका यह विरोध क्या महू और प्रदेश कांग्रेस में कोई बड़ा बदलाव ला पाएगा या नहीं।