मप्र बीज एवं फार्म विकास निगम इंदौर के संभागीय कार्यालय को बंद करने का तुगलकी निर्णय, किसानों के लिए बना मुसीबत


महंगे व संभवतः अप्रमाणित बीज खरीदने को होंगे मजबूर। संघ का अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ भी शिवराज सरकार के फैसले के खिलाफ है।


डॉ. संतोष पाटीदार डॉ. संतोष पाटीदार
इन्दौर Updated On :
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इंदौर। किसान हितैषी प्रदेश सरकार के बड़े अधिकारी वातानुकूलित कमरों में बैठकर अपने मनमाने तुगलकी हुक्म किसानों के सिर माथे कर रहे हैं।

पहले, कृषि कालेज की जमीन को छीनने का निर्णय और अब किसानों को प्रमाणित एवं गुणवत्तापूर्ण बीज प्रदाय करने वाले इंदौर के क्षेत्रीय कार्यालय को बंद करने का अविवेकपूर्ण  निर्णय अफसरों और कास्ताशारी किसान नेताओ ने ले लिया। इससे किसानों व इंदौर के बीज निगम अमले की तगड़ी फजीहत होगी।

बोर्ड बैठक में फैसला –

मप्र राज्य बीज एवं फार्म विकास की 106वीं बैठक में निगम अध्यक्ष, सिंधिया खेमे के ग्वालियर इलाके से संबंध रखने वाले मुन्नालाल गोयल व एमडी राठी ने इंदौर के बीज निगम के संभाग स्तरीय कार्यालय पर ताले लगाने का हुक्म पारित कर दिया।

बीती 11 अक्टूबर की इस बैठक में जी हजूरिये संचालक मंडल ने भी सहमति दे दी। एजेंडे के 10वे बिंदु में यह प्रस्ताव रखा गया कि क्षेत्रीय बीज व फार्म विकास निगम कार्यालय इंदौर को बंद कर इसका उज्जैन के बीज निगम कार्यालय में  विलय कर दिया जाए। इस प्रस्ताव को बिना सोचे समझे पारित कर दिया।

वजह निगम का घाटे में चलना। इस तरह जनसुविधा व जनता के लिए लाभकारी शासकीय संस्थाओं को सुदृढ़ करने की बजाय इन पर ताले डालना सरकारी तंत्र की पुरानी फिदरत है। भ्रष्ट सरकारी अफसरों व उनके आका सत्ताधारी नेताओ  के किये-धरे व इनकी नाकामियों की कीमत जनता और किसानों के माथे करना , इनका शगल व परंपरा है।

यह तंत्र जनहित के सरकारी उपक्रमों को पहले भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा कर घाटे में लाता है फिर उसे बंद करवाता है। बदले में निजी कंपनियों को उपकृत कर उनकी लूटपाट के हवाले किसानों व जनता को करवा दिया जाता है। इस तरह के मंत्री अफसर हर सरकार के प्रिय होते हैं।

इस समय यह खेल जन शोषण के भयानक स्तर पर पहुंचा दिया गया है। खासकर खेती व खेती की उपजाऊ भूमि को छीनने, खत्म करने और उन पर कंक्रीट के जंगल खड़े करने की जबरिया नीतियों का। इसमें सत्ताधारी  नेता व गांव शहर के  जनप्रतिनिधि भी बराबर के भागीदार रहते हैं। इस सिंडिकेट की निगाहें हर समय खेती और खेत खलिहान की भूमि हड़पने पर लगी रहती हैं।

इंदौर कार्यालय इसलिए है महत्वपूर्ण –

इंदौर के क्षेत्रीय बीज निगम के अधीन संभाग के बड़े दूर दराज के कृषि प्रधान छः जिले और वहां के किसान हैं। संभाग के बाहर के किसान भी इन्दौर कार्यालय पर निर्भर हैं। इंदौर, धार,बड़वानी, झाबुआ, अलीराजपुर, खरगोन, खंडवा जिले और इनसे जुड़े आसपास के बड़े इलाके के किसानों व कृषि विभाग के साथ बीज व्यवसायियों के लिए इंदौर का  यह दफ़्तर हर तरह से सुविधाजनक है।

दूरदराज के बड़ी संख्या में खेती कर रहे वनवासी और अन्य सभी हजारों किसानों के लिए इंदौर कार्यालय तक पहुंच आसान है। कम दूरी, कम खर्च, समय की बचत, अनुसंधान केंद्रों से सहज संपर्क एवं थोक बीज बाजार तक पहुंच के लिहाज से बेहद सुगम हैं।

