35 करोड़ किसानों ने किया आगाह, क्लाइमेट एडाप्टेशन के बगैर ग्लोबल खाद्य सुरक्षा को ख़तरा


पत्र में आगाह किया गया है कि वैश्विक खाद्य प्रणाली जलवायु परिवतन के प्रभावों को सहन कर पाने में सक्षम नहीं है, चाहे हम वैश्विक तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने में कामयाब ही क्‍यों न हो जाएं।


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बड़ी बात Published On :

फिलहाल जहां दुनिया के शीर्ष नेता मिस्त्र में चल रही सीओपी 27 में वैश्विक जलवायु नीतियों पर चिंतन मनन कर रहे हैं, तब दुनिया के लाभग 35 करोड़ किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाली सत्तर संस्थाओं ने दुनिया के नेताओं को एक खुला पत्र लिखकर उन्‍हें आगाह किया है कि अगर दुनिया की सरकारें लघु स्‍तरीय उत्‍पादन के अनुकूलन के लिये वित्‍त का प्रवाह नहीं बढ़ाया और अधिक विविधतापूर्ण और कम लागत वाली खेती को नहीं अपनाया गया तो वैश्विक खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।

संयुक्त राष्‍ट्रीय जलवायु शिखर बैठक (सीओपी27) सोमवार 7 नवम्‍बर को शुरू हो गयी। इसमें दुनिया के 90 राष्‍ट्राध्‍यक्ष खाद्य सुरक्षा और जलवायु वित्‍त जैसे अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।

किसानों, मछुआरों, चरवाहों और वन उत्‍पादकों के 70 से अधिक संगठनों ने इस पत्र पर दस्‍तखत किए हैं।

इनमें पांच महाद्वीपों के साढ़े तीन करोड़ किसानों का प्रतिनिधित्‍व करने वाला वर्ल्‍ड रूरल फोरम, महाद्वीप में 20 करोड़ लघु स्‍तरीय उत्‍पादकों की नुमाइंदगी करने वाला अलायंस फॉर फूड सॉवरेंटी, एक करोड़ 30 लाख सदस्‍यों वाला एशियन फार्मर्स एसोसिएशन फॉर सस्‍टेनेबल डेवलपमेंट और लैटिन अमेरिका का कोऑर्डिनाडोरा डे मुजेरेस लिडेरेस टेरिटोरियल्स डे मेसोअमेरिका भी शामिल है।

इसके अलावा जॉर्डन, ब्रिटेन और भारत के राष्‍ट्रीय संगठनों ने भी इस पर हस्‍ताक्षर किये हैं।

पत्र में आगाह किया गया है कि वैश्विक खाद्य प्रणाली जलवायु परिवतन के प्रभावों को सहन कर पाने में सक्षम नहीं है, चाहे हम वैश्विक तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने में कामयाब ही क्‍यों न हो जाएं।

खत में यह भी कहा गया है कि एक गर्म धरती पर दुनिया की भूख मिटाने के लिये एक मजबूत खाद्य प्रणाली तैयार करना सीओपी27 की प्राथमिकता होनी चाहिये।

किसानों ने पत्र में कहा है कि पिछले एक वर्ष से दुनिया में बढ़ी भुखमरी ने वैश्विक खाद्य प्रणाली की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। खाद्य प्रणाली बड़े झटकों को झेल पाने लायक नहीं है। चाहे वह कोविड-19 महामारी हो या जलवायु संबंधी आपदा हो।

इसके अलावा खाद्य प्रणाली एक ऐसी दुनिया में भी टिकने लायक नहीं है जहां अत्यधिक तपिश, सूखा और बाढ़ नए जमाने की सामान्य बातें हो चुकी हों, भले ही दुनिया वैश्विक तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने में कामयाब ही क्यों ना हो जाए।

एक गर्म धरती पर दुनिया के लोगों की भूख शांत करने लायक खाद्य प्रणाली का निर्माण करना सीओपी27 शिखर बैठक की प्राथमिकता होनी चाहिए।प्रणाली बड़े झटकों को झेल पाने लायक नहीं है। चाहे वह कोविड-19 महामारी हो या जलवायु संबंधी आपदा हो।

इसके अलावा खाद्य प्रणाली एक ऐसी दुनिया में भी टिकने लायक नहीं है जहां अत्यधिक तपिश, सूखा और बाढ़ नए जमाने की सामान्य बातें हो चुकी हों, भले ही दुनिया वैश्विक तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने में कामयाब ही क्यों ना हो जाए।

एक गर्म धरती पर दुनिया के लोगों की भूख शांत करने लायक खाद्य प्रणाली का निर्माण करना सीओपी27 शिखर बैठक की प्राथमिकता होनी चाहिए।

ढाई करोड़ खाद्य उत्‍पादकों के प्रतिनिधि संगठन ईस्टर्न अफ्रीका फार्मर्स फेडरेशन की अध्‍यक्ष और इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली एलिजाबेथ सीमादाला ने कहा :

“हमारे नेटवर्क के खाद्य उत्‍पादक लाखों लोगों का पेट भरते हैं और सैकड़ों-हजारों नौकरियां देते हैं लेकिन वे एक ब्रेकिंग पॉइंट पर पहुंच गए हैं। छोटे पैमाने के उत्पादकों के पास अगली पीढ़ियों के लिए दुनिया को खाना खिलाने के लिए जरूरी जानकारी, संसाधन और प्रशिक्षण सुनिश्चित करने के लिए जलवायु वित्त में बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने की जरूरत है।”

भीषण सूखा, प्रलयंकारी बाढ़ और प्रचंड गर्मी की वजह से पूरी दुनिया में फसलें खराब हुई हैं और वैज्ञानिकों ने दुनिया के प्रमुख अनाज उत्‍पादक देशों में एक के बाद एक फसलें नष्‍ट होने की चेतावनी दी है।

पत्र में आगाह किया गया है कि वैश्विक खाद्य प्रणाली जलवायु परिवतन के प्रभावों को सहन कर पाने में सक्षम नहीं है, चाहे हम वैश्विक तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने में कामयाब ही क्‍यों न हो जाएं।

खत में यह भी कहा गया है कि एक गर्म धरती पर दुनिया की भूख मिटाने के लिये एक मजबूत खाद्य प्रणाली तैयार करना सीओपी27 की प्राथमिकता होनी चाहिये।

किसानों ने पत्र में कहा है कि पिछले एक वर्ष से दुनिया में बढ़ी भुखमरी ने वैश्विक खाद्य प्रणाली की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। खाद्य प्रणाली बड़े झटकों को झेल पाने लायक नहीं है। चाहे वह कोविड-19 महामारी हो या जलवायु संबंधी आपदा हो।

भीषण सूखा, प्रलयंकारी बाढ़ और प्रचंड गर्मी की वजह से पूरी दुनिया में फसलें खराब हुई हैं और वैज्ञानिकों ने दुनिया के प्रमुख अनाज उत्‍पादक देशों में एक के बाद एक फसलें नष्‍ट होने कीचे तावनी दी है। इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्‍लाइमेट चेंज का कहना है कि बदलते पर्यावरण में खाद्य सुरक्षा बनाये रखने के लिये और अधिक विविधतापूर्ण तथा कम लागत वाली खाद्य प्रणालियों को अपनाना बेहद महत्‍वपूर्ण है।

 

 

साभार:  Climateकहानी

 

 



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