कांग्रेस सरकार का एक और फैसला पलटा, पंचायतों के परिसीमन निरस्त


2019 में प्रदेश में जिले से लेकर ग्राम पंचायतों तक नया परिसीमन कर करीब 1200 नई पंचायतें बनाई थी।


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राजनीति Published On :

भोपाल। प्रदेश सरकार ने पंचायतों के परिसीमन को रद्द कर दिया है। यह परिसीमन कमलनाथ सरकार ने कार्यकाल में हुआ था इस तरह शिवराज सरकार ने कमलनाथ सरकार का एक और फैसला पलट दिया है।

प्रदेश में पंचायत चुनाव की तैयारियां जारी हैं और इसी बीच सरकार ने ये फैसला लिया है।  ऐसी पंचायतों के परिसीमन को निरस्त कर दिया है, जहां बीते एक साल से चुनाव नहीं हुए हैं। ऐसी सभी जिला, जनपद या ग्राम पंचायतों में पुरानी व्यवस्था ही लागू रहेगी। जो पद, जिस वर्ग के लिए आरक्षित है, वही रहेगा।

इसके लिए सरकार ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश-2021 लागू कर दिया है। इसकी अधिसूचना रविवार देर शाम जारी की गई।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पंचायतों को परिसीमन चुनाव से पूर्व कराए जाने का प्रावधान है। ऐसी पंचायतें, जहां परिसीमन तो हो गया, लेकिन उसके प्रकाशन से एक साल के भीतर चुनाव नहीं कराए गए हैं, तो उक्त परिसीमन को निरस्त माना जाएगा।

इससे ठीक वैसी ही व्यवस्था लागू हो जाएगी, जो परिसीमन के पहले थी। आरक्षण भी वैसा ही रहेगा, जैसा पूर्व में था। यह व्यवस्था उन पंचायतों में लागू नहीं होगी, जिसके क्षेत्र किसी नगरीय क्षेत्र में सम्मिलित किए गए हैं।

मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि कमलनाथ सरकार ने सिंतबर 2019 में प्रदेश में जिले से लेकर ग्राम पंचायतों तक नया परिसीमन कर करीब 1200 नई पंचायतें बनाई थी, जबकि 102 ग्राम पंचायतों को समाप्त कर दिया गया था। इसी तरह, 1950 की सीमा में बदलाव भी किया गया था।

2011 की जनसंख्या के आधार पर ग्राम पंचायतों का परिसीमन किया गया था। इसमें ग्राम पंचायतों की आदर्श आबादी दो से ढाई हजार और पांच हजार से अधिक जनसंख्या और उसमें दो राजस्व ग्राम शामिल होने पर उसका विभाजन कर ग्राम पंचायत गठित की गई थीं।

इसी तरह, जिला पंचायत में जनसंख्या 5 लाख से कम होने पर कम से कम 10 निर्वाचन क्षेत्र किए गए थे, हालांकि जनसंख्या ज्यादा होने पर अधिकतम 35 निर्वाचन क्षेत्र भी किए गए थे। इसके बाद कमलनाथ सरकार में ग्राम पंचायतों का आरक्षण भी हो गया था।

मध्यप्रदेश में 23,835 ग्राम पंचायतें हैं। 904 जिला पंचायत सदस्य और 6035 जनपद सदस्य त्रि-स्तरीय पंचायत का प्रतिनिधित्व करते हैं। 2014-15 में पंचायत चुनाव हुए थे। इससे 2020 तक उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है। बता दें कि परिसीमन से पहले प्रदेश में प्रदेश में 22 हजार 812 पंचायतें थीं।



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