कारम बांध में रिसाव: अब तक 18 गांव खाली कराए गए, लोगों को अपना सब कुछ खोने का डर


बचाने के नाम पर ग्रामीणों के पास अपनी जिंदगी के अलावा कुछ नहीं है, कलेक्टर और दूसरे अधिकारी गांव छोड़ने के नियम कानून बता रहे हैं लेकिन कोई इस बारे में बात नहीं कर रहा कि भ्रष्टाचार पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया। ग्रामीण कहते हैं कि फिलहाल उनकी नजर में भ्रष्टाचार करने वालों से ज्यादा दोषी वे नेता और अधिकारी हैं जिन्होंने शिकायतें भी सुनना जरूरी नहीं समझा।


आशीष यादव आशीष यादव
बड़ी बात Updated On :

धार। भारूड़पुरा घाट के कोठिदा गांव में कारम नदी पर बन रहे बांध से पानी का रिसाव लगातार हो रहा है। डर है कि ये कभी भी टूट सकता है और तबाही मच सकती है। यह क्यों हो रहा है और कैसे हो रहा है इसे लेकर भी तमाम सवाल हैं लेकिन फिलहाल जवाब किसी के पास नहीं। इस बीच हजारों ऐसे लोग हैं जिन्हें बेघर होने और अपनी जमीन है खोने का डर सता रहा है। यहां करीब 18 गांव खाली करवा लिए गए हैं। लोगों को उनके घरों से बाहर निकालने के लिए स्थानीय प्रशासन पुलिस और सेना तक पहुंच गई।

बहुत से लोग पहाड़ों पर खड़े होकर कारम बांध की ओर देख रहे हैं। यह दुआ कर रहे हैं कि किसी तरह यह सब रुक जाए ताकि उनकी ज़मीन, जायज़ाद, घर और गांव किसी तरह बच सके।

धार जिले एक बड़ी तबाही को रोकने के लिए 400 लोगों की टीम लगी है। यहां 6 पोकलेन मशीनें लगातार चल रही हैं और किसी तरह पानी के लिए रास्ता बना रही हैं। रास्ता कुछ हद तक बन भी गया है और पानी की निकासी भी हो रही है लेकिन यह काफी नहीं है। नहीं बनाई जा रही इस नहर की राह में कई पत्थर आ रहे हैं जिससे खुदाई में देरी हो रही है और क्योंकि बांध में दरार कायम है और बारिश के कारण पानी का दबाव भी बढ़ रहा है।

शुक्रवार सुबह दो स्थानों पर पानी का रिसाव बढ़नेे और मिट्टी धंसने का सिलसिला शुरू हुआ। बांध को खाली करने दीवार को बीच से काट दिया गया है, जिससे पानी सीधे नर्मदा नदी में जाए। 15 अगस्त को भारी बारिश की चेतावनी के बाद सरकार अलर्ट मोड पर है। इस काम की भोपाल से मॉनीटरिंग की जा रही है। एयरफोर्स के दो हेलीकॉप्टर और आर्मी की एक कंपनी को रिजर्व रखा है। घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं। मौके पर धार, खरगोन और खंडवा के एसपी व कलेक्टरों को तैनात किया है।

इससे पहले यहां सेना भी मदद के लिए पहुंची थी। सेना की इंजीनियरिंग विंग ने डेम पर जल संसाधन विभाग की टीम के इंजीनियरों की टीम के साथ मरम्मत का काम शुरू कर दिया था। इसी टीम ने एक नई नहर बनाई और पानी बाहर निकाला। यह बांध की दीवारों से प्रेशर कम करने के लिए किया जा रहा है।

कारम नदी पर बन रहे बांध का निर्माण वर्ष-2018 में शुरू हुआ, जो अब तक जारी है। इस दौरान बांध निर्माण के काम में अनियमितता भी देखी गई और इसकी शिकायतें जिले से भोपाल तक तमाम स्तरों पर की गईं लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं गया।

प्रह्लाद बरिया, निवासी

हम फरसपुर में रहते हैं प्रशासन ने गांव खाली करने की बात कही जिसके बाद सभी परिवार वाले और दूसरे ग्रामीण अपने रिश्तेदारों के यहां चले गए। मैं फिलहाल गांव के दूसरे कोने में बने घर में हूं यहां से अपने मवेशियों को देख रहा हूं।

 

