वैक्सीन है नहीं और एमपी की मंत्री उषा ठाकुर कहती हैं कि यज्ञ करो कोरोना ख़त्म हो जाएगा


मंत्री ठाकुर ने कहा कि हिरोशिमा नागासाकी की बात करें। भोपाल गैस त्रासदी का ही अध्ययन कर लीजिए। वहां का इकलौता राठौर परिवार जिंदा बचा था।


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इन्दौर Updated On :

इंदौर। कोरोना को लेकर तमाम वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के विचारों और उनकी रिसर्च से दूर भाजपा के नेताओं की तर्कहीन बयानबाज़ी जारी है।

प्रदेश में वैक्सीन की कमी है और 18 साल से अधिक उम्र वालों के लिए वैक्सीन लगवाने में काफी परेशानी हो रही है ऐसे में लोगों का ध्यान दूसरे उपायों की ओर ले जाया जा रहा है।

कोरोना काल के दौरान मास्क न पहनने के लिए मशहूर हुईं मंत्री उषा ठाकुर ने कोरोना को दूर करने के लिए यज्ञ हवन करने को लेकर भी कई बार बयान दिए हैं।

मंत्री उषा ठाकुर ने गुरुवार को कहा है कि उन्हें नहीं लगता कि आजादी के बाद से हजारों साल की गुलामी में… हम में से किसी ने भी वेदों को ठीक से पढ़ा है। जिन्होंने वेदों को पढ़ा है, वे जानते हैं… आप अथर्व वेद का अध्याय-2, सर्ग 31.. निकालिए। उसमें लिखा है, जब-जब महामारियों ने दुनिया को घेरा, तब किस प्रकार से हमारे लोगों ने उससे बचाव किया।

उन्होंने कहा जब मलेरिया फैलता है, तो हम क्लोरोक्वीन देते हैं, इंजेक्शन लगाते हैं। इसके अलावा, हम धुएं के लिए भी तो कहते हैं। शहर में फाॅगिंग भी करवाया जाता है। हम यह फाॅगिंग कीटाणुओं को नष्ट करने और मच्छरों मारने के लिए करते हैं। इसमें कुछ केमिकल मिला हाेता है।

ठीक वैसे ही यज्ञ का फाॅगिंग औषधियों का है यानी इसमें औषधियों का धुआं उड़ता है। वाे औषधि सांसाें के जरिए रक्त में समाहित हाेती है। राेग प्रतिराेधक क्षमता बढ़ाती है। वातावरण स्वच्छ करती है। आज काेराेना की एक बड़ी वजह प्रदूषित वातावरण भी है। उन्हाेंने कहा कि हमें किसी समस्या के जड़ से समाधान पर नहीं जाना चाहिए।

 उन्होंने कहा कि हमारे यहां हमेशा से होता आ रहा है। जो यह कर रहे हैं, वे सुरक्षित भी हैं। मैं तथ्यों पर बात करती हूं। चेरनोबिल गैस रिसाव हुआ और पूरी भूमि बंजर हुई। वहां गाय के गोबर के कंडे और अक्षत घी से जो यज्ञ हुआ, पूरी जमीन उपजाऊ हो गई।

उन्होंने कहा कि हिरोशिमा नागासाकी की बात करें। भोपाल गैस त्रासदी का ही अध्ययन कर लीजिए। वहां का इकलौता राठौर परिवार जिंदा बचा था।

उन्होने कहा कि जब उस इकलौते बचे परिवार को लेकर अध्ययन किया गया, तो पता चला कि वह परिवार 12 महीने यज्ञ में आहुतियां डालता था। उसके परिवार के हर सदस्य के साथ ही घर के पक्षी और कुत्ता, गाय तक सुरक्षित बचे रहे।

यह एक उदाहरण है। जो इस व्यवस्था में विश्वास रखते हैं, सनातन धर्म को मानते हैं। वैदिक जीवन का पालन करते हैं। हम तो सभी से आग्रह कर रहे हैं, यह कर्मकांड नहीं हैं। वैदिक जीवन का पालन कर खुद को सुरक्षित रखें।

इससे पहले मंत्री ठाकुर ने लोगों से अपील की थी कि पर्यावरण की शुद्धि के लिए 10, 11, 12 और 13 मई को सुबह 10 बजे सब लोग एक साथ यज्ञ में आहुति डालें। पर्यावरण को शुद्ध करें, क्योंकि महामारियों के नाश में अनादिकाल से इस यज्ञ की पावन परंपरा है। यज्ञ चिकित्सा है, यह धर्मांधता नहीं है, यह कर्मकांड नहीं है, बल्कि यज्ञ पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए चिकित्सा है।



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