मोदी और योगी ने श्रेय लेने के लिए शंकराचार्यों को राममंदिर से रखा दूर


दोहराई हिंदू राष्ट्र की मांग, शंकराचार्यों की एकजुटता के विषय पर भी बोले, कहा नहीं चाहिए कोई श्रेय


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Published On :
नरसिंहपुर के कलेक्टर और एसपी पहुंचे शंकराचार्य से मिलने


नरसिंहपुर। पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के मुताबिक राम मंदिर का निर्माण तो हुआ लेकिन इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी और उप्र के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसका पूरा श्रेय लिया। श्रेय लेने की इस राजनीति के लिए शंकराचार्यों को इससे दूर रखा गया। मोदी योगी न तो श्रेय देना चाहते हैं और न ही हम शंकराचार्य श्रेय लेना चाहते हैं।

गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती पिछले दिनों राष्ट्र उत्कर्ष अभियान के तहत करेली पहुंचे। दो दिनों की अपनी इस यात्रा के क्रम में उन्होंने अगले साढ़े तीन वर्ष में भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित होने की प्रतिबद्धता की बात दोहराई।

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने देशगांव से कुछ खास मुद्दों पर चर्चा हुई। पेश हैं इस बातचीत के कुछ अंश।

सवालः राष्ट्र उत्कर्ष अभियान के क्रम में आप देश को अगले साढे तीन वर्षों में हिंदू राष्ट्र घोषित होने की बात करते हैं जबकि भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता की व्याख्या करता है, आपको लगता है कि ऐसा सम्भव हो सकेगा ?

जवाबः धर्मनिरपेक्ष शब्द गंभीर है लेकिन धर्मनिरपेक्षता का कोई अर्थ तब नहीं होता जब कोई वस्तु या चीज की पहचान उसकी संपूर्णता गुणधर्म से युक्त होती है। उदाहरण के लिए किसी प्यासे व्यक्ति के लिए पानी, पानी का गुणधर्म है प्यास बुझाना, भूखे व्यक्ति को भोजन, भोजन का गुणधर्म तृप्त करना है। इस तरह जब संपूर्ण गुणधर्म इस तरह के हों तो वह पहचान होती है। इसी पहचान के लिए हिंदू राष्ट्र की बात हो रही है।

सवालः कई वर्षों, कई दशक से देश के चारों पीठों के शंकराचार्यों में एकजुटता नहीं दिख रही है, क्या वजह है ?
जवाबः  ऐसा नहीं है, किसी का किसी से कोई बैर नहीं है। हम दिल्ली में एक मंच पर थे, बेंगलुरु में एक मंच पर थे। समय-समय पर सभी से संपर्क होता है। जब भी हम राष्ट्र और धर्म के लिए बोलते हैं तो सभी का एक दूसरे के प्रति मौन समर्थन रहता है। लेकिन हम सब जो बोलते हैं पूरी तरह से मन व प्राण से होता है। कभी किसी का कोई खंडन नहीं करता, सब के प्रति आपस में आदर भाव है।

 

सवालः आप भी उन शंकराचार्य में से हैं जिन्होंने राम मंदिर के लिए लगातार प्रयास किये थे, अब जब मंदिर निर्माण हो रहा है तो क्या सभी शंकराचार्यों को दरकिनार कर दिया गया है ?

