वाराणसी की जिला अदालत में ज्ञानवापी विवाद में सुनवाई पूरी, फैसला कल


— 20 मई को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने ज्ञानवापी केस को वाराणसी जिला जज की कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया था।
— सुनवाई से पहले मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव ने कहा है कि पहले यह तय किया जाए कि मामला चलने योग्य भी है या नहीं?
— श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी दायर करेंगे याचिका


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बड़ी बात Updated On :

नई दिल्ली। वाराणसी की जिला अदालत में  मां श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी विवाद में सोमवार को पहली पेशी हुई। दोनों पक्षों के 19 वकीलों और चार याचिकाकर्ताओं को कोर्ट रूम में जाने की इजाजत दी गई थी।

कोर्ट कमिश्नर रहे अजय मिश्रा को कोर्ट रूम जाने से रोक दिया गया। बताया जा रहा है कि लिस्ट में नाम नहीं होने की वजह से उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया।

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में इस पर सुनवाई करीब 45 मिनट चली। मंगलवार दोपहर दो बजे तक के लिए फैसले को सुरक्षित कर लिया गया है यानी फैसला अब कल आएगा।

इससे पहले सुबह से ही दोनों पक्षों के वकील और याचिकर्ता कोर्ट में मौजूद रहे। सोमवार को ही डीजीसी सिविल के आवेदन के अलावा हिंदू पक्ष और अंजुमन इनजानिया मस्जिद कमेटी की ओर से दाखिल आपत्तियों पर भी कोर्ट में बहस हुई। इस दौरान ज्ञानवापी मामले में उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 लागू होने के विषय को लेकर भी सुनवाई की गई।

मामले में यह भी संभावना जताई जा रही है कि एडवोकेट कमिश्नर की टीम द्वारा पिछले दिनों ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के बाद तैयार की गई रिपोर्ट पर भी जल्द ही चर्चा शुरू हो सकती है। सुनवाई से पहले मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव ने कहा है कि पहले यह तय किया जाए कि मामला चलने योग्य भी है या नहीं?

ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे रिपोर्ट पर कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष सहायक आयुक्त अधिवक्ता विशाल सिंह ने कहा कि आज जिला न्यायालय में फाइल कुछ पल में आएगी। जिला न्यायालय के न्यायाधीश के द्वारा मामले की सुनवाई की जाएगी। न्यायालय का जो भी आदेश होगा, वह हमें मान्य होगा।

उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट निष्पक्ष है। मैंने दोनों पक्षों की ओर से कही गई हर बात का ज़िक्र किया है। रिपोर्ट से कुछ भी लीक नहीं हुआ है और यह रिपोर्ट दायर होने तक गोपनीय है। अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने के बाद, यह सारा मामला सार्वजनिक जानकारी के क्षेत्र में आता है।

हालांकि बताया जाता है कि इस सीलबंद सर्वे की रिपोर्ट में काफी बातें पहले ही सार्वजनिक कर दी गई हैं जिसके बाद कई और लोग कानूनी रास्ता अपना रहे हैं।

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी भी इनमें से एक हैं। उन्होंने कहा है कि वह ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की पूजा के लिए सोमवार को कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे।

तिवारी ने कहा कि

‘ज्ञानवापी कभी मस्जिद नहीं थी, वह अनादि काल से मंदिर है। अब जबकि हमारे आराध्य देव मिल गए हैं, तो हम उनकी नियमित पूजा करना चाहते हैं। हमारे प्रभु रोजाना स्नान, शृंगार और भोग-राग के बगैर रहें, यह कितनी ही कष्टदायक बात है। इसलिए हम अपने भोलेनाथ की पूजा की अनुमति देने के लिए कोर्ट से गुहार लगाएंगे’।

इसके अलावा ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर आज वाराणसी की कोर्ट में हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता परिवाद दाखिल करेंगे। विष्णु गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में भी ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले में खुद को वादी बनाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। विष्णु गुप्ता के मुताबिक हमारे प्रार्थना पत्र को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। अब ज्ञानवापी सर्वे के दौरान मिले साक्ष्यों के आधार पर दावा पेश करते हुए उसे हिंदू पक्ष को वापस देने के लिए प्रार्थना पत्र देंगे।

बीते 20 मई को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने ज्ञानवापी केस को वाराणसी जिला जज की कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने 51 मिनट चली सुनवाई में साफ शब्दों में कहा था कि मामला हमारे पास जरूर है लेकिन पहले इसे वाराणसी जिला कोर्ट में सुना जाए।

कोर्ट ने कहा कि जिला जज 8 हफ्ते में अपनी सुनवाई पूरी करेंगे। तब तक 17 मई की सुनवाई के दौरान दिए गए निर्देश जारी रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 21 मई को सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट से ज्ञानवापी प्रकरण से संबंधित पत्रावली जिला जज की कोर्ट में स्थानांतरित कर दी गई। बता दें कि 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में तीन बड़ी बातें कही थीं।



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