दमोह उपचुनाव ने हर ली सीएम शिवराज की कोरोना चिंता, इंदौर और बाकी प्रदेश में बिलख़ रहे लोग


दमोह उपचुनाव के कारण यहां लॉकडाउन लागू नहीं है जबकि पूरे प्रदेश के बाज़ारों में लॉक डाउन से पहले अफ़रा-तफ़री मची रही। इंदौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए हज़ारों लोगों की घंटों से लाइनें लगी हुईं हैं।


लक्ष्मीकांत तिवारी
दमोह Updated On :

दमोह। शुक्रवार शाम से प्रदेश में साठ घंटे का लॉकडाउन लागू हो रहा है। ऐसे में लगभग सभी शहरों के बाज़ारों में अफ़रा-तफ़री मची हुई है लेकिन दमोह में इसका कोई असर नहीं है क्योंकि यहां चुनाव हैं और चुनाव हैं इसलिए यहां कोरोना की चैन तोड़ने के लिये कोई लॉकडाउन नहीं लग रहा है।

हालांकि ऐसा नहीं है कि दमोह में कोरोना नहीं फैल रहा है। यहां कई लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। दमोह में हो रही चुनावी सभाओं का ज़िक्र इन दिनों प्रदेश में बहुत सी जगहों पर हो रहा है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बहुत से दूसरे मंत्री दमोह में ही हैं लेकिन इंदौर और आसपास के इलाकों में हालात बिगड़ रहे हैं। लोग मुख्यमंत्री शिवराज से राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन इंदौर में बीते चार दिनों से राहत नहीं मिल रही है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर संगीता त्रिवेदी बताती हैं कि आजतक 77506 रिपोर्ट मिली हैं जिनमें से 3335 लोग संक्रमित रहे। इनमें से 2951 मरीज़ ठीक हुए और 484 का इलाज जारी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक कोरोना से करीब 94 लोगों की मृत्यु हुई है।

हालांकि अनौपचारिक जानकारी के मुताबिक कोरोना और इस जैसे लक्षणों के कारण अब तक करीब दो सौ के आसपास लोगों की मौत हो चुकी है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से भी कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में दमोह में नौवें नंबर पर है।

दमोह में तकरीबन हर दिन बीस से अधिक संक्रमित मिल रहे हैं। चुनावों के कारण यहां लगातार भीड़भाड़ है। भोपाल से सुबह सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने की अपील करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दमोह में ही इन दोनों नियमों से लोगों को जैसे छूट दे रहे हैं।

मुख्यमंत्री खुद भी कई बार यहां बिना मास्क के ही नज़र आ रहे हैं। वे मंच पर बोलते समय मास्क हटा लेते हैं हालांकि इन दिनों अमूमन वे भोपाल में ऐसा नहीं करते। यही नहीं मुख्यमंत्री सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर भी ज्यादा रोक-टोक नहीं करते नज़र आ रहे हैं। कहा जाए तो दमोह में सीएम शिवराज कोरोना वायरस की चिंता से मुक्त चुनाव के पूरे मज़े ले रहे हैं।

इस समय प्रदेश सरकार के ज्यादातर बड़े मंत्री दमोह में जमे हुए हैं। मुख्यमंत्री खुद भी यहां लगभग रोज़ ही जा रहे हैं। ये आलम तब है जब इंदौर में रेमेडिसिवर इंजेक्शन के लिए दवा दुकानों के सामने लोगों की कतारें लगीं हैं और इस दवा के इंतज़ार में लोग मर रहे हैं। प्रदेश के लगभग सभी अस्पतालों में इस दवा और ऑक्सीजन की कमी है और काला बाज़ारी की ख़बरें आ रहीं हैं।

दमोह में कोरोना से बचाव के नियमों का कोई पालन नहीं हो रहा है। यहां सभाएं बदस्तूर जारी हैं, मास्क कितने लोग लगाए हुए हैं यह इन सभाओं में देखा जा सकता है।

ज़ाहिर है ऐसे हालातों में दमोह के चुनाव बाकी प्रदेश के लिये मज़ाक बनकर रह गए हैं। सोशल मीडिया पर लोग इसके मज़े ले रहे हैं तो वहीं इंदौर के हालातों पर मुख्यमंत्री या स्वास्थ्य मंत्री की अनुपस्थिति भी लोगों को खल रही है।

दमोह में अब लॉकडाउन चुनाव के बाद ही होगा। इस बारे में कलेक्टर तरुण राठी ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। उनके अनुसार लॉकडाउन के कारण चुनावी तैयारियों में बाधा पड़ेगी ऐसे में लॉकडाउन नहीं कर पा रहे हैं हालांकि चुनाव के बाद  रविवार को ही लॉकडाउन लागू होगा।

चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद से दमोह में संक्रमितों की संख्या दो गुनी हो चुकी है। हालांकि बताया जाता है कि इस दौरान यहां बहुत से दूसरे लोग कोरोना के मिलते-जुलते लक्षणों के चलते बीमार हैं। हालांकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हालात चिंताजनक नहीं है और उम्मीद की जानी चाहिए कि चुनावों के बाद भी दमोह के हालात अच्छे ही बने रहें।



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