किसान ने दिखाई दरियादिली, जरूरतमंद बच्चों को पहना रहे जूते-चप्पल


साधारण किसान बाबू भाई की दरियादिली से गांव के गरीब के चेहरों पर झलक रही हैं खुशियां, बैसाख में नंगे पैर घूमते दिख रहे बच्चे, बुजुर्ग जैसे जरूरतमंद 1000 लोगों को चप्पल-जूते पहनाने का लिया है संकल्प।


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Published On :
farmer babu bhai patel

नरसिंहपुर। कहते हैं जिसे समाजसेवा या लोगों का भला करने का जज्बा हो या जो मानते हैं कि नर में ही नारायण है या जरूरतमंद व्यक्ति की सेवा ही नारायण सेवा है तो वह किसी न किसी तरह से परमार्थ करते ही रहते हैं। नरसिंहपुर जिले में एक साधारण किसान को भी समाजसेवा का ऐसा जज्बा आया कि वह किसी ना किसी तरह लोगों का भला करने में आगे रहते हैं।

अभी चल रहे वैशाख माह में एक साधारण किसान बाबू भाई गांव के ऐसे लोगों को जूते-चप्पल पहना रहे हैं जो उन्हें अनायास नंगे पैर दिख जाते हैं। चाहे वह मासूम बच्चे हों या बुजुर्ग।

आमतौर पर वैशाख में पुण्य, परोपकार के लिए लोग कई तरह के कार्य करते हैं। कोई प्यासे लोगों को पानी देने के लिए प्याऊ खुलवा देता है तो कोई किसी परिक्रमा वासियों को सदाव्रत या दान देता है। कोई किसी भूखे गरीब को भोजन खिलाता है।

समाज में यह उदाहरण कई वर्षों से देखते-सुनने को मिलते हैं। ऐसे ही परोपकार का जज्बा एक साधारण किसान बाबूलाल पटेल को है। उन्होंने वैशाख माह में जरूरतमंद 1000 लोगों को जूते-चप्पल पहनाने का संकल्प लिया है और इसे वह बखूबी कर रहे हैं।

नरसिंहपुर में रहने वाले किसान बाबूलाल पटेल की खेती-बाड़ी ग्राम समनापुर में है। लगभग 20-22 किलोमीटर दूर रोज आने-जाने और आसपास के गांव में भ्रमण करने के दौरान उन्हें अगर कोई बच्चा तपती दुपहरी में या किसी वक्त भी नंगे पैर दिखता है तो वह अपनी गाड़ी रोकते हैं और गाड़ी में रखे उसके नाप की जूता या चप्पल निकालते हैं और उसे पहना देते हैं।

इसके अलावा, कभी किसी बच्चे को टॉफी दे देते हैं तो कभी किसी बुजुर्ग को बिस्किट का पैकेट पकड़ा देते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। वह अकसर किसी गांव में एक जगह रुक कर आसपास के ऐसे बच्चों को बुला लेते हैं और उन्हें उनकी उम्र और उनके पैर की नाप के मुताबिक जूते-चप्पल पहना देते हैं।

यद्यपि यह सब गुमनामी में हो रहा है। उन्हें ना कोई छपास का रोग है और ना ही वह किसी को इस तरह के कार्यों के बारे में बतलाते हैं। अलहदा जानने वाले लोग जरूर यह कहते हैं कि वह हर साल इस तरह कोई न कोई नेक कार्य का व्रत या संकल्प रखते हैं।

कुछ सालों पहले जब नरसिंहपुर जिले में सेना की भर्ती चल रही थी तो मध्यप्रदेश के आने वाले कई युवकों को ठहरने और उन्हें भोजन देने का नेक कार्य भी उन्होंने कई हफ्ते यहां किया था।

उनकी नेकी ऐसे लोगों के लिए भी एक सीखे है जो गाहे-बगाहे थोड़े से काम या दान का बढ़-चढ़कर दिखावा करते हैं। लेकिन, बाबू भाई चुपचाप व गुमनाम रहकर ही नेक जज्बा निभा रहे हैं।

देशगांव के इस संवाददाता को भी यह बात तो अनायास ही उस समय पता चली जब एक गांव में कुछ भीड़ दिखी। जानकारी जुटाई तो पता चला कि नेकी कर दरिया में डाल का फलसफा अपनाने वाले बाबूभाई जरूरतमंद लोगों के चेहरे पर खुशियां बिखेर रहे हैं।

पेशे से किसान बाबूलाल पटेल रोजाना किसी फुटवेयर शॉप से थोक में जूते-चप्पल खरीदते हैं और उन्हें बैग में रखकर गाड़ी से ले जाते हैं और जो भी जरूरतमंद दिखता है उसे तत्काल पहना देते हैं।



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