धार जिले के बदनावर की रहने वाली संस्कृति सोमानी ने UPSC में हासिल की 49वीं रैंक


धार भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज सोमानी की बेटी है संस्कृति को दूसरे प्रयास में मिली सफलता।


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घर की बात Published On :
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धार। मध्यप्रदेश के धार जिला अध्यक्ष मनोज सोमानी की बेटी संस्कृति सोमानी ने आईएएस परीक्षा में 49वीं रैंक हासिल कर बदनावर तहसील के साथ-साथ पूरे जिले का नाम रोशन किया है।

परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद बदनावर में जश्न का माहौल है। इतनी अच्छी रैंकिंग से परीक्षा पास करने पर शहर के अलग-अलग इलाकों में आतिशबाजी की जा रही है, साथ ही लोग एक-दूसरे को मिठाई बांटकर खुशियां बांट रहे हैं। इस जश्न का बड़ा कारण ये भी है कि बदनावर इलाके में ऐसा पहली बार है जब किसी बेटी का यूपीएससी परीक्षा में सिलेक्शन हुआ है।

संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी ने मंगलवार को सिविल सर्विस एग्जाम UPSC CSE 2022 का फाइनल रिजल्ट घोषित किया। इसमें बदनावर की रहने वाली संस्कृति सोमानी भी देशभर में 49वीं रेंक के साथ पास हुई हैं।

संस्कृति भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज सोमानी की बेटी हैं जो फिलहाल दिल्ली में रह रही हैं और इस परीक्षा के लिए तैयारी कर रही थीं। अपनी इस सफलता के बाद संस्कृति ने इसका श्रेय माता-पिता, परिवार के सदस्यों के साथ-साथ अपने गुरुजनों को दिया है।

संस्कृति का कहना है कि मेरी सफलता के पीछे बदनावरवासियों का भी अहम किरदार है। पिता जी से मिलने आने वाले सभी लोगों ने हमेशा पढ़ाई में मुझे शुभकामनाएं देते हुए मेरा हौंसला बढ़ाया है।

संस्कृति के पिता मनोज सोमानी का कहना है कि उसने दूसरे प्रयास में ये सफलता प्राप्त की है। पहले प्रयास में भी संस्कृति ने रिटर्न एग्जाम तो पास कर लिया था, लेकिन इंटरव्यू सेशन में पास नहीं हो सकी थी।

संस्कृति का लक्ष्य अटल था। बचपन से ही उसका लक्ष्य था कि वह बड़ी होकर आईएएस अफसर बने। उसने इसकी तैयारियां शुरू कर दी थी। फिलहाल, वो दिल्ली में रहकर आईएएस परीक्षा की तैयारी कर रही थी। फिलहाल, रिजल्ट घोषित होने के बाद से ही उसकी खुशी का ठिकाना नहीं है।

मोबाइल से बनाई दूरी –

भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज सोमानी की दो बेटियां हैं। संस्कृति छोटी बेटी है। सोमानी ने दोनों बेटियों को हमेशा बेटों की तरह ही रखा है। मनोज सोमानी के अनुसार, इन दिनों जब देशभर के अधिकतर युवा मोबाइल के बिना जीवन अधूरा समझते हैं, ऐसे दौर में संस्कृति ने मोबाइल से दूरी बनाकर पढ़ाई की और फिर ये सफलता हासिल की है।

मनोज के अनुसार, उसके पढ़ने का समय निर्धारित नहीं था, लेकिन नींद लेने के अलावा उसके पास जितना भी समय होता, उसे वो पढ़ने और चीजों को समझने में ही बिताती थी और आज इसका परिणाम हमारे सामने है। उसकी पढ़ाई के लिए घर में एक अलग कमरा बना रखा था, जिसमें दिनभर का अधिकतर समय वो वहीं बिताती थी।



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