इंदौरः जल संरक्षण को लेकर एक नया प्रयोग, कम संसाधन में मिल रहा बड़ा लाभ


योजना के अंर्तगत महू तहसील में ग्रामीण क्षेत्र के 11 नालों को गहरा और चौड़ा किया जा रहा है। सामान्य सी सुनाई देने वाली यह योजना बड़े बदलावों को ला रही है। जिन नालों को चौड़ा किया जा रहा है वे सरकारी नाले हैं और दशकों से इन खेतों से होकर बह रहे हैं।



इंदौर। जल संरक्षण को लेकर एक बार फिर इंदौर कुछ बड़ा करने जा रहा है। जिले के ग्रामीण इलाकों में पानी की समस्या को दूर करने के लिये कुछ नया किया जा रहा है और इसका असर भी नज़र आने लगा है और एक बड़े इलाके में अब ज़मीनी पानी बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किये जा रहे यह प्रयास बेहतर भविष्य के लिये एक कदम है। जो अगर पूरी तरह सफल होते हैं तो संभव है कि इस कार्यक्रम को और भी अधिक विस्तार दिया जाए। इस योजना के अंर्तगत महू तहसील में ग्रामीण क्षेत्र के 11 नालों को गहरा और चौड़ा किया जा रहा है।

सामान्य सी सुनाई देने वाली यह योजना बड़े बदलावों को ला रही है। जिन नालों को चौड़ा किया जा रहा है वे सरकारी नाले हैं और दशकों से इन खेतों से होकर बह रहे हैं लेकिन समय के साथ इनकी न तो सफाई हुई और न ही इनके लिए कुछ नया सोचा गया। अब इन नालों को बड़ा विस्तार दिया रहा है।

नालों को करीब तीन से चार मीटर तक गहरा और करीब नौ से ग्यारह मीटर तक चौड़ा किया जा रहा है। ऐसे में इनमें बारिश का पानी भरेगा और इस पानी को लंबे समय तक बचाए रखने के लिये इन नालों में स्टॉप डेम भी बनाए जा रहे हैं।

देखिये वीडियो – 

इस प्रयोग में पहले महू के भगोरा, कटकटखेड़ी, हरसोला, नावदा गांवों में नालों को चौड़ा किया जा रहा है। यह काम अब लगभग पूरा होने वाला है और अभी से ही इसके असर भी दिखाई देने लगे हैं। नालों में पानी ज्यादा एकत्रित हो रहा है। बीते दिनों हुई बारिश का पानी भी इन नालों में एकत्रित हो चुका है और अब ये नाले किसी  छोटी नदी की तरह दिखाई दे रहे हैं।

ये नाले तैयार किए जा रहे हैं। इन गांवों के पुराने नालों को करीब सात से दस मीटर तक चौड़ा किया जा रहा है और इनकी गहराई करीब तीन से चार मीटर तक की जा रही है। इसके साथ ही एक स्टॉपडेम भी इनमें बनाया जा रहा है। इन नालों में बरसाती पानी एकत्र कर उसे रोका जा सकेगा और ये नाले जल संरक्षण के दूसरे तरीकों से अलग और ज्यादा कारगर हैं।

इन नालों से अब तक करीब छह हज़ार हैक्टेयर की  जमीन को लाभ हो रहा है। कटकटखेड़ी गांव के ग्रामीणों के मुताबिक यह बेहतर स्थिति है क्योंकि नालों में लंबे समय तक पानी को संजोकर रखा जा सकता है और यह पानी ज़मीनी पानी की स्थिति को भी बेहतर बना सकता है।

इस काम को नागरथ चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा किया जा रहा है। यह संस्था जिले में पानी से जुड़े कई महत्वपूर्ण काम कर चुकी है और चोरल नदी को पुर्नजीवीकरण के इनके काम को राष्ट्रीय जल पुरुस्कार तक दिया जा चुका है।

संस्था के सुरेश एमजी के मुताबिक सिंचाई के लिए अक्सर खेत तालाब बनाए जाते हैं और एक तालाब में चार से पांच हजार क्यूबिक मीटर पानी संजोया जा सकता है लेकिन इस तरह के एक नाले में करीब में करीब 25 हजार क्यूबिक मीटर तक पानी एकत्रित किया जा सकता है यानी करीब पांच गुना तक ज़्यादा। वहीं इसका खर्च भी खेत तालाबों की तुलना में कम होता है।

उदाहरण के लिए एक खेत तालाब बनाने में करीब पांच से सात लाख रुपये तक का खर्च आता है। इसके अलावा खेत की जमीन भी तालाब के लिए ली जाती है यानी वहां भी खेती का नुकसान। वहीं इस तरह के नालों की बात करें तो इस पर ढाई से चार लाख तक का खर्च आ रहा है और खेती की जमीन भी बच जाती है। नाले काफी लंबाई तक होते हैं लिहाज़ा कई किसानों को इतने खर्च में लाभ मिल सकता है।

एमजी बताते हैं फिलहाल यह तरीका संसाधनों को बचाने का भी है क्योंकिअगर बारिश का व्यर्थ बह जाने वाला पानी इन नालों में बचाया जाए तो हर किसान में सिंचाई के लिए अलग से खेत तालाब बनाने की ज़रुरत नहीं होगी और पुराने नालों का ही बेहतर उपयोग हो सकेगा। इस नए काम के साथ इंदौर जिला एक बार फिर राष्ट्रीय जल पुरुस्कार के लिए अपनी दावेदारी पेश करेगा और उम्मीद जताई जा रही है कि यह प्रयोग राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा जाएगा।



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