सोयाबीन की सरकारी खरीद में हर बोरे पर 400 रुपये रिश्वत का आरोप, कमलनाथ ने सरकार को घेरा


मध्य प्रदेश में सोयाबीन किसानों से हर बोरे पर 400 रुपये रिश्वत लेने के आरोप पर कमलनाथ ने सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने अवैध वसूली पर विस्तृत जांच की मांग की।


DeshGaon
राजनीति Published On :

मध्य प्रदेश में किसानों की समस्याओं को लेकर विपक्ष ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार को एक मीडिया रिपोर्ट साझा करते हुए दावा किया कि प्रदेश में सोयाबीन की सरकारी खरीद में हर बोरे पर 400 रुपये की रिश्वत ली जा रही है। उन्होंने इस मामले में सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि किसानों की मेहनत पर खुलेआम डाका डाला जा रहा है।

कमलनाथ ने अपने बयान में कहा, “मध्य प्रदेश का किसान पहले खाद की कमी से जूझता है, फिर उसे नकली बीजों की समस्या से गुजरना पड़ता है। अब जब वह अपनी फसल बेचने जाता है, तो सरकारी खरीद केंद्रों पर रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार उसका रास्ता रोक लेते हैं।”

 

रिश्वतखोरी पर विस्तृत जांच की मांग

कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए सरकार से मांग की कि सोयाबीन की खरीद प्रक्रिया में हो रही इस अवैध वसूली की तत्काल जांच कराई जाए। उन्होंने लिखा, “प्रदेश के किसानों से हर बोरे पर 400 रुपये की रिश्वत ली जा रही है। यह बेहद गंभीर मामला है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों की फसल बिना भ्रष्टाचार के खरीदी जाए।”

 

किसानों के लिए मुश्किल हालात

कमलनाथ ने आरोप लगाया कि राज्य में नाफेड सर्वेयरों द्वारा अवैध वसूली की जा रही है। उनका कहना है कि इसी भ्रष्टाचार के चलते प्रदेश में अभी तक MSP पर तय सीमा का केवल आधा सोयाबीन ही खरीदा जा सका है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति दर्शाती है कि मौजूदा सरकार किसानों के लिए कोई ठोस कदम उठाने में नाकाम रही है।

मोहन सरकार पर निशाना

कमलनाथ ने मुख्यमंत्री मोहन यादव और उनकी सरकार के एक साल के कार्यकाल पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “बीजेपी सरकार अपने कार्यकाल को स्वर्णिम बता रही है, लेकिन वास्तविकता यह है कि किसान, गरीब, दलित और आदिवासी समाज को केवल निराशा हाथ लगी है।”

अन्य मुद्दों पर भी उठाए सवाल

कमलनाथ ने न केवल किसानों की समस्याओं पर, बल्कि महिला सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों पर भी राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश अब व्यापमं और नर्सिंग घोटालों के लिए जाना जाने लगा है। महिला सुरक्षा और दलित-आदिवासी अधिकारों के मामलों में भी राज्य का रिकॉर्ड बेहद खराब है।”

सरकार की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, यह मामला राजनीतिक गर्मी बढ़ा सकता है क्योंकि किसान मुद्दे पर विपक्ष लगातार हमलावर है।

कमलनाथ के आरोपों ने एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। अब यह देखना बाकी है कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है। अगर यह मामला सुलझाया नहीं गया, तो आगामी चुनावों में यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

 



Related