गंगा बेसिन में साफ-सफाई व घाटों का विकास करने के लिए 1278 करोड़ की 9 परियोजनाओं को मंजूरी


यह फैसला राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ गंगा मिशन (NMCG) की कार्यकारी समिति की 47वीं बैठक में लिया गया।


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नई दिल्ली। नमामि गंगे कार्यकारी समिति ने गंगा बेसिन में साफ-सफाई और घाटों का विकास करने के लिए 9 परियोजनाओं को मंजूरी दी। इसके तहत 7 गंगा बेसिन में प्रदूषण की कमी और दो घाटों का विकास किया जाएगा।

इन परियोजनाओं का कायाकल्प करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय ने कुल 1278 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। जबकि यह फैसला राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ गंगा मिशन (NMCG) की कार्यकारी समिति की 47वीं बैठक में लिया गया।

इसकी अध्यक्षता एनएमसीजी के महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने की। आइए जानते हैं किन राज्यों में 9 परियोजनाओं का विकास होगा…

इन राज्यों में गंगा नदी का होगा कायाकल्प –

जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, इन 9 परियोजनाओं के तहत पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए विभिन्न सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट व अन्य कार्य किए जाएंगे।

इसके अंतर्गत मध्यप्रदेश के इंदौर में खाह्न और सरस्वती नदियों में प्रदूषण को कम करने के लिए 511 करोड़ रुपये की मंजूरी, उत्तर प्रदेश में 422 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाओं को मंजूरी, पश्चिम बंगाल में 123 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी और बिहार के सारण में अटल घाट मांझी के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत की एक परियोजना को मंजूरी दी गई है।

इसके अलावा यूपी में मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़ और बुलंदशहर में 8 स्थानों पर इन-सीटू कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड सिस्टम के कायाकल्प के लिए 95.47 करोड़ रुपये लागत की मंजूरी दी गई है।

सतत उत्सर्जन निगरानी पोर्टल –

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा औद्योगिक प्रदूषण की निगरानी के लिए गंगा नदी बेसिन पर ‘प्रदूषण आविष्कार, आकलन और निगरानी’ नामक एक परियोजना को मंजूरी दी गई है।

इसकी अनुमानित लागत 114.42 करोड़ रुपये हैं जबकि सतत उत्सर्जन निगरानी पोर्टल के जरिए प्रदूषणकारी उद्योगों और औद्योगिक समूहों के पास की ​​नालियों की निगरानी, ​​एसटीपी की निगरानी, ​​सीईटीपी की निगरानी की जाएगी।

स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन –

गौरतलब है कि स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन , गंगा कायाकल्प के लिए दुनिया भर में सर्वोत्तम उपलब्ध ज्ञान और संसाधनों को तैनात करने का प्रयास करता है।

इसकी स्थापना गंगा नदी में प्रदूषण की चुनौतियों से निपटने के लिए की गई है। बता दें कि इस परियोजना में गंगा बेसिन और वे सभी राज्य शामिल हैं जिनसे होकर नदी बहती है, इसमें दिल्ली भी शामिल है।

हालांकि इसका उद्देश्य प्रदूषण को कम करना और गंगा नदी का कायाकल्प सुनिश्चित करना है। यह 12 अगस्त, 2011 को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया था।

क्या है नमामि गंगे परियोजना –

नमामि गंगे कार्यक्रम एक एकीकृत संरक्षण मिशन है। इसे जून 2014 में राष्ट्रीय नदी गंगा के प्रदूषण, संरक्षण और कायाकल्प के प्रभावी उन्मूलन के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करने के लिए 20,000 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ एक प्रमुख कार्यक्रम के रूप में अनुमोदित किया गया था।

नमामि गंगे मिशन के तहत उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान राज्यों में 48 सीवेज प्रबंधन परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं और 98 सीवेज परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय नदी गंगा के संरक्षण एवं कायाकल्प करना है।