वायुसेना करेगी पिथौरागढ़ हवाई अड्डे का संचालन, नागरिक व सैन्य दोनों उड़ानें होंगी संचालित


राज्य सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद वायुसेना के आला अधिकारियों ने एयरपोर्ट का निरीक्षण कर इसे अपने कब्जे में लेने की कवायद शुरू कर दी है।


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देहरादून। सीमावर्ती इलाकों में कनेक्टिविटी सुधार के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं। इस दिशा में उत्तराखंड में चीन और नेपाल सीमा के करीब रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पिथौरागढ़ का नैनी सैनी हवाई अड्डा भारतीय वायुसेना को सौंप दिया गया है।

अब वायुसेना पिथौरागढ़ हवाई अड्डे को विकसित करेगी। वायुसेना के नियंत्रण में आने के बाद इस हवाई अड्डे से नागरिक और सैन्य दोनों उड़ानें संचालित होंगी।

राज्य सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद वायुसेना के आला अधिकारियों ने एयरपोर्ट का निरीक्षण कर इसे अपने कब्जे में लेने की कवायद शुरू कर दी है।

रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नैनी सैनी एयरपोर्ट –

दरअसल, नेपाल की सीमा से लगे पिथौरागढ़ जिले में मौजूद नैनी सैनी हवाई अड्डा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। चीन सीमा से भी सटे होने के कारण भारतीय वायुसेना के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नैनी सैनी एयरपोर्ट की अहमियत बढ़ गई है।

लोगों को भी मिलेगा लाभ –

इस हवाई अड्डे का उपयोग फिलहाल वायुसेना यात्री उड़ानों के साथ करती है। अपने कब्जे में लेने के बाद हवाई अड्डे के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना की होगी और यहां से नागरिक और सैन्य दोनों उड़ानें संचालित होंगी।

उड़ानें नियमित होने का लाभ सीमांत जिले के लोगों को भी मिलेगा। सामरिक महत्व का हवाई अड्डा होने के कारण भविष्य में यहां हवाई पट्टी का भी विस्तार किया जाएगा। इसके बाद बड़े विमान भी यहां से उड़ान भर सकेंगे।

पहली व्यावसायिक उड़ान 2019 हुई शुरू –

नैनी सैनी में हवाई पट्टी वर्ष 1991 में पूरी हुई थी। यहां का रनवे सिर्फ वाणिज्यिक उड़ानों के लिए था। इस पर 65 करोड़ से 1600 मीटर लंबा और 60 मीटर चौड़ा रनवे बनाया गया था।

नौ सीटों वाले विमान की ट्रायल लैंडिंग नवंबर, 2015 में की गई थी। 26 जनवरी, 2016 से नियमित उड़ान शुरू करने की कोशिश की गई, लेकिन कई कमियों के कारण उड़ान शुरू नहीं हो सकी।

वर्ष 2018 में डीजीसीए ने निरीक्षण कर हरी झंडी दी तो हवाई यातायात नियंत्रण, दमकल सहित सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर टर्मिनल भवन में टिकट बुकिंग काउंटर स्थापित किया गया। इसके बाद पहली व्यावसायिक उड़ान 17 जनवरी, 2019 को शुरू हुई थी।

नैनी सैनी हवाई अड्डे से देहरादून और पंतनगर के लिए नियमित उड़ानों के बाद 11 अक्टूबर, 2019 को गाजियाबाद के हिंडन के लिए सीधी उड़ानें शुरू हुईं। मार्च, 2020 में विमान के रनवे से फिसल जाने के बाद इस रनवे में कोई भी विमान आम जनता के लिए नहीं उतरा है।

पहले राज्य नागरिक उड्डयन विभाग करता था संचालन –

हवाई अड्डे को अपने कब्जे में लेने के लिए वायुसेना के अधिकारियों ने उत्तराखंड सरकार को प्रस्ताव भेजा। कुछ दिन पहले भारतीय वायुसेना के आला अधिकारियों ने एयरपोर्ट का निरीक्षण कर इसे अपने कब्जे में लेने की कवायद शुरू कर दी है।

उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू ने कहा कि वायुसेना ने इस एयरपोर्ट को अपने नियंत्रण में संचालित करने का प्रस्ताव राज्य सरकार के समक्ष रखा था, जिसे मंजूरी दे दी गई है। अभी तक इसका संचालन राज्य नागरिक उड्डयन विभाग करता था।

वायुसेना अभी कई हवाई अड्डों का कर रही संचालन –

चीन सीमा से सटे होने के कारण भारतीय वायुसेना के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नैनी सैनी एयरपोर्ट की अहमियत बढ़ गई है। वायुसेना पहले से ही चंडीगढ़ और प्रयागराज समेत कई अन्य हवाईअड्डों का संचालन कर रही है।

अब वायुसेना पिथौरागढ़ सीमावर्ती जिले में नैनी सैनी स्थित हवाई अड्डे का संचालन करेगी। वायुसेना हवाई अड्डे को अपने कब्जे में लेने के बाद यहां से सैन्य और नागरिक उड़ानें एक साथ संचालित करेगी।



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