ग्वालियर में नेशनल हेल्थ मिशन की पहली पाली की परीक्षा मंगलवार सुबह ही करा ली गई थी और दूसरी पाली की परीक्षा शाम 3 से 6 के बीच में होनी थी, लेकिन इससे पहले ही पेपर लीक हो गया।

इसके बाद एनएचएम ने परीक्षा निरस्त कर दी। इस परीक्षा के लिए 45000 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। परीक्षा 2284 पदों के लिए ली जा रही थी।

इसकी पुष्टि एनएचएम मध्य प्रदेश के मुख्य प्रशासकीय अधिकारी केके रावत के आदेश से हुई है, जाे परीक्षा एजेंसी के एमडी को लिखा गया है।

पुलिस ने ग्वालियर के डबरा की होटल से यूपी के रहने वाले 8 लोगों की इस गैंग को पकड़ा गया है। पकड़े गए संदिग्ध इलाहाबाद के रहने वाले बताए जा रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक इन्होंने रिक्रूटमेंट एजेंसी से अभ्यर्थियों का डाटा लिया और उन्हें दो से तीन लाख रुपये में पेपर बेचा।

मध्यप्रदेश में करीब 50 हजार छात्रों ने भर्ती के लिए आवेदन किया था। प्रदेश भर के अलग-अलग कॉलेजों में एग्जाम हो रहे थे, लेकिन पेपर लीक और एग्जाम कैंसिल होने के बाद अभ्यर्थियों में आक्रोश है।

नाराज परीक्षार्थियों ने भोपाल के रायसेन रोड स्थित सैम कॉलेज के बाहर विराेध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।

 

मामले में पूर्व सीएम व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले ने भी सरकार की आलोचना की है।

उन्होंने लिखा है कि ‘मध्यप्रदेश में चुनावी वर्ष में एक बार फिर से शिवराज सरकार ने व्यापम जैसे घोटालों को हवा दे दी है। ग्वालियर में नर्स भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र परीक्षा से 1 दिन पहले ही आउट हो गया। मिस्टर घोटाला की सरकार में मुन्ना भाई खुला खेल खेल रहे हैं।अभ्यर्थियों ने जमकर हंगामा किया।’

कांग्रेस की छात्र संगठन एनएसयूआई ने भी इस मामले में मोर्चा खोल दिया है। एनएसयूआई मेडिकल विंग के संयोजक रवि परमार ने कहा कि

शिवराज सरकार में माफियातंत्र हावी है। एनएसयूआई मेडिकल एजुकेशन में लगातार भ्रष्टाचार उजागर कर रही है। अब नर्सिंग पेपर आउट का मामला सामने आया है। कहीं न कहीं यह अधिकारियों और मंत्रियों के मिलीभगत से हो रहा है। एनएसयूआई चुप नहीं बैठने वाली। नर्सिंग घोटाले के खिलाफ हम आंदोलन और उग्र करेंगे।