जनता के संकट काल में सरकार ने पेट्रोल-डीजल से की मोटी कमाई


पेट्रोलियम उत्पादों पर कस्टम और एक्साइज ड्यूटी से केंद्र सरकार की कमाई 56% से ज्यादा बढ़ी है। 


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नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। रोज़मर्रा की मुश्किलें तो इससे बढ़ ही गईं हैं साथ ही डीजल के दाम के साथ महंगाई भी उपर जा रही है। हालांकि इन मुश्किलों के बीच केंद्र सरकार का खजाना लगातार भरता ही रहा है। यह जानकारी तब सामने आई है जब इन दिनों देशभर में तेल के बढ़ते दाम के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं।

केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों से अपनी आमदनी लगातार बढ़ाई है। सरकार ने एक आरटीआई (RTI) के  जवाब में जानकारी दी है कि कोरोना काल के दौरान पेट्रोलियम उत्पादों पर कस्टम और एक्साइज ड्यूटी से केंद्र सरकार की कमाई 56% से ज्यादा बढ़ी है।

यह जानकारी नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ के आवेदन पर मिली है। उन्होंने बताया कि वित्त मंत्रालय से जुड़े प्रणाली और आंकड़ा प्रबंधन महानिदेशालय (डीजीएसडीएम) ने उनके आवेदन पर जानकारी दी कि 2020-21 में पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर 37,806.96 करोड़ रुपये का सीमा शुल्क वसूला गया, जबकि देश में इन पदार्थों के विनिर्माण पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क के रूप में 4,13,735.60 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा हुए।

आरटीआई से मिले ब्योरे के मुताबिक 2019-20 में पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर सरकार को सीमा शुल्क के रूप में 46,046.09 करोड़ रुपये का राजस्व मिला, जबकि देश में इन पदार्थों के विनिर्माण पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क की वसूली 2,42,267.63 करोड़ रुपये के स्तर पर रही. यानी दोनों करों की मद में सरकार ने 2019-20 में कुल 2,88,313.72 करोड़ रुपये कमाए।

गौरतलब है कि पेट्रोलियम उत्पादों पर सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क से सरकार का अप्रत्यक्ष कर राजस्व 2020-21 की उस अवधि में बढ़ा, जब देश भर में महामारी के भीषण प्रकोप की रोकथाम के लिए लॉकडाउन और अन्य बंदिशों के चलते परिवहन गतिविधियां लम्बे समय तक थमी थीं।



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