जवाबः मोदी और योगी नहीं चाहते कि किसी और को यह श्रेय मिले। वह श्रेय देना नहीं चाहते और हम शंकराचार्य श्रेय लेना भी नहीं चाहते। हमारा उद्देश्य पूरा हो गया है कि राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। जब नरसिंहराव प्रधानमंत्री थे तब उनके शासनकाल में रामालय ट्रस्ट के प्रस्ताव पर सभी शंकराचार्य और वैष्णव आचार्यों ने काम किया। सभी ने हस्ताक्षर कर दिए पर मैंने हस्ताक्षर नहीं किए। इससे मुझे यातनाएं मिली, धमकियां मिली पर मैंने धैर्य नहीं खोया। आज लगता है कि राम जी की कृपा थी कि उसी धैर्य की वजह से काम हो रहा है अन्यथा वहां अगल-बगल में मंदिर – मस्जिद स्थित होती।

सवालः महानुशासन में किसी पीठ पर शंकराचार्य की नियुक्ति और उनके उत्तराधिकारी को लेकर काफी बृहद व्याख्या है पर अब उत्तराधिकारी को लेकर होड़ है, विवाद की स्थिति है ?

जवाबः आदि गुरु शंकराचार्य जी ने पीठ परंपरा, गुरु परंपरा को लेकर बेहतर व्यवस्था दी है। शंकराचार्य का पद प्रज्ञा शक्ति प्राण शक्ति का प्रतिष्ठित पद है इसकी गरिमा बनाए रखने की जवाबदारी आचार्यों की ही है।

सवालः आप प्रवचन पर वर्ण व्यवस्था पर जोर देते हैं, क्या यह मौजूदा स्थिति में तार्किक है ?
जवाबः कई प्रधानमंत्री – मुख्यमंत्री आए और चले गए परंतु वर्ण व्यवस्था जस की तस है। किसी के मिटाने से नहीं मिट सकती। गीता के प्रथम अध्याय में स्पष्ट लिखा है कि जाति धर्म और कुल धर्म व्यवस्था नहीं बदल सकती, यह सनातन और शाश्वत है।  देश राष्ट्र की विपन्नता को दूर करना है तो वर्ण व्यवस्था ही एकमात्र विकल्प है।

ब्रिटेन , जापान अमेरिका फ़्रान्स आदि जहां इस तरह की व्यवस्था नहीं है वहां विकल्प खोजे जा रहे हैं। हमारे यहां विकल्प हैं। ब्राह्मण शिक्षक का दायित्व निभाता है ,शिक्षण संस्थाएं गुरुकुल की। देश राष्ट्र की विपन्नता को दूर करना है तो वर्ण व्यवस्था ही एकमात्र विकल्प है। शिक्षा, रक्षा, अर्थ तंत्र और समग्र प्रकल्प के लिए यह जरूरी है।

सवालः आपने वैदिक गणित समेत लगभग 200 ग्रंथों की रचना की है पर आम जनता तक यह नहीं पहुंचे हैं ?
जवाबः वैदिक गणित वैसे भारतीतीर्थ जी महाराज की देन है। लगभग 1470 पृष्ठो में वैदिक गणित प्रकाशनाधीन है। वहीं भगवान सूर्य और शिव की कृपा से लगभग एकलाख पृष्ठों की सामग्री प्रकाशनाधीन है।

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नरसिंहपुर जिले में एक सप्ताह और चारों पीठ के शंकराचार्य

नरसिंहपुर जिले में फरवरी के अंतिम सप्ताह में चारों पीठ के शंकराचार्य जिले के प्रवास पर रहे। श्रन्गेरी के शंकराचार्य शंकर भारती जी बरमान पहुंचे ज्योतिष व द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती भी इस समय अपने आश्रम झोतेश्वर में है। इसी क्रम में पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती करेली पहुंचे पर आसपास रहने के बावजूद कोई शंकराचार्य आपस में मेल मुलाकात नहीं कर सके। ऐसे में कहा जा सकता है कि बेहद नजदीक रहते हुए भी इनमें दूरी बनी रही।

कलेक्टर और एसपी ने लिया आशीर्वादः पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से आशीर्वाद लेने नरसिंहपुर जिले के कलेक्टर रोहित सिंह ,पुलिस अधीक्षक विपुल श्रीवास्तव पहुंचे।  कलेक्टर सिंह ने शंकराचार्य जी को अपने गृह जिले रीवा में भी आमंत्रित किया।



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