‘मदिरा प्रदेश’ की राजनीतिः भाजपा का विरोध प्रदर्शन, कमलनाथ के पुतले जलाए, अब इस पुराने वीडियो ने पलट दी कहानी


मप्र को ‘मदिरा प्रदेश’ कहने पर कमलनाथ पर हमलावर हैं सीएम और भाजपा, तीन साल पहले विपक्ष में रहते शिवराज भी यही कहते थे


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MP politics_ Shivrraj Singh chauhan and Kamalnath- Deshgaon news

भोपाल। मध्यप्रदेश में इन दिनों शराब नीति को लेकर हो रही राजनीति गर्माई हुई है। इसकी वजह है पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव कमलनाथ द्वारा मध्यप्रदेश को ‘मदिरा प्रदेश’ कहना। नाथ मप्र सरकार की शराब नीति के संदर्भ में बात करह रहे थे और इसी दौरान उन्होंने यह टिप्पणी की। जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सहित केबिनेट के मंत्री और भाजपा के नेता उन पर हमलावर हैं। बात इतनी आगे बढ़ी कि उज्जैन में तो कमलनाथ का पुतला तक जला दिया गया लेकिन यह कोई पहली बार नहीं है कि मध्यप्रदेश को किसी नेता ने मदिरा प्रदेश जैसी संज्ञा दी हो यह पहले भी हो चुका है और करने वाले खुद आज के मुख्यमंत्री शिवराज हैं।

पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सीएम शिवराज से लगभग रोजाना उनके अधूरे वादों पर सवाल करना शुरु किया इसके जवाब में सीएम शिवराज ने कमलनाथ की 15 महीने की सरकार के द्वारा पूरी न की गईं घोषणाओं पर सवाल शुरु कर दिया। सवाल के बदले सवालों का यह सिलसिला जारी था कि पिछले दिनों मप्र की शराब नीति में अहातों को बंद करने का निर्णय लिया गया। सीएम शिवराज की करीब दो दशक तक राज करने वाली सरकार ने अपना यह निर्णय ऐतिहासिक और लोगों की ज़िंदगी बदलने वाला बताया। इसी पर बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य की प्रस्तावित 2023-24 शराब नीति को लेकर कहा कि चौहान सरकार में मप्र शराब सस्ती होने के कारण ‘मदिरा प्रदेश’ हो गया था और यहां अनाज महंगा था।

यह बात सीएम शिवराज को ठीक नहीं लगी और उन्होंने कमलनाथ के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मप्र को मदिरा प्रदेश कहना प्रदेश के साढ़े आठ करोड़ लोगों का अपमान है। शिवराज, खुद भी कमलनाथ के सीएम रहते उनके द्वारा लाई गई शराब नीति की आलोचना करते रहे हैं।

 

अपने नेता की इस नाराजगी को भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी निभाया और इंदौर, उज्जैन, हरदा सहित कई स्थानों पर प्रदर्शन किए गए। इस दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के पुतले भी जलाए गए। सीएम शिवराज ने पिछले कुछ घंटों में ही कई बार इसे लेकर बयान दिए और कमलनाथ की आलोचना की तथा मांग की कि कमलनाथ प्रदेश की जनता से माफ़ी मांगें। शिवराज के साथ, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी कांग्रेस नेता के बयान पर ख़ासी नाराज़गी जताई।

 

हालांकि कमलनाथ की टीम सक्रिय रही और कुछ ही देर में तस्वीर बदल गई और बात सामने आई कि कमलनाथ के जिस बयान पर सीएम शिवराज अपनी कड़ी नाराज़गी जता रहे हैं ठीक वही बात सीएम शिवराज खुद भी कह चुके हैं। कमलनाथ ने अपने ट्विटर हैंडल से चौहान पर पलटवार करते हुए सीएम से कहा कि वह अपनी याददाश्त को रैक करें और याद रखें कि शब्द (मदिरा प्रदेश) मूल रूप से उनके (चौहान) द्वारा इस्तेमाल किया गया था। नाथ ने इस पर कई ट्वीट किए।

 

नाथ ने स्पष्ट रूप से 12 जनवरी, 2020 को चौहान के एक ट्वीट का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा है, “कमलनाथ जी की कांग्रेस सरकार ने मध्य प्रदेश को मदीरा प्रदेश में बदलने का विनाशकारी निर्णय लिया है। वे हर गांव में शराब की दुकानें खोलकर राज्य को शराब की लत में डुबाना चाहते हैं। चौहान ने अपने ट्वीट के साथ हैशटैग ‘मध्य प्रदेश या मदिरा प्रदेश’ का भी इस्तेमाल किया था। इस ट्वीट का स्क्रीनशॉट एमपी कांग्रेस के मीडिया सलाहकार पीयूष बाबेले और कमलनाथ ने ट्विटर पर शेयर किया और उन्होंने एक वीडिया भी जारी किया जहां सीएम शिवराज एक सभा के दौरान मदिरा प्रदेश संज्ञा का उपयोग करते नजर आ रहे हैं।

 

बबेले के इस ट्वीट से इस विवाद की तस्वीर बदल सकती है। यह एक वीडियो दरअसल पूरे मामले में भाजपा को परेशानी में डाल सकता है क्योंकि मदिरा प्रदेश जैसी संज्ञा के लिए पहला उपयोग कमलनाथ ने नहीं बल्कि सीएम शिवराज ने ही किया था। ऐसे में उनके कहे अनुसार प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता का पहला अपमान उन्होंने ही किया था। हालांकि कांग्रेस ने तीन साल पहले इस बयान पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी थी लेकिन इस बार स्थिति बदल सकती है। देखना होगा कि क्या कांग्रेस सीएम शिवराज के तीन साल पुराने बयान को उन्हीं के खिलाफ इस्तेमाल करती है या नहीं लेकिन यह साफ हो गया है कि चुनावी साल में सीएम शिवराज का दांव उल्टा पड़ गया।



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