जलवायु परिवर्तन के कारण बड़े पैमाने पर कम होगा पंजाब में गेहूं, मक्का, आलू और कपास जैसी फसलों का उत्पादन


जलवायु परिवर्तन के कारण पंजाब में वर्ष 2080 तक आ सकती है बड़ी गिरावट, शोधकर्ताओं ने तापमान, मिट्टी जैसे आंकड़ों का अध्ययन किया


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हवा-पानी Updated On :

भोपाल। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय का एक एक अध्ययन राज्यों को किसानों के लिए चिंताजनक साबित हो सकता है। लुधियाना में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के इस हालिया अध्ययन में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण आने वाले वर्षों में पंजाब को अपनी महत्वपूर्ण खरीफ और रबी फसलों के उत्पादन में गिरावट आ सकती है। मक्का, गेहूं, आलू, कपास आदि पंजाब की प्रमुख फसलें हैं

इस अध्ययन का शीर्षक है  “जलवायु परिवर्तन और पंजाब में प्रमुख खरीफ और रबी फसलों की उत्पादकता पर इसका प्रभाव” जो बताता है कि अधिकांश फसलों में औसत तापमान में वृद्धि के साथ उत्पादकता घट जाती है। कृषि उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का प्रतिकूल प्रभाव खाद्य सुरक्षा के खतरों जैसे गंभीर विषय को भी दिखाता है। इस अध्ययन में निष्कर्ष के तौर पर कहा गया है कि जलवायु जोखिमों के प्रभावी समाधान के लिए जलवायु-स्मार्ट कृषि पर जोर देना ज़रूरी है।

इस अध्ययन में शोधकर्ता सनी कुमार, बलजिंदर कौर सिदाना और स्माइली ठाकुर शामिल रहे। जिन्होंने अपने अध्ययन के बाद कहा कि  ‘अधिकांश फसलों में औसत तापमान में वृद्धि के साथ उनकी उत्पादकता घट जाती है। इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं द्वारा पर्यावरणीय कारकों और कृषि उपज के बीच संबंधों की गहन जांच की। इसके अलावा विशेषज्ञों ने चावल, मक्का, कपास, गेहूं और आलू की पांच प्राथमिक फसलों पर प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए 1986 से 2020 तक 35  साल की अवधि में एकत्रित तापमान, मिट्टी और बारिश के आंकड़ों का इस्तेमाल किया है और इसकी के आधार पर अगले तकरीबन पचास वर्षों का अध्ययन किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, “तापमान और वर्षा में अनुमानित परिवर्तन से सभी प्रमुख फसलों की उपज में 2035 तक 1 से 10 प्रतिशत, 2065 तक 3 से 18 प्रतिशत और वर्ष 2100 तक 4 से 26 प्रतिशत की गिरावट का पता चलता है।”  यह अध्ययन इसी महीने भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मौसम पत्रिका में प्रकाशित हुआ।

अध्ययन यह बताता है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव लंबे समय तक रहेंगे और इससे किसानों की आजाविका प्रभावित होगी। इसके अलावा अध्ययन में यह भी कहा गया है कि खाद्यान्न उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव फसलों तक ही सीमित नहीं होंगे इसके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव भी होंगे।

ज़ाहिर है यह लेख केवल पंजाब की नहीं बल्कि देशभर के किसानों और राज्य सरकारों के लिए आवश्यक है क्योंकि कृषि क्षेत्र देश और राज्यों के लिए अपनी अर्थव्यवस्था चलाने का एक अहम क्षेत्र है और इसके कमज़ोर पड़ने से गंभीर नुकसान होंगे।







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