किसान और फसल देख रहे हैं पानी का रास्ता, सोच रहे कब बरसेंगे बादल


ऐसा कई वर्षों में पहली बार हुआ है कि जुलाई के पहले सप्ताह में भी मानसून मेहरबान नहीं हुआ है। हिंदू पंचांग का आषाढ़ मास बीतने वाला है, लेकिन बोवनी पूरी तरह से नहीं हो सकी है। पीने के पानी का इंतजाम करने वाले बोरवेल भी दम तोड़ने लगे हैं।


आशीष यादव आशीष यादव
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धार। जहां एक ओर पहले ही किसान परेशानी झेल रहा है वहीं दूसरी ओर मानसून भी किसानों से रूठा हुआ दिख रहा है। बोवनी के बाद से ही सही बारिश नहीं होने से किसानों के चहरे पर मायूसी है।

मानसून की बेरुखी ने गर्मी के मारे जनजीवन बेहाल कर दिया है। बुधवार का अधिकतम तापमान 35 डिग्री जा पहुंचा तो दिन भर उमस भरी गर्मी ने लोगों का पसीना बहाया। तीखी गर्मी के कारण जुलाई के पहले सप्ताह में जमकर लू चली। घरों में कूलर-पंखे भी गर्मी से राहत नहीं दिला सके।

जून के दूसरे सप्ताह में मानसून की आमद के ठीक पहले कई दिनों तक हर रोज हुई बारिश से किसानों व आम आदमी के चेहरे खिल गए थे। तेज गर्मी से जहां राहत मिली थी तो किसानों ने खेतों के पानी से सराबोर होने के बाद बोवनी भी कर दी थी, लेकिन मानसून की सही समय पर आमद न होने और अब आठ से दस दिन से ज्यादा गुजरने के बाद मौसम की बेरुखी परेशान करने लगी है।

खेतों में अंकुरित हो रही फसलें धूप के कारण मुरझा रही हैं व पहाड़ी जगहों की फसल सूख रही हैं। हाल ही में रोपे गए पौधे भी दम तोड़ने लगे हैं। बारिश के कारण उग आई घास की हरी चादर अब सूर्यदेव के तीखे तेवरों के कारण पीली पड़ने लगी है।

ऐसा कई वर्षों में पहली बार हुआ है कि जुलाई के पहले सप्ताह में भी मानसून मेहरबान नहीं हुआ है। हिंदू पंचांग का आषाढ़ मास बीतने वाला है, लेकिन बोवनी पूरी तरह से नहीं हो सकी है। पीने के पानी का इंतजाम करने वाले बोरवेल भी दम तोड़ने लगे हैं।

गांवों में शुरू हो गए टोटके –

बारिश न होने से ग्रामीण क्षेत्रों में पूजा-पाठ व टोटके शुरू हो गए हैं। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हिंदू धर्मावलंबी अच्छी बारिश के लिए आषाढ़ मास में देवस्थलों पर जाकर पूजा कर रहे हैं और खुले आसमान के तले बाग रसवाई कर भगवान इंद्र को मना रहे हैं।

लोगों का मानना है कि इस तरह से इंद्र देव प्रसन्न होते हैं। इसी तरह तीसगांव में बुधवार को बच्चों ने मेंढक-मेंढकी की शादी कराई व बाग रसवाई भी की। इसके अलावा ग्रामीणों ने मंदिरों में पूजन कर बारिश के लिए भगवान को मनाने की कोशिश की।

हवा ने पलटा मानसून –

मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार मौजूदा मौसम संबंधी परिस्थितियों एवं मॉडल द्वारा लगाए गए पूर्वानुमानों से पता चलता है कि कुछ इलाकों में हवा का पैटर्न बारिश के लिए अनुकूल नहीं है जिसके प्रभाव के कारण अगले 1 से 2 दिनों तक दक्षिण-पश्चिम मानसून के मध्यप्रदेश में आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल नहीं बन रही हैं।