राष्ट्र व वैश्विक स्तरीय बीज अनुसंधान केंद्र यहां हैं –

बीज निगम का जीवंत संपर्क खेती से जुड़े अनुसंधान केंद्रों से बना रहता है। बीज निगम बीजों के विकास व इनके वितरण के लिए इन केंद्रों पर निर्भर है। राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान केंद्र, राष्ट्रीय गेंहू अनुसंधान केंद्र ,पादप रोग नियंत्रण केंद्र , नेफेड आदि के कई केंद्र इंदौर में ही है।

इन केंद्रों पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शोध होते हैं। इन केंद्रों से हर सीजन में उन्नत किस्मों के बीज बीज निगम को उपलब्ध कराये  जाते हैं ताकि किसानों तक गुणवत्ता के बीज पहुंच सके। इस तरह पूरे प्रदेश की  निर्भरता इन्दौर बीज निगम कार्यालय पर है।

प्रदेश में बीजों के लिए यह समन्वय केंद्र बना हुआ है। बीज निगम का बड़ा परिसर सरकारी कारिंदो के भ्रष्ट धतकर्मो और इनमे गले तक डूब चुके सत्ताधारी नेताओ के निर्णयों से किसान परेशान हैं।

शिवराज सरकार के तथाकथित विकास की नीतियां व फैसलों से पर्यावरण संकट तेज़ी से बढ़ रहा है। खेती ,जल , जमीन  जंगल समेत क्षेत्रीय पर्यावरण जिस पर खेती निर्भर है ,उसका बेरहमी ब अंधगति से विनाश किया जा रहा है। इन भयावह हालातो में खेती सबसे ज्यादा संकट में हैं।

खेती किसानी कर रहे किसानों से अब बीजों की सुगम आपूर्ति की व्यवस्था भी शिव सरकार ने छीन ली। इसका भी वही घिसा पिटा कारण कि बीज निगम का घाटा बढ़ता जा रहा है इसलिए किराये के भवन में चलाए जा रहे इंदौर के क्षेत्रीय बीज व फार्म विकास निगम कार्यालय को बंद किया जा रहा है।

इस तथ्य में कितनी सच्चाई है यह इसी से जाहिर है कि इंदौर से मात्र 15 किमी दूर दतोदा ग्राम में बीज निगम का बड़ा गोदाम और भवन है। यहां से भी इंदौर कार्यालय का संचलन हो सकता है। इस पर विचार नहीं कर, इंदौर कार्यालय को 70 किलोमीटर दूर उज्जैन में ले जाने का तुगलकी निर्णय ले लिया।

मूर्खता व किसान विरोधी कदम –

इंदौर संभाग के बीज निगम कर्मचारी अधिकारी संघ के अध्यक्ष व किसानों के प्रति समर्पित दिनेश शर्मा कहते है कि इंदौर कार्यालय किसानों के लिए बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण केंद्र है। इसकी महता को दरकिनार करना मूर्खता व किसान विरोधी कदम है।

उज्जैन बीज निगम कार्यालय अपना ही काम ठीक से नहीं कर पाता है और उस पर इंदौर जैसे बड़े कार्यालय को लादने से बीजों और बीज निगम का बंठाढार ही होना है।

उज्जैन कार्यालय में इंदौर संभाग को मिलाने से खर्च ओर ज्यादा बढ़ेगा। इंदौर में हर दूसरे दिन होने वाली सरकारी बैठकों में अधिकारियों व कर्मचारियों को आना-जाना होगा। इसके अलावा इंदौर संभाग में दूरदराज फैले कई सारे बीज निगम के फार्म व किसानों के प्रदर्शन प्लॉट के नियमित दौरे करना होते हैं।

कार्यालय को बंद करने का असफल खेल पहले भी हो चुका है। उज्जैन से यह काम करना बेहद खर्चीला व बहुत समय लेने वाला होगा। ऐसे में गिरते-पड़ते जेब ढीली कर भूखे-प्यासे दिन भर की दूरी नाप कर उज्जैन पहुंचने वाले इंदौर संभाग के किसानों को अधिकतर अधिकारी ऑफिस में नहीं मिलेंगे। इस तरह खेती-किसानी का बड़ा नुकसान होगा।

निजी कंपनियों के हवाले होंगे किसान –

राज्य बीज निगम से किसानों को रियायती दर पर उन्नत और अनुसंधान से उपजे बीज मिलते है। इंदौर के क्षेत्रीय कार्यालय के बंद होने से परेशान किसान निजी बीज कंपनियों से मंहगे और संभवतया अप्रमाणित और मिलावटी बीज  खरीदने को मजबूर होंगे।

किसान संघ भी विरोध में –

आरएसएस यानी संघ का अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ भी इंदौर बीज निगम को बंद करने के शिवराज सरकार के फैसले के खिलाफ है। संघ के प्रांतीय पदाधिकारी आनंद सिंह कहते हैं कि इस तरह के फैसले से किसानों की समस्या और ज्यादा बढेंगी।



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