अग्निपथ योजना पर सुप्रीम कोर्ट में तीसरी याचिका, वकील ने कहा आत्मअनुशासन बनाए रखना होगा चुनौती


अग्निपथ योजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं, तीन वकीलों ने पूछे हैं सवाल, केंद्र भी दायर की कैविएट, कहा कुछ भी फैसला लेने से पहले हमारा पक्ष भी सुने कोर्ट


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नई दिल्ली। सेना में भर्ती के लिए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना अग्निपथ के विरोध के बीच अब लड़ाई कोर्ट में भी लड़ी जा रही है। यहां इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अब  तीसरी याचिका दाखिल की गई है। इन याचिकाओं में अग्निपथ योजना पर रोक लगाने की मांग की गई है। उधर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैवियट दायर की है और कहा है कि कोई भी निर्णय लेने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए।

उल्लेखनीय है कि देश के कई हिस्सों में अग्निपथ स्कीम को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। इस दौरान प्रदर्शन शांतिपूर्ण और हिंसक दोनों तरह से हो रहा है। हिंसक प्रदर्शन में रेलवे की एक हजार करोड़ की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। जिसके बाद ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक भी गया है।
इस मामले में तीनों याचिकाएं वकीलों ने दाखिल की हैं। एडवोकेट विशाल तिवारी और एमएल शर्मा ने पहली दो याचिकाएं दायर की थी। वहीं एडवोकेट हर्ष अजय सिंह ने भी सोमवार को एक याचिका देकर इस मामले में दखल देने की सुप्रीम कोर्ट से अपील की है। तीसरे याचिकाकर्ता ने अपनी रिट याचिका में कहा कि अग्निपथ योजना के तहत युवाओं की सेना में 4 साल के लिए भर्ती की जा रही है, उसके बाद 25 फीसदी अग्निवीरों को ही आगे स्थायी किया जाएगा।

उन्होंने दलील दी है कि युवावस्था में चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर अग्निवीर आत्म-अनुशासन बनाए रखने के लिए न तो पेशेवर रूप से और न व्यक्तिगत रूप से पर्याप्त परिपक्व होंगे। ऐसे में प्रशिक्षित अग्निवीरों के भटकने की बहुत संभावनाएं हैं।



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