किसान आंदोलनः कब तक हम सर्दी में बैठेंगे, यह सरकार सुन नहीं रही, एक और किसान ने दी जान


विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे करीब पचास किसानों की मौत अब तक हो चुकी है। किसान सरकार के रवैये से दुखी हैं। शनिवार को कश्मीर सिंह ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली बीते चौबीस घंटों में गाजीपुर बॉर्डर पर यह दूसरी मौत थी।


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उनकी बात Updated On :
Representational Image, Picture Courtesy: NBC news


नई दिल्ली। विवादित कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के 38वें दिन शनिवार को एक और किसान ने आत्महत्या कर  ली। आत्महत्या करने वाले किसान का नाम कश्मीर सिंह है  जो उप्र के रामपुर के रहने वाले थे। उन्होंने धरनास्थल पर बने एक शौचालय में फांसी लगा ली।

किसान कश्मीर सिंह  के द्वारा लिखा गया एक सुईसाइड नोट भी मिला है। जिसमें उन्होंने आंदोलन को लेकर  अपील भी लिखी है। उन्होंने  लिखा है कि उनकी शहादत बेकार ना जाए। कश्मीर सिंह ने यह भी लिखा है कि उनका अंतिम संस्कार दिल्ली यूपी की सीमा पर ही किया जाए। बीते चौबीस घंटों में यहां यह दूसरी मौत थी।

इससे पहले  गाजीपुर सीमा पर ही शुक्रवार को एक किसान की मौत हार्ट अटैक के चलते हुई थी। ये किसान बागपत जिले के भगवानपुर नांगल गांव के निवासी मोहर सिंह (57) थे।  इससे पहले 28 दिसंबर को नेशनल हाईवे पर टीकरी बॉर्डर से करीब सात किलोमीटर दूर पकौड़ा चौक के पास किसान आंदोलन में शामिल वकील अमरजीत सिंह (55) ने सुबह करीब नौ बजे जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी।

उन्होंने भी अपने पीछे एक सुईसाइड नोट छोड़ा था यह पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए था। इसमें उन्होंने लिखा है कि वे तीन कृषि कानूनों के खिलाफ़ किसानों आंदोलन के समर्थन में बलिदान दे रहे हैं। भारत की आम जनता ने आपको उनके जीवन को बचाने और समृद्ध करने के लिए पूर्ण बहुमत, शक्ति और विश्वास दिया है। बहुत दुख और पीड़ा के साथ लिख रहा हूं कि आप अंबानी और अडानी आदि जैसे विशेष समूहों के प्रधानमंत्री बन गए हैं।

कश्मीर सिंह की आत्महत्या के बाद  केंद्र सरकार के रवैये की आलोचना हो रही है। किसान संगठनों के अलावा कांग्रेस सहित दूसरे राजनीतिक दल भी सरकार को किसान विरोधी बता रहे हैं।



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