अगले कुछ दिनों में कुछ इलाकों के अलग-अलग हिस्सों में बिजली गिरने, हल्की बारिश होने तथा गरज के साथ बौछारें पड़ने का अनुमान लगाया गया है लेकिन कहीं भी तेज बारिश की संभावना व्यक्त नहीं की गई है।

सिंचाई में जुटे किसान –

क्षेत्र में मानसून की मार झेल रहे किसान तो बर्बादी की कगार पर हैं। अब पानी न बरसने से परेशान व इसका लंबे समय से इंतजार कर रहे किसानों का कहना है कि सोयाबीन ओर मक्का समेत अन्य फसलों में सिंचाई चालू कर दी जिसे मुरझाई फसलों को अमृत मिल जायेगा।

अगर कुछ और दिनों में पानी नहीं गिरा तो फसलें चौपट हो जाएंगी। अब किसान नलकूप से पानी देने को मजबूर हो गए हैं। बारिश की देरी के कारण दुखी और परेशान किसान स्प्रिंकलर से सिंचाई शुरू कर चुके हैं ताकि फसलों को पानी की पूर्ति की जा सके।

पहाड़ी वाली जमीनों पर फसल मुरझाने लगी –

तलाई के किसान कालू राम ने बताया कि अच्छे मानसून की जानकारी मिल रही थी और समय से पहले भरपूर बारिश भी हो गई थी। इस वजह से खेत में सोयाबीन की फसलों की बुवाई कर दी, लेकिन अब आठ-नौ दिन बीत जाने के बाद हल्की बारिश भी नहीं होने से निजी जल स्त्रोतों की मदद से सिंचाई करना पड़ रहा है।

हल्की जमीन होने के कारण सोयाबीन और मक्का के पौधे तेज धूप में मुरझाने लगे हैं। उन्होंने बताया कि सोयाबीन की फसल 110 दिन में पक जाती है। बुवाई किए हुए 20 दिन से अधिक का समय हो गया है, लेकिन पर्याप्त नमी नहीं होने के कारण पौधों की बढ़वार थम गई है। एक सप्ताह के भीतर बारिश नहीं हुई तो फसलों को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा।

बारिश नहीं होने से फसलों में लगने लगीं बीमारियां –

बोवनी के बाद बारिश नहीं होने तथा तेज धूप की वजह से अब फसल में कीड़े लगने लगे हैं जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें गहराने लगी हैं। वर्तमान में आसमान पर बादल तो हैं लेकिन बारिश नहीं हो रही है जिससे अंकुरित फसल में कीड़े लग रहे हैं।

ऐसी स्थिति में किसान बारिश की कामना कर रहा है, लेकिन बारिश नहीं हो रही है। ग्रामीण क्षेत्र में फिलहाल सोयाबीन-मक्का की फसल लगभग 5 इंच तक बड़ी हो गई है जिसे बारिश की सख्त जरूरत है।

किसान अन्य स्त्रोत से पानी की पूर्ति का जुगाड़ लगा रहे हैं, लेकिन उक्त फसलों को यदि बारिश का पानी मिलता है तो फसलों की बढ़त तेजी से होती है। इधर प्रतिदिन सुबह-शाम बारिश का मौसम बनता है, लेकिन बाद में पूरे दिन तेज धूप रहती है। जुलाई में अकसर बारिश होती है, लेकिन फिलहाल इंद्रदेव रूठे हुए नजर आ रहे हैं।

बारिश होगी तो फायदा –

अगर समय पर बारिश होती है तो किसानों को फायदा होगा। जल्दी मानसून आयेगा तो किसानों को राहत मिलेगी और फसल भी स्वस्थ रहेगी। अभी किसान खेतों में डोरे चलाएं जिससे जमीन में नमी बनी रहेगी।

– आरएल जामरे, उपसंचालक, कृषि विभाग, धार



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