शिकायतों पर गौर न करने वाली इस व्यवस्था का ख़ामियाज़ा आज 18 गांव की करीब 40 हजार आबादी को भुगतना पड़ रहा है। लोगों को अपना घर-बार छोडक़र पहाड़ों, धर्मशालाओं और स्कूलों में शरण लेना पड़ी है। जिंदगीभर की जमापूंजी, घर-बार और सामान सबकुछ गांव में पीछे छूट गया है। खेतों की फसलों से लेकर घर-आंगन सूने पड़े है।

गंगा राम, ग्रामीण
हम लोग पहाड़ियों और मंदिरों पर आसरा ले रहे हैं। जब बारिश होती है तो पहाड़ों से लोग स्कूल के अंदर भाग कर आते हैं। 2 दिन से हम बहुत परेशान हैं अब हमें अपने मवेशियों की भी चिंता हो रही है।

बचाने के नाम पर इनके पास अपनी जिंदगी के अलावा कुछ नहीं और नियमों कानून के नाम पर उन्हीं कलेक्टर और दूसरे अधिकारियों की बातें हैं जिन्होंने अब तक इनकी बात नहीं सुनी। ग्रामीण कहते हैं कि फिलहाल उनकी नजर में भ्रष्टाचार करने वालों से ज्यादा दोषी वे नेता और अधिकारी हैं जिन्होंने शिकायतें भी सुनना जरूरी नहीं समझा।

बाढ़ के अलर्ट के कारण धार व खरगोन के गांव खाली करवाए गए लेकिन शुक्रवार को रात होते ही ग्रामीण दोबारा घरों की ओर लौटने लगे। ऐसे में एसटीएफ की कंपनियां गांवों में तैनात की गई। इन गांवों में धारा-144 लगाकर किसी भी व्यक्ति को गांव में घूमता पाए जाने पर हिरासत में लिया गया। तब जाकर लोग दोबारा सुरक्षित स्थानों पर गए। अधिकांश लोगों को धामनोद में बनाए राहत शिविरों में भेजा गया। कुछ ग्रामीण कहते हैं कि घर की फ़िक्र में यहां रात भर नींद नहीं आती।

धार के अलावा खरगोन जिले के भी कुछ गांव भी खाली करवाए गए हैं। यहां भी लोगों की आंखों में घर छोड़नेे का दर्द है। जो गांव खाली करवाए गए हैं उनमें धार जिले के 12 गांव हैं। इनके नाम हैं, जहांगीरपुरा , कोठीदा , भारुड़पूरा , इमलीपुरा , भांडाखो , दुगनी , डेहरिया , सिमराली , सिरसोदिया , डहीवर , लसनगांव , हनुमंतिया  वहीं खरगोन जिले के 6 गांव जलकोटा , बड़वी , नयापुरा , काकरिया , मेलखेड़ी , मोयदा को भी खाली करवाए गए हैं।

200 जवान मौके पर, सेना ने संभाला मोर्चा

बांध को फूटने से बचाने के लिए सेना ने मोर्चा संभाल लिया है। सेना के 200 जवान मौके पर हैं। इस टीम में इंजीनियरिंग विंग के 40 जवान और अफसर शामिल हैं। एनडीआरएफ के डीजी ने मध्यप्रदेश के एसीएस होम राजेश राजौरा को बताया कि एनडीआरएफ की अतिरिक्त टीम (सूरत, वड़ोदरा, दिल्ली और भोपाल से एक-एक टीम) भी मौके के लिए रवाना कर दी गई है। हर टीम में 30-35 बचाव कार्यों में प्रशिक्षित जवान हैं। इंदौर संभाग और धार जिले के सभी संबंधित उच्च अधिकारी रात में धामनोद और बांध साइड पर ही रुकेंगे और बचाव कार्य का सतत निगरानी करेंगे।

जांच कमेटी गठित

जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने बताया , विशेषज्ञों की जांच समिति गठित कर दी गई है । जल्द रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। लापरवाही पाए जाने पर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। रातभर बांध के बाईं तरफ पहाड़ से करीब पानी निकालने के लिए खुदाई होती रही।

 

मंत्री ने कहा कि वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर यहां कैंप किए हुए हैं। संभागायुक्त डॉक्टर पवन शर्मा ने आई जी राकेश गुप्ता, कलेक्टर पंकज जैन ,एसपी आदित्यप्रताप सिंह कलेक्टर खरगोन श्रीकुमार पुरुषोत्तम एसपी धर्मवीर सिंह, एसडीएम दिव्या पटेल और दूसरे अधिकारियो भी मौके पर मौजूद हैं।



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