दुनिया का सबसे महाबली देश कर रहा है आटे के संकट का सामना


पाठकों के लिए ये खबर मुमकिन है ज्यादा महत्वपूर्ण न हो, लेकिन हकीकत ये है कि दुनिया के महाबली देश अमेरिका में इन दिनों भारतीय आटा संकट से दो-चार हो रहे हैं।


rakesh-achal राकेश अचल
अतिथि विचार Published On :
flour crisis in america

रोज चटपटी, अटपटी खबरें पढ़ने के आदी पाठकों के लिए ये खबर मुमकिन है ज्यादा महत्वपूर्ण न हो, लेकिन हकीकत ये है कि दुनिया के महाबली देश अमेरिका में इन दिनों भारतीय आटा संकट से दो-चार हो रहे हैं। भारतीय आटे का चर्चित ब्रांड ‘आशीर्वाद’ तो आजकल खोजने पर भी नहीं मिल रहा।

अमेरिका में रहने वाले लाखों भारतीय भले ही वर्षों से अमेरिकी आबोहवा के आदी हो गए हैं लेकिन उन्होंने अब तक रोटी खाना नहीं छोड़ा है। अमेरिका में रहने वाली भारतीय महिलाओं को भले ही आटा गूंथना और रोटी बेलना न आता हो किन्तु रोटी सबको चाहिए। आटा गूंथने और रोटी बनाने का काम तो मशीनों से हो जाता है, लेकिन आटे का कोई विकल्प नहीं है। आटा भी भारतीय ब्रांड का चाहिए।

ताज़ा खबर अफवाहों की तरह फैल रही है। मीरा ने नीरा को नीरा ने बबली को और बबली ने श्वेता को खबर दी कि इंडियन स्टोर से आटा मंगा लो वरना मुश्किल होगी। देखते-देखते भारतीयों को जिस ब्रांड का जो आटा मिला, उठा लिया। यहां ज्यादातर भारतीय आशीर्वाद ब्रांड आटा इस्तेमाल करते हैं। अमेरिका के बाजारों में दुनिया की हर चीज मिलती है। बस आपके पास डॉलर होना चाहिए। विसंगति ये है कि भारतीयों के पास डॉलरों की कमी नहीं है, लेकिन उनके लिए आटा जरूर एक समस्या है।

भारत सरकार द्वारा छह महीने पहले अमेरिका को गेहूं निर्यात पर लगाई गई रोक के बाद आटा भी खुद ब खुद चपेट में आ गया। कहने को अमेरिका गेहूं का दुनिया का तीसरा बड़ा उत्पादक देश है, लेकिन जो स्वाद भारतीय गेहूं में है वो अमेरिकी गेहूं में कहां? अमेरिका में भारतीय सामग्री बेचने वाले तमाम स्टोर हैं। पटेल ब्रदर्स और टर्मरिक जैसी कंपनियों के पास भी आटा स्टाक से बाहर होता जा रहा है।

अमेरिका में स्थानीय लोग गेहूं के अलावा मक्का का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं। बड़ी आबादी मांसाहारियों की है। अमेरिकी रोटी नहीं खाते किंतु मैदे से बनी तमाम चीजें उनकी रसोई का अनिवार्य हिस्सा हैं। पिज्जा, बर्गर, डबल रोटी, ब्रेड और न जाने क्या, क्या… लेकिन अमेरिकी आटा संकट से बेफिक्र हैं। अमेरिकी रसोई डिब्बा बंद खाद्य सामग्री से भरी रहती है। भारतीय भी इस मामले में अमेरिकियों की नकल करने लगे हैं, किंतु आटा एक ऐसी चीज है, जिसके बिना भारतीय रसोई अधूरी है। दक्षिण भारतीय जरूर आटा संकट से प्रभावित नहीं हुए हैं। वे चावल पर निर्भर हैं।

गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग से पूरी दुनिया में गेहूं की कीमतों में जोरदार इजाफा हुआ था। भारत में भी घरेलू स्तर पर गेहूं की कीमत बढ़ी है, निर्यात पर रोक के बाद कीमतें नीचे आने लगी हैं। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है। देश ने वित्त वर्ष 2021-22 में कुल 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया, जबकि बीते अप्रैल महीने की बात करें तो भारत ने रिकॉर्ड 14 लाख टन गेहूं का निर्यात किया है।

यहां रहने वाले भारतीयों को बताया जा रहा है कि आटा संकट जनवरी 2023 तक जारी रह सकता है। तब तक भारतीयों को अपनी रोटी का विकल्प तलाश कर रखना होगा। वैसे भारतीय अब चीनी, मैक्सिकन, इटेलियन भोजन पर भी हाथ साफ करने लगे हैं। रोटी उनके लिए सब कुछ नहीं है। मैं भी अपने बार-बार के अमेरिकी प्रवास की वजह से रोटी के अलावा दुनिया के तमाम खाने आजमा चुका हूं। हां अब दुनिया में शाकाहारी भोजन की कोई कमी नहीं है। जितना चाहो खाओ!

आपको बता दूं कि भारत दुनिया के 10 देशों को आटा बेचता है, इनमें सबसे ज्यादा 32 फीसदी आटा अमेरिका खरीदता है। अमेरिका के अलावा संयुक्त अरब अमीरात, आस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन, श्रीलंका, मलेशिया, कतर जैसे देशों में भारतीय आटा भारतीयों की सबसे बड़ी जरूरत है। इन देशों में भारतीय बड़ी संख्या में हैं। अमेरिका में रहने वाले भारतीयों का मानना है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने लोगो को आशीर्वाद जैसे आटे से ज्यादा दिन वंचित नहीं रहने देंगे।

(आलेख वेबसाइट मध्यमत.कॉम से साभार)