सूखी हैं नहरें और सपने दिखा रहे 95 हजार हेक्टेयर में सिंचाई के


जिले में रानी अवंतीबाई नहर परियोजना के अतंर्गत माइनर-सबमाइनर नहरों का जाल बिछा है। जिले भर में लगभग 1226. 24 किमी लंबाई की नहरें हैं। इनमें माइनर और सबमाइनर नहरें गांव-गांव पहुंची है। इनके जरिए करीब 95 हजार हेक्टेयर क्षेत्र का रकबा है।


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Updated On :

नरसिंहपुर। पिछले कई वर्षो से नहरों के जरिए खेती-बाड़ी को सिंचाई के लिए पानी देने के लिए अधिकारी किसानों को सब्जबाग दिखा रहे हैं पर जरूरतमंद किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है। नहरें सूखी और कचरे से भरी पड़ी हैं। रबी सीजन की फसलों के लिए बहुत से किसान अपने साधनों टयूबवेल, बोरबेल से स्प्रिंकलर चलाकर सिंचाई कर रहे हैं लेकिन अधिकांश किसानों के पास टयूबबेल बोरवेल की व्यवस्था नहीं है। नहरों के भरोसे उनकी फसलें सूख रही हैं।

जिले में रानी अवंतीबाई नहर परियोजना के अतंर्गत माइनर-सबमाइनर नहरों का जाल बिछा है। जिले भर में लगभग 1226. 24 किमी लंबाई की नहरें हैं। इनमें माइनर और सबमाइनर नहरें गांव-गांव पहुंची है। इनके जरिए करीब 95 हजार हेक्टेयर क्षेत्र का रकबा है। जिनके जरिए खरीफ़ और रबी के मौसम में पानी की आपूर्ति के लिए मांग पत्र बुलाए जाते हैं।

रबी सीजन में भी रानी अवंतीबाई परियोजना ने किसानों से मांग पत्र बुलाए हैं। पानी के लिए अनुबंध की बात की लेकिन अधिकारियों को यह नहीं पता कि कितने मांगपत्र आए हैं। जल उपभोक्ता संथाओं को भी यह जानकारी नहीं है कि कौन किसान कितना पानी लेना चाहता है।

संथाओं की शिकायत यह है कि किसान पैसा नहीं दे रहे हैं, उन पर काफी बकाया है। उधर रबी फसलों की सिंचाई के लिए गोटेगांव, नरसिंहपुर करेली तहसील के 186 गांव के किसानों से 31 मार्च तक मांग पत्र और अनुबंध प्रस्तुत करने को कहा गया ताकि नहरों से निर्धारित समय तक पानी दिया जा सके।

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यहां 186 गांवों में 41 हजार हेक्टेयर गांवों में रबी फसलों की सिंचाई का लक्ष्य है। जबकि दूसरी ओर गाडरवारा, करेली तहसील की 23 जल उपभोक्ता संथाओं के 134 गांवों के किसानों से भी मांग पत्र मांगे गए हैं ताकि इन गांवों में 21 हजार 925 हेक्टेयर में रबी फसल की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जा सके लेकिन हालात यह हैं कि कहीं नहरें कचरों से भरी पड़ी हैं तो कहीं साफ सफाई है तो उनमें पानी नहीं है।

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सूखी नहरें किसानों के लिए किसी काम की नहीं हैं। मजबूरी में उन्हें पाईप और सिंचाई के साधन किराए पर लेकर फसल की सिंचाई करनी पड़ रही है। मंहगी हो रही खेतीबाड़ी के कारण सिंचाई के लिए लागत भी बढ़ी है।

 अभी मांग पत्र ज्यादा नहीं आए हैं, 20 -25 मांगपत्र ही हैं। जब ज्यादा मांग पत्र आएंगे और किसान पानी मांगेगें तो पानी छोड़ा जाएगा। अभी पानी छोड़ेगें तो वह गेहूं-चने के खेत में भर जाएगा। पानी तो गन्ने के खेत वालों के लिए है और फिर अभी किसान पैसा ही नहीं दे रहे हैं। काफी राजस्व बकाया है। उनके डिवीजन के अंतर्गत 22 हजार 189 हेक्टेयर क्षेत्र का कमांड एरिया है।

एसके मालवीय, प्रभारी कार्यपालन यंत्री, रानी अवंतीबाई सागर नहर परियोजना



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