क्या पन्ना टाइगर रिजर्व को तबाह कर देगी केन-बेतवा इंटरलिंकिंग?


केन नदी पन्ना टाइगर रिजर्व से होकर गुजरती है। दोनों नदियों के इंटरलिंकिंग से टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा पानी में डूब जाएगा। जिससे टाइगर्स को नुकसान हो सकता है साथ ही यहां की जैव विविधता भी प्रभावित होने की आशंका है।


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हवा-पानी Published On :

भोपाल। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश केन-बेतवा इंटरलिंकिंग परियोजना पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को विश्व जल दिवस के मौके पर त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। इस परियोजना के साथ ही एक बार फिर पन्ना टाइगर रिजर्व पर संकट को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

इसका कारण साफ है। केन नदी पन्ना टाइगर रिजर्व से होकर गुजरती है। दोनों नदियों के इंटरलिंकिंग से टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा पानी में डूब जाएगा। जिससे टाइगर्स को नुकसान हो सकता है साथ ही यहां की जैव विविधता भी प्रभावित होने की आशंका है। इसे लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने भी इस पर सवाल उठाए हैं। पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने ट्ववीट किया कि – केन और बेतवा नदियों को जोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री आज एक समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। इससे मध्य प्रदेश में पन्ना बाघ अभयारण्य तबाह हो जाएगा। मैंने दस वर्ष पहले विकल्प सुझाए थे लेकिन…।

पन्ना टाइगर रिजर्व साल 2008 में लगभग टाइगर विहीन हो गया था लेकिन साल 2009 में यहां बाघों के उजड़े संसार को नए सिरे से बसाने की कवायद प्रारंभ हुई थी। करीब दस सालों की मेहनत और बड़े बजट के बाद एक बार फिर पन्ना टाइगर रिजर्व गुलजार हो चुका है। पन्ना टाइगर रिजर्व में अभी 55 से ज्यादा बाघ हैं।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक परियोजना के लिए केन नदी पर ग्राम ढोढन में जो बांध बनाया जा रहा है उसका डूब क्षेत्र करीब 9 हजार हैक्टेयर है। जिसका 90 फीसदी से अधिक हिस्सा पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में निहित है। ऐसे में बांध के बनने से यहां पर्यावरणीय नुकसान होने की आशंका पहले ही कई संगठन जता चुके हैं । यहां 9,000 हेक्टेयर के जलाशय में पानी रोका जाएगा। जिसे फिर 220 किमी लंबी नहर से मध्य प्रदेश के छतरपुर और टीकमगढ़ और उत्तर प्रदेश के महोबा और झांसी जिलों से होते हुए अंत में बरुआसागर तालाब में केन के अतिरिक्त पानी को मिला दिया जायेगा।

45 हजार करोड़ का खर्च
केन बेतवा लिंक परियोजना पर करीब 45 हजार करोड़ रूपए खर्च आने का अनुमान है। परियोजना के तहत पानी के बंटवारे पर भी विवाद था। इस प्रोजेक्ट का जो ड्राफ्ट तैयार है, उसके मुताबिक एमपी को 2650 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना है। वहीं यूपी को 1700 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना है। हालांकि यूपी सरकार की तरफ से 935 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की और मांग की गई थी। जिससे एमपी ने इंकार कर दिया था। इसी के चलते यह प्रोजेक्ट अटक गया था।

बायो स्फेयर रिजर्व घोषित
मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व को अब यूनेस्को के बायो स्फेयर रिजर्व के रूप में घोषित किया जा चुका है। इस समय 129 देशों में 714 बायो स्फेयर रिजर्व हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व भारत का 12वां बाघ अभयारण्य है। प्रदेश के उत्तर में पन्ना और छतरपुर जिलों में फैला यह टाइगर रिजर्व विंध्य रेंज में स्थित है। साल 1981 में पन्ना टाइगर रिजर्व की स्थापना राष्ट्रीय उद्यान के तौर पर की गयी थी। केंद्र सरकार ने साल 1994 में राष्ट्रीय उद्यान को पन्ना टाइगर रिजर्व के रूप में घोषित कर दिया था।

बुंदेलखंड को फायदा
दूसरी ओर इस परियोजना से यूपी और एमपी में बंटे बुंदेलखंड के एक बड़े इलाके को फायदा होगा। सूखे की मार झेलने वाले इस इलाके को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। यूपी और एमपी की हजारों हेक्टर कृषि भूमि के अलावा बड़ी आबादी को पीने का पानी भी मिलेगा। इन परियोजना से यूपी के बांदा, महोबा, झांसी, ललितपुर और एमपी के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर दामोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन को फायदा होगा।

 

यह लेख जोश-होश वेबसाइट से लिया गया है। जहां इसे अशोक चतुर्वेंदी ने लिखा है।