राहुल गांधी के पक्ष में सिविल सोसायटी, सज़ा के फैसले के उद्देश्य पर जताया संदेह


”लोकसभा से कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सदस्यता खत्म किए जाने से साबित होता है कि आज हमारे देश में लोकतंत्र को किस तरह किस तरह के लोग चला रहे हैं।’


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राजनीति Updated On :

नई दिल्ली। मानहानि के मामले में पहले राहुल गांधी को सजा फिर उनकी सदस्यता को छीना गया और अब उनके घर को खाली कराने का नोटिस दिया गया है। लोकसभा सचिवालय और केंद्र सरकार की इस कार्रवाई को कांग्रेस ने विपक्ष को खत्म करने की कोशिश बताया है। ऐसे में कांग्रेस की लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और अब राहुल के समर्थन में अब सिविल सोसाइटी के लोग भी आ रहे हैं। सिविल सोसायटी से आने वाले कई पूर्व नौकरशाहों, शिक्षाविदों, कलाकारों, राजनेताओं आदि ने राहुल के पक्ष में एक साझा बयान जारी किया है।

1004 लोगों के साझा दस्तख़त वाले इस बयान में लिखा गया है कि, ‘लोकसभा से कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सदस्यता खत्म किए जाने से साबित होता है कि आज हमारे देश में लोकतंत्र को किस तरह किस तरह के लोग चला रहे हैं। मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दो साल की जेल की सजा दी गई है, जिससे फैसले के उद्देश्य पर भी संदेह पैदा होता है। अदालती फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय ने जिस बिजली की गति से राहुल गांधी को सदन की सदस्यता से वंचित करने का काम किया और उच्च न्यायालयों द्वारा निचली अदालत के आदेश पर रुख का इंतजार तक नहीं किया, उससे देश के न्यायविद् भी अचंभित हैं।’

सिविल सोसायटी के लोगों ने आगे लिखा, ‘राहुल गांधी को दोषी ठहराकर सजा सुनाना और फिर उनकी लोकसभा की सदस्यता खत्म कर दिए जाने से संसद में बैठे लोगों ने न्यायपालिका और संसद दोनों का अपमान किया है। यह बिल्कुल साफ है कि राहुल गांधी को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे खुलकर संसद के अंदर और संसद के बाहर मोदी सरकार की आलोचना कर रहे थे। ऐसे में यह पूरा प्रकाण न सिर्फ समूचे विपक्ष पर हमला है बल्कि लोकतंत्र के दो स्तंभों न्यायपालिका और संसद को कमजोर करने वाला है।’

इस बयान में आगे लिखा है कि, ‘राहुल गांधी के खिलाफ की गई कार्यवाही को विपक्षी नेताओं को बदनाम करने और पूरे लोकतांत्रिक ढांचे को तहस-नहस करने की कोशिशों के तौर पर देखा जाना चाहिए। हम लोगों से अपील करते हैं कि वे उठें और देश और संसदीय लोकतंत्र को बचाने और अपने नागरिक हितों की रक्षा के लिए सामने आएँ।’ देशवासियों के नाम बयान जारी करने वालों में लेखक गौहर राजा, प्रोफेसर अपूर्वानंद, एक्टिविस्ट शबनाम हाशमी, महात्मा गांधी के परपौत्र तुषार गांधी, इतिहासकार मृदुला मुखर्जी, संयुक्त विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रहे यशवंत सिन्हा और मणिशंकर अय्यर जैसी हस्तियां शामिल हैं।

 



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